जानुम सिंह सोय
हो भाषा साहित्यकार, लेखक और विद्वान
डॉ. जानुम सिंह सोय (जन्म - 8 अगस्त 1950) झारखण्ड राज्य के कोल्हान के एक विद्वान और साहित्यकार हैं। डॉ. सोय को 2023 को 'हो भाषा साहित्य' के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार दिया गया।[1][2][3]
जानुम सिंह सोय ने हो जनजाति की संस्कृति और जीवन शैली पर 6 पुस्तकें लिखी है। उन्होंने हो भाषा को पीजी पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए लंबा संघर्ष किया।[4]
जानुम सिंह का जन्म 8 अगस्त 1950 को झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के मडकमहातु गांव में हुआ था।[5][6] वर्तमान में डॉ. सोय घाटशिला के निवासी हैं। डॉ. सोय घाटशिला काॅलेज में 1 जुलाई 1977 से 27 जनवरी 2011 तक हिंदी विभाग के प्राध्यापक रहे। तत्पश्चात 28 जनवरी 2011 से 31 मार्च 2022 तक कोल्हान विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष थे।[7]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Jharkhand's Dr Janum Singh Soy Selected for Padma Shri". Drishti IAS (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-23.
- ↑ Desk, News (2023-01-25). "Jamshedpur: Padma Shri for Jharkhand's Ho scholar Dr Janum Singh Soy". The Avenue Mail (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-23.
- ↑ "Padma Shri for 72-year-old Ho language scholar from Jharkhand's Kolhan". The Times of India. 2023-01-26. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-8257. अभिगमन तिथि 2023-02-23.
- ↑ "कौन हैं जानुम सिंह सोय? प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में की है झारखंड के इस विद्वान की चर्चा". Prabhat Khabar. अभिगमन तिथि 2023-02-23.
- ↑ "झारखंड के डॉ. जानुम सिंह सोय को पद्मश्री, 'हो' भाषा के लिए किया है काम". Hindustan (hindi में). अभिगमन तिथि 2023-02-23.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "Jharkhand professor gets Padma Shri for preservation of tribal language Ho". Hindustan Times (अंग्रेज़ी में). 2023-01-26. अभिगमन तिथि 2023-02-23.
- ↑ "'पीएम मोदी ने किया माटी का सम्मान', झारखंड के डॉ. जानुम सिंह सोय को पद्म श्री पुरस्कार, भाषा संरक्षण व संवर्धन में अतुलनीय योगदान". News18 हिंदी. 2023-01-26. अभिगमन तिथि 2023-02-23.
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