जाल (उपकरण)
जाल (Net) रज्जुओं (रस्सी या तार) से बना एक विस्तार होता है, जिसमें चीज़ों को बंद करा जा सकता है। जाल का अधिकांश भाग तंतुओं के बीच के छिद्रों का बना होता है, जिस कारण से जाल के अंदर वस्तु देखी जा सकती है और वायु व जल जाल से अंदर-बाहर सहजता से आ-जा सकता है। इसलिए इन्हें मत्स्याखेट (मछली पकड़ने), शिकार में पक्षी व पशु पकड़ने, बंदरगाहों में सामान उठाने, हैलीकॉप्टरों द्वारा सामान एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने, बिस्तरों के ऊपर व चारों ओर बिछाकर मच्छर जैसे कीटों को बाहर रखने जैसे प्रयोगों में लाया जाता है। केवल रज्जुओं से बना होने के कारण जाल अपने आकार की तुलना में हलके भी होते हैं, जिस से इनका वहन भी आसान होता है। मानव द्वारा जालों के प्रयोग के चिन्ह मध्यपाषाण काल से मिलते हैं।[1][2]
चित्रदीर्घा
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नवपाषाण युग में निर्मित जाल के अवशेष
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Nets - How to Make, Mend and Preserve Them," G. A. Steven, Read Books Ltd, 2013, ISBN 9781446548851
- ↑ "The Art of Netting: With the Method of Making and Mending Fishing Nets Practically Explained and Illustrated with Etchings," S. F. Every, 1845