भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान

अंतरिक्ष उपग्रह प्रक्षेपण में सहायक यान
(जीएसएलवी 2 से अनुप्रेषित)

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (अंग्रेज़ी:जियोस्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, लघु: जी.एस.एल.वी) अंतरिक्ष में उपग्रह के प्रक्षेपण में सहायक यान है। जीएसएलवी का इस्तेमाल अब तक बारह लॉन्च में किया गया है, 2001 में पहली बार लॉन्च होने के बाद से 29 मार्च 2018 को जीएसएटी -6 ए संचार उपग्रह ले जाया गया था।[3] ये यान उपग्रह को पृथ्वी की भूस्थिर कक्षा में स्थापित करने में मदद करता है। जीएसएलवी ऐसा बहुचरण रॉकेट होता है जो दो टन से अधिक भार के उपग्रह को पृथ्वी से 36000 कि॰मी॰ की ऊंचाई पर भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देता है जो विषुवत वृत्त या भूमध्य रेखा की सीध में होता है। ये रॉकेट अपना कार्य तीन चरण में पूरा करते हैं। इनके तीसरे यानी अंतिम चरण में सबसे अधिक बल की आवश्यकता होती है। रॉकेट की यह आवश्यकता केवल क्रायोजेनिक इंजन ही पूरा कर सकते हैं।[4] इसलिए बिना क्रायोजेनिक इंजन के जीएसएलवी रॉकेट का निर्माण मुश्किल होता है। अधिकतर काम के उपग्रह दो टन से अधिक के ही होते हैं। इसलिए विश्व भर में छोड़े जाने वाले 50 प्रतिशत उपग्रह इसी वर्ग में आते हैं। जीएसएलवी रॉकेट इस भार वर्ग के दो तीन उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में ले जाकर निश्चित कि॰मी॰ की ऊंचाई पर भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देता है। यही इसकी की प्रमुख विशेषता है।[5] हालांकि भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 (जीएसएलवी मार्क 3) नाम साझा करता है, यह एक पूरी तरह से अलग लॉन्चर है।[6]

जी.एस.एल.वी.
अपनी लॉचिंग का इंतजार करता हुआ भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान GSLV-II
अपनी लॉचिंग का इंतजार करता हुआ भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान GSLV-II
कार्य मध्यम उत्तोलन प्रवर्तन प्रणाली
निर्माता इसरो
मूल देश  भारत
मूल्य प्रति लॉन्च (2024) 220 करोड़ ($3.6 करोड़)[1]
आकार
ऊंचाई 49.13 मीटर (161.2 फीट) [2]
व्यास 2.8 मीटर (9 फीट 2 इंच)
द्रव्यमान 414,750 किलोग्राम (14,630,000 औंस)
चरण 3
क्षमता
LEO को पेलोड 5,000 किलोग्राम (180,000 औंस)
जी.टी.ओ
को पेयलोड
2,500 किलोग्राम (88,000 औंस)
लॉन्च इतिहास
वर्तमान स्थिति सक्रिय
लॉन्च स्थल श्रीहरिकोटा
कुल लॉन्च 13 (6 एमके-I, 7 एमके-II)
सफल लॉन्च 8 (2 एमके-I, 6 एमके-II)
असफल परीक्षण 3 (2 एमके-I, 1 एमके-II)
आंशिक असफल परीक्षण 2 (एमके-I)
प्रथम उड़ान एमके-I: 18 अप्रैल 2001
एमके-II: 15 अप्रैल 2010
बूस्टर (चरण ०)
No बूस्टर 4
इंजन 1 एल४ओएच विकास 2
दबाव 760 कि॰न्यू. (170,000 पौंड-बल)
कुल दबाव 3,040 कि॰न्यू. (680,000 पौंड-बल).
विशिष्ट आवेग (स्पेसिफिक इम्पल्स) 262 s (2.57 km/s)
बर्न समय 160 सेकंड
ईंधन NO/UDMH
प्रथम चरण
इंजन 1 S139
थ्रस्ट 4,700 कि॰न्यू. (1,100,000 पौंड-बल)
विशिष्ट आवेग (स्पेसिफिक इम्पल्स) 237 s (2.32 km/s)
बर्न टाइम 100 सेकंड
ईंधन HTPB (ठोस)
द्वितीय चरण
इंजन 1 जीएस२ विकास 4
थ्रस्ट 800 कि॰न्यू. (180,000 पौंड-बल)[2]
विशिष्ट आवेग (स्पेसिफिक इम्पल्स) 295 s (2.89 km/s)
बर्न टाइम 150 सेकंड
ईंधन NO/UDMH
तृतीय चरण
इंजन 1 सीई-7.5(एमके-II)
थ्रस्ट 75 कि॰न्यू. (17,000 पौंड-बल)
विशिष्ट आवेग (स्पेसिफिक इम्पल्स) 454 s (4.45 km/s)
बर्न टाइम 720 सेकंड
ईंधन LOX/LH2

यान की तकनीक

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गत कुछ वर्षो से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के बाद भारत ने उपग्रह भेजने में काफी सफलता प्राप्त की थी। जीएसएलवी अपने डिजाइन और सुविधाओं में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान यानि पीएसएलवी से बेहतर होता है। यह तीन श्रेणी वाला प्रक्षेपण यान होता है जिसमें पहला ठोस-आधार या पुश वाला, दूसरा तरल दबाव वाला यानि लिक्विड प्रापेल्ड तथा तीसरा क्रायोजेनिक आधारित होता है। पहली और दूसरी श्रेणी पीएसएलवी से ली गई है। आरंभिक जीएसएलवी यानों में रूस निर्मित क्रायोजेनिक तृतीय स्टेज का प्रयोग हो रहा था। किन्तु अब इसरो ने स्वदेशी तकनीक से निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का आविष्कार किया है। १५ अप्रैल, २०१० को १०:५७ यूटीसी पर भारत पहली बार जीएसएलवी की सहायता से अपना पहला उपग्रह छोड़ा, जो असफल रहा। इसके बाद तीन अन्य उपग्रह भी छोड़े जाएंगे। जीएसएलवी के द्वारा से पांच हजार किलोग्राम का उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकता है। भूस्थिर यानि जियोसिंक्रोनस या जियोस्टेशनरी उपग्रह वे होते हैं जो पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर स्थित होते हैं और वह पृथ्वी की गति के अनुसार ही उसके साथ-साथ घूमते हैं। इस तरह जहां एक ओर ध्रुवीय उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, वहीं भूस्थिर उपग्रह अपने नाम के अनुसार पृथ्वी की कक्षा में एक ही स्थान पर स्थित रहता है। यह कक्षा पृथ्वी की सतह से ३५,७८६ किलोमीटर ऊपर होती है। इसरो के उपग्रह कृषि, जलस्रोतों, शहरी विकास, पर्यावरण, वन, खनिज और महासागरों के संबंध में शोध कार्य करते हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में वर्षो से कार्यरत इसरो १९९९ से उपग्रह प्रक्षेपण का कार्य कर रहा है।

क्रायोजेनिक्स

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मुख्य लेख: क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन एवं क्रायोजेनिक्स

भौतिकी में अत्यधिक निम्न ताप उत्पन्न करने व उसके अनुप्रयोगों के अध्ययन को क्रायोजेनिक्स कहते है। क्रायोजेनिक का उद्गम यूनानी शब्द क्रायोस से बना है जिसका अर्थ होता है शीत यानी बर्फ की तरह शीतल। इस शाखा में शून्य डिग्री सेल्सियस से २५३ डिग्री नीचे के तापमान पर काम किया जाता है। इस निम्न तापमान का उपयोग करने वाली प्रक्रियाओं और उपायों का क्रायोजेनिक अभियांत्रिकी के अंतर्गत अध्ययन करते हैं। जी.एस.एल.वी. रॉकेट में प्रयुक्त होने वाली द्रव्य ईंधन चालित इंजन में ईंधन बहुत कम तापमान पर भरा जाता है, इसलिए ऐसे इंजन क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन कहलाते हैं। इस तरह के रॉकेट इंजन में अत्यधिक ठंडी और द्रवीकृत गैसों को ईंधन और ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस इंजन में हाइड्रोजन और ईंधन क्रमश: ईंधन और ऑक्सीकारक का कार्य करते हैं। ठोस ईंधन की अपेक्षा यह कई गुना शक्तिशाली सिद्ध होते हैं और रॉकेट को बूस्ट देते हैं। विशेषकर लंबी दूरी और भारी रॉकेटों के लिए यह तकनीक आवश्यक होती है।[5]

क्रायोजेनिक तकनीक का पहली बार प्रयोग लगभग पांच दशक पूर्व अमेरिका के एटलस सटूर नामक रॉकेट में सबसे पहले हुआ था। तब से अब तक क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन प्रौद्योगिकी में काफी सुधार हुआ है। अमेरिकी क्रायोजेनिक इंजनों में आर.एल.-१० नामक क्रायोजेनिक इंजन विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है। जी.एस.एल.वी. रॉकेट एरियन में एसएम-७ क्रायोजेनिक इंजन लगाया जाता है। जापान द्वारा विकसित क्रायोजेनिक इंजन का नाम एल.ई-५ है। पहले भारत को रूस से यह तकनीक मिल रही थी। १९९८ में हुए पोखरण परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर पाबंदी लगा दी और रूस का रास्ता बंद हो गया। किन्तु भारत में इससे पहले से ही इस तकनीक पर काम हो रहा था।[5]

 
10:1 स्तर किया हुआ नेहरु प्लैनेटेरियम, मुंबई स्थित जी.एस.एल.वी का एक प्रतिरूप


प्रक्षेपण इतिहास

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उडान प्रक्षेपण तिथि वैरियैन्ट लॉन्च पैड पेयलोड पेयलोड भार परिणाम
डी1 18 अप्रैल 2001
10:13
एमके-I(ए) प्रथम   जीसैट-1 1540 कि.ग्रा. आंशिक असफलता[7][8]
आंशिक असफलता, विकासाधीन उड़ान, ऊपरी चरण में पेलोड को योजनाबद्ध कक्षा से नीचे स्थापन करने के कारण, जिसे सही नहीं किया जा सका।[7][9] इसरो ने लॉन्च को सफल बनाने का दावा किया[10] और जीसैट-1 की विफलता का दावा किया[11]
डी2 8 मई 2003
11:28
एमके-I(ए) प्रथम   जीसैट-2 1825 कि.ग्रा. सफल
विकासाधीन उड़ान[12]
एफ01 20 सितंबर 2004
10:31
एमके-I(बी) प्रथम   जीसैट-3 1950 कि.ग्रा. सफल
सफल, प्रथम प्रचालन उड़ान[13]
एफ02 10 जुलाई 2006
12:08
एमके-I(बी) द्वितीय   इनसैट-4सी 2168 कि.ग्रा. विफल
असफल, दोनों रॉकेट एवं उपग्रह को बंगाल की खाड़ी के ऊपर नष्ट किया गया जब रॉकेट की दिशा[मृत कड़ियाँ] अनुमत सीमा से बाहर बदल गयी।
एफ04 2 सितंबर 2007
12:51
एमके-I(बी) द्वितीय   इनसैट-4सीआर 2160 कि.ग्रा. आंशिक असफल[14]
रॉकेट कप्रत्याशा से एपोजी नीचा एवं झुकाव ऊंचा रहा। रॉकेट का प्रदर्शन निम्नस्तरीय होने से एपोजी नीचा एवं झुकाव प्रत्याशा से अधिक रहा।[15] अपवहन से ट्रैकिंग असफ़ल हुई जिससे आयु कम हुई एवं प्रचालन काल के ५ वर्ष कम हुए।[16] अंत में २१६० कि.ग्रा. का पेलोड भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में पहुंचा।[17][18]
डी3 15 अप्रैल 2010
10:57
एमके-II द्वितीय   जीसैट-4 2220 कि.ग्रा. विफल
असफल, इसरो द्वारा डिजाइन और निर्मित क्रायोजेनिक अपर स्टेज की पहली परीक्षण उड़ान। क्रायोजेनिक अपर स्टेज के ईंधन बूस्टर टर्बो पंप की खराबी के कारण कक्षा तक पहुंचने में विफल।[19]
एफ06 25 दिसंबर 2010
10:34
एमके-I(सी) द्वितीय   जीसैट-5पी 2310 कि.ग्रा. विफल
जीएसएलवी एमके-I(सी) की पहली उड़ान। तरल ईंधन बूस्टर पर नियंत्रण खोने के बाद सीमा सुरक्षा अधिकारी द्वारा नष्ट कर दिया गया।[20]
डी5 5 जनवरी 2014
10:48
एमके-II द्वितीय   जीसैट-14 1980 कि.ग्रा. सफल
उड़ान 19 अगस्त 2013 के लिए निर्धारित थी। लेकिन एक घंटे और 14 मिनट पहले लिफ्ट होने से पहले एक रिसाव की सूचना मिली और प्रक्षेपण रोक दिया गया।[21] जीएसएलवी की दूसरी उड़ान इसरो द्रव नोदन प्रणाली केंद्र द्वारा विकसित स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज के साथ 5 जनवरी 2014 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। [22][23] यह 40 मीटर की परिशुद्धता के साथ लांच किया गया था। सभी तीन चरणों ने सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। [24][25] यह क्रायोजेनिक चरण जो भारत में स्वदेशी रूप से विकसित किया गया था की पहली सफल उड़ान थी।[26]
डी6[27][28] 27 अगस्त 2015
11:22
एमके-II द्वितीय   जीसैट-6 2117 कि.ग्रा. सफल
स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ जीएसएलवी एमके-II डी6 सफलतापूर्वक भूस्थिर अंतरण कक्षा के 170 X 35945 किमी, 19.96 डिग्री के झुकाव के इंजेक्शन मानकों के साथ जीसैट-6 पेलोड को कक्षा में छोड़ा। घनाभ के आकार का जीसैट-6 उपग्रह जो नौ साल की अपनी अपेक्षित मिशन जीवन के दौरान एस-बैंड संचार सेवाएं प्रदान करेगा। [29]
एफ05 8 सितंबर 2016
11:20
एमके-II द्वितीय   इनसैट-3डीआर 2211  कि.ग्रा. सफल
एफ09 5 मई 2017
17:27
एमके-II द्वितीय   जीसैट-9/दक्षिण एशिया उपग्रह 2230 कि.ग्रा. सफल
[30][31][32][33][34][35][36]
एफ08 29 मार्च 2018 11:26[37] एमके-II द्वितीय लांच पैड   जीसैट-6ए 2140 कि.ग्रा. सफल
[38][39][40][41][42][43]


योजनाबद्ध प्रक्षेपण

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एफ10 अक्टूबर 2018[37] एमके-II द्वितीय   चंद्रयान-२ 3290 कि.ग्रा. योजना
[44][45]
2018[37] एमके-II द्वितीय   जीसैट-7ए योजना
[46]
? 2018[37] एमके-II द्वितीय   नेक्सस्टार 1, 2 योजना
[47][dated info]
? 2018[37] एमके-II द्वितीय   भू इमेजिंग उपग्रह 1 2100 कि.ग्रा. योजना
[48]
? 2020[37] एमके-II द्वितीय   मंगलयान 2 योजना
[49]
? दिसंबर 2020[37] एमके-II द्वितीय     निसार योजना
नासा/इसरो सहयोग[50]

लॉन्च सांख्यिकी

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रॉकेट कॉन्फ़िगरेशन उड़ान के अनुसार

1
2
3
4
2001
2004
2007
2010
2013
2016
2019
2022
  •   जीएसएलवी-मार्क 1(ए)
  •   जीएसएलवी-मार्क 1(बी)
  •   जीएसएलवी-मार्क 1(सी)
  •   जीएसएलवी-मार्क 2
  •   योजना (जीएसएलवी-मार्क 2)

मिशन परिणाम उड़ान के अनुसार

0.5
1
1.5
2
2001
2004
2007
2010
2013
2016
2019
  •   सफलता
  •   आंशिक असफलता
  •   असफलता



चित्र दीर्घा

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इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Indian rocket GSLV D5 with indigenous cryogenic engine successfully launched". dnaindia. मूल से 14 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 June 2014.
  2. "GSLV". मूल से 9 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अगस्त 2016.
  3. "जीएसएलवी का सफल प्रक्षेपण". मूल से 13 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जून 2018.
  4. "बीस वर्ष की मेहनत, क्रायोजेनिक में सफलता". मूल से 13 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जून 2018.
  5. बढ़े कदम पा लेंगे मंजिल Archived 2010-04-20 at the वेबैक मशीन|हिन्दुस्तान लाईव। १८ अप्रैल २०१०। अनुराग मिश्र
  6. "Two international astronauts survive space scare. How well is India prepared?". मूल से 18 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अक्तूबर 2018.
  7. Kyle, Ed (28 December 2010). "Page 2 of 2: Comprehensive Orbital Launch Failure List". India (SLV/ASLV/PSLV/GSLV) Flight History by Variant/Year (1979-2010). मूल से 11 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 August 2013.
  8. "Isro clears launch of GSLV-D5". Business Standard. 31 December 2013. मूल से 4 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 January 2014.
  9. वेड, मार्क. "GSLV". एन्सायक्लोपीडिया ऍस्ट्रोनॉटिका. मूल से 7 जनवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ अप्रैल. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  10. "GSLV Launched Successfully". ISRO. मूल से 10 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 December 2013.
  11. "Press Brief on GSLV-D1/GSAT-1". ISRO. मूल से 9 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 December 2013.
  12. "GSLV-D2 Mission". ISRO. मूल से मार्च 14, 2009 को पुरालेखित.
  13. "EDUSAT mission". ISRO. मूल से मार्च 18, 2009 को पुरालेखित.
  14. "First manoeuvre to raise satellite's orbit". Sriharikota: The Hindu. मूल से 8 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि नवम्बर 19, 2015.
  15. Clark, Stephen (2 सितंबर 2007). "India's large satellite launcher returns to flight" (html). Spaceflight Now. मूल से 23 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2010.
  16. Ram, Arun (15 दिसम्बर 2007). "Isro satellite 'disappears', loses five years of life" (html). DNA-India. मूल से 1 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2010.
  17. "INSAT-4CR successfully placed in orbit". Times of India. मूल से 15 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2010.
  18. "GSLV-F04 Launc Successful - Places INSAT-4CR in orbit". ISRO. मूल से 1 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2010.
  19. "GSLV-D3 Failure Analysis Report". ISRO. मूल से 23 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अगस्त 2016.
  20. "Rocket failed after 45 seconds, says ISRO". हिन्दुस्तान टाईम्स. 25 December 2010. मूल से 26 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 December 2010.
  21. "GSLV-D5 rocket launch delayed, countdown clock stopped due to leak in second stage". NDTV. मूल से 4 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि नवम्बर 27, 2013.
  22. Varma, M. Dinesh (31 October 2013). "Another shot at GSLV with indigenous cryogenic engine". द हिन्दू. Chennai, भारत. मूल से 8 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि नवम्बर 27, 2013.jug
  23. "Preparations in full swing for Dec 15 GSLV mission". हिन्दुस्तान टाईम्स. मूल से 10 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि नवम्बर 27, 2013.
  24. "GSAT-14 Separated". Twitter. January 5, 2014. मूल से 13 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 5, 2014. |firstlast= missing |lastlast= in first (मदद)
  25. "Performance of Cryogenic stage of GSLV D5 normal. Ignition sustained". Twitter. January 5, 2014. मूल से 13 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 5, 2014. |firstlast= missing |lastlast= in first (मदद)
  26. "Isro successfully launches indigenous cryogenic engine-powered GSLV-D5". The Times Of India. मूल से 6 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 January 2014.jug
  27. "GSAT 6". मूल से 24 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 July 2014.
  28. "GSAT-6 slated for March launch". मूल से 30 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 August 2015.
  29. "ISRO's GSLV D-6 puts GSAT-6 satellite in orbit". द हिन्दू. 27 August 2015. मूल से 8 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अगस्त 2016.jug
  30. "India's satellite 'gift' for SAARC to be up in Dec 2016". मूल से 20 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2017.jug
  31. "South Asia Sat launch date". मूल से 17 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2017.
  32. "ISRO to launch record 103 satellites in one go in February". मूल से 19 मई 2017 को पुरालेखित.jug
  33. "GSLV-F09 / GSAT-9". मूल से 26 जनवरी 2017 को पुरालेखित.
  34. "మే 5న జీఎస్‌ఎల్‌వీ ఎఫ్‌–09 ప్రయోగం". मूल से 16 मई 2017 को पुरालेखित.jug
  35. [www.prajasakti.com/Article/TaajaVarthalu/1914842 "వచ్చేనెల 5న జీఎస్‌ఎల్‌వీ ప్రయోగం"] जाँचें |url= मान (मदद).jug
  36. "GSLV-F09 / GSAT-9". मूल से 26 जनवरी 2017 को पुरालेखित.
  37. Pietrobon, Steven (5 May 2017). "Indian Launch Manifest". मूल से 2 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 May 2017.
  38. "GSLV-F08/GSAT-6A Mission". मूल से 30 जनवरी 2018 को पुरालेखित.
  39. "After PSLV-C38 success, Isro sets focus on next PSLV-C39 launch by August first week". मूल से 9 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित.jug
  40. "మార్చి 15కు జీఎస్‌ఎల్‌వీ ఎఫ్‌–08 వాయిదా". Sakshi (अंग्रेज़ी में). 6 फरवरी 2018. मूल से 6 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 फरवरी 2018.jug
  41. "మరో రెండు ప్రయోగాలకు ఇస్రో సన్నాహాలు | Andhrabhoomi - Telugu News Paper Portal | Daily Newspaper in Telugu | Telugu News Headlines | Andhrabhoomi". andhrabhoomi.net (अंग्रेज़ी में). मूल से 17 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 फरवरी 2018.
  42. Stories, Prajasakti News. "29న జిఎస్‌ఎల్వీ- ఎఫ్‌08 ప్రయోగం". Prajasakti. मूल से 2 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2018.jug
  43. "29న నింగిలోకి జీఎస్‌ఎల్‌వీ ఎఫ్‌ 08". Sakshi (अंग्रेज़ी में). 2 मार्च 2018. मूल से 2 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2018.jug
  44. "Chandrayaan-2 launch likely by 2018 - The Hindu".
  45. "Chandrayaan-2 ISRO". मूल से 8 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2017.
  46. Krebs, Gunter. "GSat 6, 6A / Insat 4E". Gunter's Space Page. मूल से 24 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि अप्रैल 27, 2017.
  47. Krebs, Gunter. "NexStar 1, 2". Gunter's Space Page. मूल से 3 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि अप्रैल 27, 2017.
  48. Krebs, Gunter. "GISAT 1, 2". Gunter's Space Page. मूल से 27 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि अप्रैल 27, 2017.
  49. Madhumathi, D.S. (10 August 2016). "ISRO sets the ball rolling for Mars Mission-2". The Hindu. अभिगमन तिथि 27 April 2017.jug
  50. Krebs, Gunter. "NISAR". Gunter's Space Page. मूल से 27 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि अप्रैल 27, 2017.