ज्येष्ठाधिकार
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ज्येष्ठाधिकार (अंग्रेज़ी: Primogeniture) कानून या रिवाजों के तहत ज्येष्ठ और जायज़ पुत्र का वो अधिकार होता है जिसके तहत उसका अपने छोटे भाई बहनों या बड़े नाजायज़ भाइयों की तुलना में अपने पिता की सम्पत्ति और राज पर पहला अधिकार होता है। [1] यह अधिकार उसके ज्येष्ठ पुत्र को भी विरासत में प्राप्त होता है और उसकी मृत्यु या उसके हटने पर उसके जीवित छोटे भाई के बजाय उसका बड़ा बेटा उसकी सम्पत्ति या ज्येष्ठता की वजह से मिले उसके राज अधिकारों को ग्रहण करता है। किसी के संतान के ना होने की अवस्था में उस व्यक्ति के छोटे भाई (उम्र के क्रम में) उसके अधिकारों को ग्रहण करते हैं। भाई-बहनों में बहन से पहले भाई को अधिकार मिलता है भले वो बहन से छोटा हो। पुरुष वंशजों की अनुपस्थिति में ज्येष्ठाधिकार के कई संस्करण हैं जो या तो बेटियों, या फिर भाई या फिर किसी सगे-संबंधी को क्रमानुसार मिलते हैं। यह बहुत हद तक उस व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है जिससे यह अधिकार दूसरे के पास जाने वाले हैं। इतिहास में यह बात व्यक्ति की सम्पत्ति, उसके स्थायी कार्यालयों, अधिकारों, राजपाठों पर लागू होती आई है।
ज्येष्ठाधिकार के विभिन्न संस्करणों में बड़े बेटे के अधिकारों में परिवर्तन कर उसे पूरे परिवार में विभाजित कर दिया गया है। पश्चिम में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से पुरुष वंशजों की महिला वंशजों पर श्रेष्ठता समाप्त कर दी गई है। यूरोप की अधिकांश राजशाहियों जैसे बेल्जियम, डेनमार्क, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, युनाईटेड किंगडम आदि ने भी उत्तराधिकार में पुरुषों की श्रेष्ठता समाप्त कर दी है। वर्तमान मे यह नियम हट गया है क्योंकि पूरे परिवार को अधिकार या पिता के मरने के बाद माता को ही इसका अधिकार मिलता है|
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 3 अगस्त 2009. Retrieved 11 दिसंबर 2015.
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