द्वादश ज्योतिर्लिंग
हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रकट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ॐकारेश्वर अथवा अमलेश्वर (मालवा में), परल्यां वैद्यनाथं च नामक स्थान [1] श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर।[क] हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल उठकर इन बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम का पाठ करता है, उसके सभी प्रकार के पाप छूट जाते हैं और उसको संपूर्ण सिद्धियों का फल प्राप्त हो जाता है।[2] प्रत्येक ज्योतिर्लिङ्ग का एक-एक उपलिंग भी है जिनका विवरण शिवमहापुराण की 'ज्ञानसंहिता' के 38वें एवं 'कोटिरुद्रसंहिता' के प्रथम अध्याय में प्राप्त होता है।[3]
स्थल
12 ज्योतिर्लिंगों के नाम शिव पुराण (शतरुद्र संहिता, अध्याय 42/2-4) के अनुसार इस प्रकार हैं-
क्रम. | ज्योतिर्लिंग | चित्र | राज्य | स्थिति | वर्णन | |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | सोमनाथ | गुजरात | प्रभास पाटन, सौराष्ट्र | श्री सोमनाथ सौराष्ट्र, (गुजरात) के प्रभास क्षेत्र में अवस्थित हैं। इस प्रसिद्ध मंदिर को अतीत में छह बार ध्वस्त एवम् निर्मित किया गया है। 1022 ई॰ में इसकी समृद्धि को महमूद गजनवी के हमले से सर्वाधिक नुकसान पहुँचा था। | ||
2 | मल्लिकार्जुन | आंध्र प्रदेश | कुर्नूल | आन्ध्र प्रदेश प्रान्त के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तटपर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन अवस्थित हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। | ||
3 | महाकालेश्वर | मध्य प्रदेश | महाकाल, उज्जैन | श्री महाकालेश्वर (मध्यप्रदेश) के मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के तटपर पवित्र उज्जैन नगर में अवस्थित हैं। उज्जैन को प्राचीनकाल में अवन्तिकापुरी कहते थे। | ||
4 | ॐकारेश्वर | मध्य प्रदेश | नर्मदा नदी में एक द्वीप पर | मालवा क्षेत्र में श्रीॐकारेश्वर स्थान नर्मदा नदी के बीच स्थित द्वीप पर है। उज्जैन से खण्डवा जाने वाली रेलवे लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन है, वहाँ से यह स्थान 10 मील दूर है। यहाँ ॐकारेश्वर और अमलेश्वर दो पृथक-पृथक लिंग हैं, परन्तु ये एक ही लिंग के दो स्वरूप हैं। श्रीॐकारेश्वर लिंग को स्वयम्भू समझा जाता है। | ||
5 | केदारनाथ | उत्तराखंड | केदारनाथ | श्री केदारनाथ हिमालय के केदार नामक श्रृंगपर स्थित हैं। शिखर के पूर्व की ओर अलकनन्दा के तट पर श्री बदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिम में मन्दाकिनी के किनारे श्री केदारनाथ हैं। यह स्थान हरिद्वार से 150 मील और ऋषिकेश से 132 मील दूर उत्तरांचल राज्य में है। | ||
6 | भीमशंकर | महाराष्ट्र | भीमशंकर | श्री भीमशंकर का स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर, मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर माना जाता है और कुछ लोगों की कल्पना है कि सह्याद्रि पर्वत के एक शिखर का नाम डाकिनी है, परन्तु शिवपुराण के एक से अधिक उल्लेख एवं कथा के अनुसार भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का उपलिंग सह्याद्रि पर्वत पर है[4] तथा मूल भीमशंकर ज्योतिर्लिंग असम के कामरूप[5][6][7] जिले में गुवाहाटीके पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर प्रमाणित होता है। (कुछ लोग मानते हैं कि नैनीताल जिले के उज्जनक नामक स्थान में स्थित विशाल शिवमंदिर भीमशंकर का स्थान है।) | ||
7 | काशी विश्वनाथ | उत्तर प्रदेश | वाराणसी | वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित काशी के श्रीविश्वनाथजी सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक हैं। गंगा तट स्थित काशी विश्वनाथ शिवलिंग के दर्शन हिन्दुओं के लिए अति पवित्र माने जाते हैं। | ||
8 | त्र्यम्बकेश्वर | महाराष्ट्र | त्र्यम्बकेश्वर, निकट नासिक | श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिले में पंचवटी से 18 मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे है। इस स्थान पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम भी है। | ||
9 | वैद्यनाथ | झारखंड | देवघर | देवघर में भगवान शिव का बहुत ही पवित्र और भव्य मंदिर स्थित है। हर साल सावन के महीने में यहां श्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है | ||
10 | नागेश्वर | गुजरात | दारुकावन, द्वारका | श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्रांतर्गत गोमती द्वारका से ईशानकोण में बारह-तेरह मील की दूरी पर हैं। निजाम हैदराबाद राज्य के अन्तर्गत औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग को ही कोई-कोई नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं। कुछ लोगों के मत से अल्मोड़ा से 17 मील उत्तर-पूर्व में यागेश (जागेश्वर) शिवलिंग ही नागेश ज्योतिर्लिंग है। | ||
11 | रामेश्वर | तमिल नाडु | रामेश्वरम | श्रीरामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रान्त के रामनाड जिले में है। यहाँ लंका विजय के पश्चात् भगवान श्रीराम ने अपने अराध्यदेव शंकर की पूजा की थी। ज्योतिर्लिंग को श्रीरामेश्वर या श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है।.[8] | ||
12 | घुश्मेश्वर | महाराष्ट्र | निकट एलोरा, औरंगाबाद जिला | श्रीघुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर भी कहते हैं। इनका स्थान महाराष्ट्र प्रान्त में दौलताबाद स्टेशन से बारह मील दूर बेरूल गाँव के पास है। |
सन्दर्भ
- ↑ बाबा धाम ज्योतिर्लिंग
- ↑ श्रीशिवमहापुराण (सटीक), द्वितीय खण्ड, कोटिरुद्रसंहिता-1-21 से 24, खेमराज श्रीकृष्णदास, मुंबई, पुनर्मुद्रित संस्करण- सितंबर 2019, पृष्ठ-3.
- ↑ शिवमहापुराणम् (मूल तथा भाषानुवाद), प्रथम खण्ड, ज्ञानसंहिता (३८-३२ से ३८), चौखम्बा कृष्णदास अकादमी, वाराणसी, संस्करण-2017, पृष्ठ-224-225. एवं श्रीशिवमहापुराण (सटीक), द्वितीय खण्ड, कोटिरुद्रसंहिता-1-35 से 44, गीताप्रेस, गोरखपुर, संस्करण- सं॰2076, पृष्ठ-202.
- ↑ श्रीशिवमहापुराण (सटीक), द्वितीय खण्ड, कोटिरुद्रसंहिता-1-40, गीताप्रेस, गोरखपुर, संस्करण- सं॰2076, पृष्ठ-202.
- ↑ शिवमहापुराणम् (मूल तथा भाषानुवाद), प्रथम खण्ड, ज्ञानसंहिता (अध्याय-48), चौखम्बा कृष्णदास अकादमी, वाराणसी, संस्करण-2017, पृष्ठ-276.
- ↑ श्रीशिवमहापुराण (सटीक), द्वितीय खण्ड, शतरुद्रसंहिता-42-28,29, गीताप्रेस, गोरखपुर, संस्करण- सं॰2076, पृष्ठ-195.
- ↑ श्रीशिवमहापुराण (सटीक), द्वितीय खण्ड, कोटिरुद्रसंहिता-20-2, गीताप्रेस, गोरखपुर, संस्करण- सं॰2076, पृष्ठ-269.
- ↑ For Rameshvara as one of the twelve "Pillars of Light", see: Chakravarti 1994, पृष्ठ 140.
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति
- सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥ परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥ वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे। हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥ एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥ ॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम्