डुप्लीकेट
डुप्लीकेट 1998 में बनी हिन्दी भाषा की कॉमेडी फ़िल्म है। इसको महेश भट्ट ने निर्देशित किया और इसमें जूही चावला और सोनाली बेंद्रे के साथ दोहरी भूमिका में शाहरुख खान हैं। यह फिल्म फ्लॉप रही थी लेकिन इसके मधुर संगीत को पसंद किया गया था।[1] इसका निर्माण यश जौहर की धर्मा प्रोडक्शन्स ने किया था और इस कम्पनी के साथ यह शाहरुख की पहली फ़िल्म है।
डुप्लीकेट | |
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डुप्लीकेट का पोस्टर | |
निर्देशक | महेश भट्ट |
लेखक |
रोबिन भट्ट आकाश खुराना जावेद सिद्दीकी |
निर्माता | यश जौहर |
अभिनेता |
शाहरुख़ ख़ान, जूही चावला, सोनाली बेंद्रे, फरीदा ज़लाल |
संगीतकार | अनु मलिक |
वितरक | धर्मा प्रोडक्शन्स |
प्रदर्शन तिथियाँ |
8 मई, 1998 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंसरल बेवकूफ़ और कुछ हद तक मंदबुद्धि, 26 वर्षीय बबलू चौधरी (शाहरुख खान) अपनी मां (फरीदा ज़लाल) के साथ रहता है जिन्हें वो "बेबे" कहता है। हालांकि उसके पूर्वज बॉडी बिल्डर और पहलवान थे, वह एक बावर्ची बनना चाहता है। रास्ते में वह सोनिया कपूर (जूही चावला) से मिलता है, जो उसी रेस्तरां में बैंक्वेट मैनेजर होती है जहां वह जा रहा था और वह उसे काम पर रखती है। दोनों एक-दूसरे के साथ प्यार में पड़ने लगते हैं। उसके जैसे दिखने वाले मन्नू (शाहरुख खान), एक गैंगस्टर अपने दोस्त (गुलशन ग्रोवर) के साथ एक बैंक लूटता है लेकिन पकड़ा जाता है। वह जेल से बाहर आता है औ उसेर पता चलता है कि उसके समूह ने उसे धोखा दिया है। वह अपने साथी की हत्या करता है और उस जगह से बच निकलता है ... पैसे के बिना। बबलू पैसे पर ठोकर खाता है और अपने पास रखता है। मन्नू की प्रेमिका लिली (सोनाली बेंद्रे) बबलू को मन्नू समझने की गलती करती हैं और उसे ले जाती है। मन्नू बबलू के घर में आश्रय लेता है और महसूस करता है कि वह अपने फायदे के लिए उसकी समानता का उपयोग कर सकता है। फिर बबलू के साथ मज़ा-सवारी शुरू होती है जिसको लगातार मन्नू समझा जाता है। उसके पीछे सोनिया और लिली दोनों होती हैं और कानून उसे मन्नू समझ गिरफ्तार करता है। फिर, मन्नू ने बेबे का अपहरण कर लिया और उसे बंधक बना दिया।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- शाहरुख़ ख़ान - बबलू चौधरी / मन्नू दादा
- जूही चावला - सोनिया कपूर
- सोनाली बेंद्रे - लिली
- फरीदा ज़लाल - बेबे
- मोहनीश बहल - रवि लाम्बा
- टीकू तलसानिया - इंस्पेक्टर ठाकुर
- शरत सक्सेना -
- राना जंग बहादुर - गप्पा
- गुलशन ग्रोवर -
संगीत
संपादित करेंसभी गीत जावेद अख्तर द्वारा लिखित; सारा संगीत अनु मलिक द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "मेरे महबूब मेरे सनम" | उदित नारायण, अलका याज्ञनिक | 6:59 |
2. | "कत्थई आँखों वाली" | कुमार सानु | 7:13 |
3. | "एक शरारत होने को है" | कुमार सानु, कविता कृष्णमूर्ति | 5:55 |
4. | "लड़ना झगड़ना" | अभिजीत भट्टाचार्य, कविता कृष्णमूर्ति | 6:27 |
5. | "वाह जी वाह" | कुमार सानु | 6:03 |
6. | "तुम नहीं जाना" | अलका याज्ञनिक, उदित नारायण, शंकर महादेवन | 6:48 |
7. | "डुप्लीकेट" | वाद्य संगीत | 0:33 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1999 | जावेद अख्तर ("मेरे महबूब मेरे सनम") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित |
शाहरुख खान | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार | नामित |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "क्यों 'हीरो नंबर 1' नहीं बन सके गोविंदा, कैसे मारी सलमान और शाहरुख ने बाज़ी?". न्यूज़ 18. 22 जून 2018. मूल से 6 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2018.