डॉ मीरा शुक्ला भारत की एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो महिलाओं के जीवन में सुधार के लिए काम कर रही है। वह मुख्य रूप से आदिवासी जिले (जैसे- सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया, कवर्धा , जशपुर, बलरामपुर) छत्तीसगढ़ के सैकड़ों गावों में कार्य करती है। वे मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद की अध्यक्ष है तथा संस्था द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही योजनाएं जैसे बाल गृह (बालक)(6 वर्ष- 18 वर्ष), बाल गृह (बालिका)(6 वर्ष- 18 वर्ष), स्वाधार गृह(18 वर्ष- 55 वर्ष) (जिसमें संकट ग्रसित महिलाओं एवं लड़कियां रहती है), । टूटते हुए परिवारों को जोड़ना एवं उनके दांपत्य जीवन में वापस खुशियां लौटना भी उनके मुख्य कार्यों में से एक है। उनके योगदान के लिये उन्हें बेस्ट वूमेन इंपावरमेंट के लिए नेशनल एक्सीलेंसी अवार्ड एवं महिलाओं एवं बच्चों पर उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

डॉ मीरा शुक्ला
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डॉ मीरा शुक्ला
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जन्म 10 मई 1968
भोपाल मध्यप्रदेश भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा स्नातकोत्तर एवं पीएचडी
पेशा भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता
जीवनसाथी श्री सुशील शुक्ला
वेबसाइट
http://drmeerashukla.com/

जीवन परिचय संपादित करें

डॉ मीरा शुक्ला का जन्म भोपाल,मध्यप्रदेश में हुआ वे मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद की अध्यक्ष है। उन्होंने मास्टर डिग्री (एमए) एवं (एम एस डब्लू ) तथा डॉक्टरेट की डिग्री (पी एच डी) प्राप्त की। पिछले 25 वर्षो से निरंतर समाज सेवा के क्षेत्र में सेवा देते हुए हजारों लोगों के सामाजिक व् आर्थिक स्तर में प्रभावपूर्ण उत्थान लाया गया है। डॉ मीरा शुक्ला ने वर्ष 1994 में शासकीय नौकरी से इस्तीफा देने के बाद लोगों की मदद करना ही अपनी जिंदगी का लक्ष्य बना लिया।


डा० मीरा शुक्ला नारी जगत की एक गौरवमयी स्तम्भ है। इनका जीवन समाजसेवा में रच बस गया है। विगत पच्चीस वर्षों से छत्तीसगढ़ के सरगुजा, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, रायगढ, कर्वधा, जशपुर, बलरामपुर जिलों में इनके द्वारा समाज सेवा के अनेकों अनुकरणीय कार्य किये गये हैं। अंचल की प्रख्यात समाज सेवी संस्था मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद की स्थापना इनके द्वारा की गई है। आज इस संस्था के माध्यम से अनेकानेक स्व सहायता समूह स्वावलम्बन की अनेक योजनाये, बालिकाह स्वाधारगृह चल रहे हैं। संकटग्रस्त महिलाओं तथा बालिकाओं को संकटमुक्त कर उनके जीवन को नयी ज्योति देना इनका परम उद्देश्य तथा लक्ष्य है। इन्होने अपने परामर्श के माध्यम से अनेक टूटे हुये बिखरे हुये परिवारों को बसाया है, जो आज सुखमय जीवन जी रहे हैं। इनके जीवन की सच्चाई यह है कि इन्होने अपना जीवन समाज सेवा के लिये ही अर्पित कर दिया है। बालक बालिकाओं की भारी संख्या है जो इन्हें अपनी माँ मानते हैं और माँ की तरह प्यार और व्यवहार करते हैं। अनेक महिलाओं को इन्होंने अपने प्रयास से इतना स्वावलम्बी बना दिया है कि ये महिलायें आज अपने परिवार का आर्थिक आधार बन गयी हैं। महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में इनके कार्य समाज के लिये एक अनुकरणीय गाथा है।

प्रेरणा एवं कार्य संपादित करें

उन्होंने ने आत्मविश्वास, मेहनत और लगन के दम पर समाज सेवा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। समाज सेवा के संघर्ष में कदम से कदम मिलाकर आज जिले की सैकड़ों महिलाओं ने समाज का नजरिया भी बदल दिया है।

डॉ मीरा शुक्ला को उनके पिता ने हमेशा हिम्मत से चुनौती का सामना करने की शिक्षा दी। यही वजह है आज हर परिस्थिति का सामना कर लोगों की मदद करने के लिए मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद की अध्यक्ष मीरा शुक्ला हमेशा खड़ी नजर आती हैं। डॉ मीरा शुक्ला के पिता भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार थे। उन्होंने अपने पिता को अपना आदर्श माना और फिर उन्हीं की तरह लोगों की मदद करने में जुट गई और इसी रास्ते पर आगे चल पड़ी। वर्ष 1990 में उनका विवाह अंबिकापुर में एक संयुक्त परिवार में हुआ।

साक्षरता मिशन की शासकीय नौकरी से वर्ष 1994 में इस्तीफा देने के बाद उन्होंने समाज सेवा को अपनी जिंदगी का लक्ष्य बना लिया। उन्होंने कहा कि समाज सेवा वही है जो दूसरे के आंख में आंसू न देखे। आंसू आने से पहले ही उसे रोक ले। इंसान वह है जो अपने लिए न जी कर दूसरों के लिए जीए।

30 बच्चों को गोद लेकर किया शिक्षित

मीरा ने वर्ष 1998 में उदयपुर के ग्राम सोहगा के 30 बच्चों को गोद लेकर समाजसेवा के क्षेत्र में संघर्ष की शुरूआत की। उन्होंने बताया कि उन्होंने 30 बच्चों को बिना किसी मदद के न केवल उन्हें शिक्षित किया, बल्कि उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। इनमें से अधिकांश बच्चे आज बेहतर जिंदगी जी रहे हैं।

माता-पिता ने जिन्हें छोड़ा, उन्हें दिया सहारा

मीरा आज ऐसी 50 बालिकाओं की मां बनकर देखभाल कर रही हैं, जिन्हेंं उनके माता-पिता ने भी किसी न किसी कारण से छोड़ दिया है। उन्होंने ऐसी महिलाओं को भी सहारा दिया है, जिनके गोद में बच्चे थे। लेकिन उनके पति और परिजन का कुछ पता नहीं था। कुछ ऐसी किशोरियां भी हैं, जो अनाचार की भी शिकार हो चुकी हैं। उन्होंने लगभग 200 से अधिक महिलाओं को पुनर्वास के माध्यम से सशक्त किया है।

5 महिलाओं का पुनर्विवाह भी कराया है। इसके साथ जिन्हें घर ले जाने से उनके माता पिता भी इंकार कर देते हैं, उन्हें भी पढ़ा-लिखाकर बेहतर कैरियर बनाने की सलाह देने के साथ उनका विवाह भी संपन्न कराया। आज उनके साथ 100 से अधिक महिलाएं समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। ऐसी सभी महिलाएं व बच्चियां मीरा शुक्ला को मां कह कर ही संबोधित करती हैं।

सम्मान एवं पुरस्कार संपादित करें

  • वर्ष 2021 में उत्कृष्ट कार्य के लिए 'महिला शिखर सम्मान' महिला एवं बाल कल्याण विभाग की मंत्री रमशिला साहू द्वारा मंगलवार को प्रदान किया गया।
  • वर्ष 2016 में छत्तीसगढ़ समाज कल्याण बोर्ड के द्वारा मीरा शुक्ला को 'नारी शक्ति सम्मान' से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2019 में महेज फाउंडेशन और जस्ट स्मार्ट हेल्थ एंड सोशल डेवलपमेंट फाउंडेशन की ओर से 'महिला सशक्तिकरण के लिए एनजीओ एक्सीलेंस अवार्ड' से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2018 में डाॅ. मीरा शुक्ला को महिलाओं एवं बच्चों पर उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2018 में ट्रैंड यूनियन कौंसिल के द्वारा अंतराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के उपलक्ष्य पर 'सृजन श्री सम्मान' से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2018 में वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन छत्तीसगढ़ के द्वारा महिला शिखर सम्मान समारोह पर उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया।
  • एस एच जी गठन एवं लिंकेज के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण के दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने पर नाबार्ड छत्तीसगढ़ द्वारा सम्मानित ।
  • वर्ल्ड फाउंडेशन द्वारा की मीरा शुक्ला को महिला शिखर सम्मान, उनके द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के विकास के लिए प्रदान किया गया।
  • पहचान कला साहित्य समिति की ओर से डॉ. मीरा शुक्ला को उनके उल्लेखनीय कार्य हेतू सम्मानित किया गया।

8.छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा डॉ. मीरा शुक्ला को बाल गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें बाल संरक्षण / बाल विकास / बाल कल्याण / बच्चों के सर्वोत्तम हित के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु इस सम्मान को प्रदान किया गया ।(2018-19)

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें