डोगरा-तिब्बती युद्ध
डोगरा-तिब्बत युद्ध | |||||||||
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योद्धा | |||||||||
Qing Empire | सिख साम्राज्य | ||||||||
सेनानायक | |||||||||
Daoguang Emperor Khedrup Gyatso Palden Tenpai Nyima Minister Pellhün General Pi-Hsi |
Sher Singh Dhian Singh Gulab Singh Zorawar Singh † Wazir Lakhpat Jawahir Singh Basti Ram | ||||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||||
10,000[उद्धरण चाहिए] | 4,000[1] |
डोगरा-तिब्बती युद्ध [2] [3] या चीन-सिख युद्ध [4] मई 1841 से अगस्त 1842 तक, सिख साम्राज्य के जम्मू के डोगरा सरदार गुलाब सिंह की सेनाओं और तिब्बत के लोगों के बीच लड़ा गया था जो किंग राजवंश के अन्तर्गत थे। [3] गुलाब सिंह के कमांडर सक्षम जनरल ज़ोरावर सिंह कहलुरिया थे, जिन्होंने लद्दाख की विजय के बाद, लद्दाख में व्यापार मार्गों को नियंत्रित करने के लिए अपनी सीमाओं का विस्तार करने का प्रयास किया। [3] खराब मौसम के कारण जोरावर सिंह को तकलाकोट (पुरंग) में हार का सामना करना पड़ा और वे मारे गये। [5] इसके बाद तिब्बती लद्दाख की ओर आगे बढ़े। गुलाब सिंह ने अपने भतीजे जवाहिर सिंह के नायकत्व में अतिरिक्त सेना भेजी। 1842 में चुशूल के पास लड़ाई में तिब्बत की हार हुई। 1842 में यथास्थिति बनाए रखते हुए एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। [5]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Rose, Leo E. (1960). The Role of Nepal and Tibet in Sino-Indian Relations (अंग्रेज़ी में). University of California, Berkeley. पृ॰ 309.
- ↑ Sarkees & Wayman, Resort to War (2010).
- ↑ अ आ इ Fisher, Rose & Huttenback, Himalayan Battleground (1963).
- ↑ Guo, Rongxing (2015). China's Regional Development and Tibet. Springer. पृ॰ 5. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-981-287-958-5.
- ↑ अ आ Huttenback, Gulab Singh (1961).