तारानाथ
तारानाथ (1575–1634) तिब्बती बौद्धधर्म के जोनाङ सम्प्रदाय के एक लामा थे। वे इसके सर्वश्रेष्ठ विद्वान माने जते हैं।

तारानाथ का जन्म तिब्बत में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि तारानाथ का जन्म उसी तिथि को हुआ था जिस तिथि को पद्मसम्भव जन्मे थे। उनका मूल नाम कुन-द्गा-स्नयिङ-पो था जिसका अर्थ संस्कृत के 'आनन्दगर्भ' के तुल्य है। वे बुद्धगुप्तनाथ के शिष्य थे जो भारत में जन्मे थे। [1]
तारानाथ एक श्रेष्ठ लेखक थे और अपनी विद्वता के लिये प्रसिद्ध थे। उन्होंने १४३ पन्नों में भारत में बौद्ध धर्म के इतिहास लिखा है जिसका तिब्बती में नाम dpal dus kyi 'khor lo'i chos bskor gyi byung khungs nyer mkho है। इसका जर्मन और अंग्रेजी अनुवाद हो चुका है। यह ग्रन्थ दक्षिणी एशिया में बौद्ध धर्म के इतिहास का महान ग्रन्थ है जिसमें अजातशत्रु से लेकर दिल्ली सल्तनत तक का इतिहास समाहित है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Buddhaguptanatha and the Late Survival of the Siddha Tradition in India," by David Templeman