तीसरी मंज़िल

1966 की विजय आनन्द की फ़िल्म

तीसरी मंज़िल सन् 1966 में प्रदर्शित व विजय आनन्द द्वारा निर्देशित संगीतमय-रोमांचक हिन्दी फ़िल्म है। जिसमें शम्मी कपूर, आशा पारेख, प्रेमनाथ तथा प्रेम चोपड़ा सरीखे अभिनेता मुख्य भूमिका में है।

तीसरी मंज़िल

तीसरी मंज़िल का पोस्टर
निर्देशक विजय आनन्द
लेखक नासिर हुसैन
निर्माता नासिर हुसैन
अभिनेता शम्मी कपूर
आशा पारेख
प्रेमनाथ
राज मेहरा
प्रेम चोपड़ा
लक्ष्मी छाया
छायाकार एन श्रीनिवास
संपादक विजय आनन्द
संगीतकार आर. डी. बर्मन
प्रदर्शन तिथियाँ
21 अक्टूबर, 1966
लम्बाई
175 मिनट
देश भारत भारत
भाषा हिन्दी

संक्षेप संपादित करें

एक लड़की रूपा का तीसरी मंज़िल से गिरकर खून हो जाता है। जांच-पड़ताल में पुलिस का शक उसके मित्र अनिल पर जाता है लेकिन अनिल को रूपा के मंगेतर रमेश पर संदेह होता है क्योंकि उसका रूपा से झगड़ा हुआ होता है। पुलिस को सुराग में एक कीमती कोट का बटन मिलता है जो संभवत: कातिल का है।

चरित्र संपादित करें

अभिनेता भूमिका
शम्मी कपूर अनिल कुमार "सोना"/रॉकी
आशा पारेख सुनिता
प्रेम चोपड़ा रमेश
सबीना रूपा
राज मेहरा सुनिता के पिता
प्रेमनाथ कुँवर साहब
इफ़्तेख़ार पुलिस इंस्पेक्टर
सलीम ख़ान रॉकी का मित्र
हेलन रूबी
राम अवतार रेल यात्री
ल्क्ष्मी छाया बेला
एसएन बैनर्जी होटल मैनेजर

संगीत संपादित करें

गीत गायक
"आ जा आ जा मैं हूँ प्यार तेरा" आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी
"देखिये साहिबों वो कोई और थी" आशा भोंसले, मोहम्मद रफी
"दीवाना मुझ सा नहीं इस अम्बर के नीचे" मोहम्मद रफी
"ओ हसीना ज़ुल्फ़ों वाली जानेजहाँ" मोहम्मद रफी, आशा भोंसले
"ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना रे" आशा भोंसले, मोहम्मद रफी
"तुम ने मुझे देखा, हो कर मेहर्बां" मोहम्मद रफी

रोचक तथ्य संपादित करें

  • फ़िल्म में पहले मुख्य किरदार के लिए देव आनन्द का चयन किया गया था।
  • फ़िल्म की शूटिंग के दौरान शम्मी कपूर की पत्नी गीता बाली का निधन हो गया था जिस कारण इसकी शूटिंग 3 महीने तक रुकी रही।
  • मशहूर फिल्म लेखक सलीम ख़ान ने भी इसमें छोटा-सा अभिनय किया है।

परिणाम संपादित करें

फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई। इसके संगीत की भी बहुत प्रशंसा हुई जिसकी झलक आज भी कई म्यूजिक एलबम में दिखाई पड़ती है।इसके साथ ही संगीतकार आर. डी. बर्मन संगीत की दुनिया का एक बड़ा नाम बन गए।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें