तुलसी मानस मन्दिर काशी के आधुनिक मंदिरों में एक बहुत ही मनोरम मन्दिर है। यह मन्दिर वाराणसी कैन्ट से लगभग पाँच कि॰ मि॰ दुर्गा मन्दिर के समीप में है। इस मन्दिर को सेठ रतन लाल सुरेका ने बनवाया था। पूरी तरह संगमरमर से बने इस मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा सन॒ 1964 में किया गया।[1][2]

इस मन्दिर के मध्य मे श्री राम, माता जानकी, लक्ष्मणजी एवं हनुमानजी विराजमान है। इनके एक ओर माता अन्नपूर्णा एवं शिवजी तथा दूसरी तरफ सत्यनारायणजी का मन्दिर है। इस मन्दिर के सम्पूर्ण दीवार पर रामचरितमानस लिखा गया है। दीवारों पर रामायण के प्रसिद्ध चित्रण को बहुत सुन्दर ढंग से नक्कासी किया गया है । इसके दूसरी मंजिल पर संत तुलसी दास जी विराजमान है, साथ ही इसी मंजिल पर स्वचालित श्री राम एवं कृष्ण लीला होती है। इस मन्दिर के चारो तरफ बहुत सुहावना घास (लान) एवं रंगीन फुहारा है, जो बहुत ही मनमोहक है। यहाँ अन्नकूट महोत्सव पर छप्पन भोग की झाँकी बहुत ही मनमोहक लगती है। मंदिर के प्रथम मंजिल पर रामायण की विभिन्न भाषाओं में दुर्लभ प्रतियों का पुस्तकालय मौजूद है। सम्पूर्ण मंदिर के परिधि में बहुत ही कलात्मक ढंग से ऐक पहाड़ी पर शिव जी के मूर्ति से झरने का अलौकिक छटा देखते ही बनती है। मानस मंदिर के ठीक सामने एक अत्यंत रमणीक सती रानी का मंदिर है, जिसकी देख रेख की व्यवस्था भी मानस मंदिर की प्रबंध समिति करती है ।

चित्रदीर्घा

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इन्हें भी देखें

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  1. "Tulsi Manas Mandir". Varanasi.org. मूल से 8 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि Mar 2015. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. K.B. Jindal (1955), A history of Hindi literature, Kitab Mahal, मूल से 2 जुलाई 2014 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 26 मई 2015, ... The book is popularly known as the Ramayana, but the poet himself called it the Ramcharitmanas i.e. the 'Lake of the Deeds of Rama'