दक्षिणकिरीट तारामंडल
दक्षिणकिरीट या कोरोना ऑस्ट्रेलिस एक तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने अपनी ४८ तारामंडलों की सूची में इसे शामिल किया था और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। इसे "दक्षिणकिरीट" इसलिए बुलाया जाता है ताकि इसे उत्तरकिरीट तारामंडल से भिन्न बताया जा सके।[1]
अन्य भाषाओँ में
संपादित करेंदक्षिणकिरीट तारामंडल को अंग्रेज़ी में "कोरोना ऑस्ट्रेलिस" (Corona Australis) या "कोरोना ऑस्ट्रीना" (Corona Austrina) कहते हैं, जो लातिनी भाषा से लिए गए हैं। इनका लातिनी में अर्थ "दक्षिण का मुकुट" है क्योंकि इसके मुख्य तारे एक किरीट जैसे अर्ध-चक्र की आकृति बनाते हैं। इसे फ़ारसी में भी "ताज-ए-जनूबी" (تاج جنوبی) कहते हैं, जिसका अर्थ भी "जनूब (दक्षिण) का ताज" है।
तारे
संपादित करेंदक्षिणकिरीट तारामंडल में १४ तारें हैं जिन्हें बायर नाम दिए जा चुके हैं, जिनमें से अगस्त २०११ तक किसी के भी इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ नहीं पाया गया था। इस तारामंडल में कोई भी तारा ४ खगोलीय मैग्नीट्यूड से अधिक चमक नहीं रखता। याद रहे कि मैग्नीट्यूड की संख्या जितनी ज़्यादा होती है तारे की रौशनी उतनी ही कम होती है। इसके कुछ मुख्य तारे और अन्य खगोलीय वस्तुएँ इस प्रकार हैं:
- अल्फ़ा दक्षिणकिरीट - इस तारे का बायर नाम "अल्फ़ा कोरोनाए ऑस्ट्रेलिस" (α CrA या α Coronae Australis) है, लेकिन इसे ऐल्फ़ॅक्का मरिडियाना (Alfecca Meridiana) भी कहा जाता है।
- आर॰ऍक्स॰ जे१८५६.५-३७५४ (RX J1856.5-3754) - यह एक न्यूट्रॉन तारा है। पृथ्वी से केवल २०० प्रकाश-वर्ष दूर स्थित यह हमसे सबसे समीपी न्यूट्रॉन तारों में से एक है। इसके अध्ययन से वैज्ञानिकों को शक़ है कि यह एक क्वार्क तारा है, जिसमें पदार्थ टूटकर क्वार्क नामक मूलभूत कणों की स्थिति में आ पहुंचे हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Carole Stott, Giles Sparrow. "Starfinder". Penguin, 2010. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780756670658.