देवकोट (अन्य नाम : कोटिवर्ष, देवीकोट, देओकोट) बंगाल का एक प्राचीन नगर था। यह कोटिबर्ष बिषय (आञ्चलिक विभाग) का प्रशासनिक केन्द्र था। कोटिवर्ष विषय, पुण्ड्रबर्धन भुक्ति का एक अंश था। चन्द्र, बर्मन और सेनयुग में इस पुण्ड्रबर्धन की राजधानी महास्थानगड़ थी।

देवकोट

बाणगड़, गङ्गारामपुर
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वैकल्पिक नाम कोटिवर्ष, देवीकोट, दिवकोट
स्थान गंगारामपुर, पश्चिम बंगाल, भारत
निर्देशांक 25°24′45″N 88°31′50″E / 25.41250°N 88.53056°E / 25.41250; 88.53056निर्देशांक: 25°24′45″N 88°31′50″E / 25.41250°N 88.53056°E / 25.41250; 88.53056
प्रकार ऐतिहासिक स्थान
इतिहास
स्थापित २०० ईसापूर्व

कोटिवर्ष का सर्वप्रथम उल्लेख वायुपुराण (२३।२०९) और बृहत्संहिता (११।२) में मिलता है। हेमचन्द्र (अभिधानचिन्तामणि ४।९७७) और पुरुषोत्तम (त्रिकाण्डशेष) में इस नगर को अनेक नामों से अभिहित किया गया है, जैसे – उमावन (उषावन?), बाणपुर और शोणितपुर। सन्ध्याकर नन्दी ने अपने 'रामचरित' में इस नगर के मन्दिरों और ह्रद आदि का वर्णन किया है।

वर्तमान भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालुरघाट नामक नगर से ४५ किलोमीटर दक्षिण स्थित बाणगड़ ग्राम में इस देवकोट के ध्बंसावशेष मिले हैं। कुछ लोगों का मत है कि देवकोट, राढ़ अञ्चल के अन्तर्गत था। यहाँ एक बौद्ध मठ भी था।

सन १२०४ में इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने सेन शासकों को पराजित करके बंगाल में प्रथम अफगान राज्य की स्थापना किया। उसके इस राज्य की राजधानी कभी 'लखनौती' या 'लखनावती' रहती थी और कभी देबकोट।