संहति-केन्द्र
भौतिकी में, संहतियों के किसी वितरण का संहति-केंद्र (center of mass) वह बिन्दु है जिस पर वह सारी संहतियाँ केन्द्रीभूत मानी जा सकती हैं। संहति केन्द्र के कुछ विशेष गुण हैं, उदाहरण के लिये यदि किसी वस्तु पर कोई बल लगाया जाय जिसकी क्रियारेखा उस वस्तु के संहति-केन्द्र से होकर जाती हो तो उस वस्तु में केवल स्थानातरण गति होगी (घूर्णी गति नहीं)। संहति-केन्द्र के सापेक्ष उस वस्तु में निहित सभी संहतियों के आघूर्णों (मोमेण्ट) का योग शून्य होता है। दूसरे शब्दों में, संहति-केन्द्र के सापेक्ष, सभी संहतियों की स्थिति का भारित औसत (वेटेड एवरेज) शून्य होता है।
कणों के किसी निकाय का संहति केन्द्र वह बिन्दु है जहाँ, अधिकांश उद्देश्यों के लिए, निकाय ऐसे गति करता है जैसे निकाय का सब द्रव्यमान उस बिन्दु पर संकेंद्रित हो। संहति केन्द्र, केवल निकाय के कणों के स्थिति-सदिश और द्रव्यमान पर निर्भर होता है। संहति केन्द्र पर वास्तविक पदार्थ होना अनिवार्य नहीं है (जैसे, एक खोखले गोले का संहति-केन्द्र उस गोले के केन्द्र पर होता है जहाँ कोई द्रव्यमान ही नहीं है)। गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के एकसमान होने की स्थिति में कभी-कभी इसे गलती से गुरुत्वाकर्षण केन्द्र भी कहा जाता है। किसी वस्तु का रेखागणितीय केन्द्र, द्रव्यमान केन्द्र तथा गुरुत्व केन्द्र अलग-अलग हो सकते हैं।
संवेग-केन्द्रीय निर्देश तंत्र वह निर्देश तंत्र है जिसमें निकाय का द्रव्यमान केन्द्र स्थिर है। यह एक जड़त्वीय फ्रेम (India from )है। एक द्रव्यमान-केन्द्रीय निर्देश तंत्र वह तंत्र है जहाँ द्रव्यमान केन्द्र न केवल स्थिर है बल्कि निर्देशांक निकाय के मूल बिन्दु पर स्थित है। जडत्व =द्रव्यमान
परिभाषा
संपादित करेंकणों के किसी निकाय का संहति केंद्र, , कणों की स्थिति के भारित माध्य के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। अर्थात्, किसी वस्तु या वस्तुओं के निकाय के संहति-केन्द्र की स्थिति निम्नलिखित सूत्र (परिभाषा) से निकाली जा सकती है-
जहाँ k-वें कण का स्थिति-सदिश है और k-वें कण का द्रव्यमान है।
किन्तु यदि वस्तु में निहित संहतियों का वितरण सतत हो (अनन्त संहतियाँ हों) तो उपर्युक्त सूत्र निम्नलिखित रूप ले लेता है-
जहाँ:
- संहति-केन्द्र की सदिश स्थिति
यदि वस्तु या निकाय ऐसी स्थान पर स्थित है जिसके सभी बिन्दुओं पर गुरुत्व समान है तो गुरुत्व केन्द्र और संहति-केन्द्र एक ही बिन्दु पर होंगे।