द्वाराहाट
द्वाराहाट उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले की एक नगर पंचायत है जो रानीखेत से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थित है। द्वाराहाट में तीन वर्ग के मन्दिर हैं—कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव। इसके अतिरिक्त बहुत से मन्दिर प्रतिमाविहीन हैं। द्वाराहाट में मां दूनागिरी, विभांडेश्वर, मृत्युंजय और गूजरदेव का मन्दिर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
द्वाराहाट | |||||||
— नगर — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | ![]() | ||||||
राज्य | उत्तराखण्ड | ||||||
ज़िला | [[ज़िला|]] | ||||||
जनसंख्या • घनत्व |
2,749 (2011 के अनुसार [update]) • 951/किमी2 (2,463/मील2) | ||||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
2.89 km² (1 sq mi) • 1,481 मीटर (4,859 फी॰) | ||||||
विभिन्न कोड
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निर्देशांक: 29°46′34″N 79°25′36″E / 29.7759865°N 79.4267461°E
नामकरणसंपादित करें
इस नगर को इतिहास में वैराटपट्टन तथा लखनपुर समेत कई नामों से जाना जाता रहा है।
लोककथाओं मेंसंपादित करें
कुमाऊँ की एक प्रचलित लोककथा के अनुसार सम्पूर्ण उत्तराखण्ड क्षेत्र के भौगोलिक केंद्र में स्थित होने के कारण द्वाराहाट को देवताओं ने इस क्षेत्र की राजधानी के रूप में चुना था, जो सुंदरता और भव्यता में दक्षिण में स्थित कृष्ण की द्वारका के समानांतर हो। जब इस नगर की योजना शुरू हुई, तो निर्णय लिया गया कि यहां रामगंगा और कोसी नदियों का संगम बनाया जाए। देवताओं ने तुरंत गगास नदी से रामगंगा और कोसी को इसकी सूचना देने को कहा, लेकिन गगास, जो हर समय जल्दी में रहती थी, उसने स्वयं ना जाकर एक सेमल के पेड़ को रामगंगा के पास, और एक अन्य दूत को कोसी के पास भेजा, परंतु वे दोनों वहां समय पर ना पहुंच सके। सेमल का पेड़ चलते चलते थक कर एक जगह विश्राम करते हुए सो गया, और जब तक वह जागा, रामगंगा गिवाड़ पहुंच चुकी थी। दूसरा दूत भी दही खाने के चक्कर में समय पर कोसी के पास नहीं पहुंच पाया। इसी कारण द्वाराहाट इतिहास में कभी भी किसी राज्य की राजधानी नहीं बन पाया।[1]
इतिहाससंपादित करें
उत्तराखण्ड में स्थित द्वाराहाट क्षेत्र जो कि ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां का नगर व बाजार बहुत पुराना है। अब तक पुराने साहू व सुनारों की दुकानें यहां विद्यमान हैं। यहां पर कत्यूरी व चन्द शासकों द्वारा शासन किया गया था। कत्यूरी शासकों ने गढ़वाल जोशीमठ से चलकर गोमती नदी के किनारे बैजनाथ गांव के पास महादेव के पुत्र स्वामी कार्तिकेय के नाम से कार्तिकेयपुर नामक नगर बसाया जो आधुनिक समय में प्रायः लुप्त हो चुका है। कत्यूरी राज्य के टूटने पर एक पर एक वंश की राजधानी रही।
विरदेव के बाद कत्यूरी राज्य छिन्न-भिन्न हो गया और उसकी पांच-छः शाखायें अलग-अलग स्थानों पर राज्य करने लगी। दूसरे कत्यूरी ब्रहमदेव ने काली कुमाऊँ का शासन संभाला। एक शाखा डोटी में शासन करने लगी, तथा एक अस्कोट में स्थापित हुई। एक शाखा बारामण्डल अर्थात् वर्तमान अल्मोड़ा के आस-पास राज्य करने लगी। एक शाखा कत्यूर दानपुर की और पूर्ववत अधिपत्य जमाये रही और एक शाखा द्वाराहाट तथा लखनपुर में शासन करती रही। प्रायः दो सौ वर्षों तक अर्थात बारहवीं शताब्दी से लेकर चैदहवीं शताब्दी तक कत्यूरी वंश की यहीं शाखायें यत्र तत्र फैली हुई थी जिनमें परस्पर कोई विशेष सम्बन्ध नहीं था।
जनसांख्यिकीसंपादित करें
द्वाराहाट की जनसंख्या | |||
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जनगणना | जनसंख्या | %± | |
१९८१ | 2,333 | ||
१९९१ | 2,810 | 20.4% | |
२००१ | 3,092 | 10.0% | |
२०११ | 2,749 | -11.1% | |
source:[2] |
2011 की जनगणना के अनुसार, द्वाराहाट की जनसंख्या 2,749 है, जिसमें से पुरुषों की संख्या 1,378 है जबकि महिलाओं की संख्या 1,371 है।[3] द्वाराहाट नगर की साक्षरता दर 92.82% है, जो राज्य की औसत 78.82% से अधिक है।[3] पुरुषों में साक्षरता लगभग 96.93% है जबकि महिलाओं में साक्षरता दर 88.80% है।[3]
नगर की कुल आबादी में से 95.56% लोग हिंदू धर्म का जबकि 3.02% लोग इस्लाम का अभ्यास करते हैं।[3] इसके अतिरिक्त नगर में अल्प संख्या में ईसाई, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी हैं। हिंदी और संस्कृत नगर की आधिकारिक भाषाऐं हैं जबकि कुमाऊँनी यहां की स्थानीय बोली है। अंग्रेजी का भी प्रयोग होता है।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ Where Gods Dwell: Central Himalayan Folktales and Legends Archived 2018-05-09 at the Wayback Machine कुसुम बुधवार, 2010
- ↑ District Census Handbook (PDF). Dehradun: Directorate of Census Operations, Uttarakhand. पृ॰ 847. मूल से 14 नवंबर 2016 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 31 August 2016.
- ↑ अ आ इ ई "Dwarahat Population Census 2011". मूल से 10 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 मार्च 2018.