वीरेन्द्र सिंह (पहलवान)

(धीरज पहलवान से अनुप्रेषित)


वीरेन्द्र ठाकरान (धीरज पहलवान ; जन्म १९७०) भारतीय पहलवान हैं जिन्होने १९९२ में काली (Cali) में विश्व कुश्ती चम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था। १९९५ में कामनवेल्थ चम्पियनशिप में उन्होने रजत पदक जीता था (७४ किलो, फ्रीस्टाइल)। दक्षिण एशियाई चम्पियनशिप में उन्हें स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले कुश्ती मुकाबलों में वे बहुत लोकप्रिय हैं और लोग उन्हें धीरज पहलवान के नाम से पुकारते हैं।

वीरेन्द्र का जनम गुरुग्राम के निकट झाड़सा गाँव में श्री भरत सिंह ठाकरान के घर सं १९७० में हुआ। इन्होने सन १९९१ से लेकर १९९७ तक इस्लामपुर गाँव में गुगा नवमी पर होने वाले दंगल में हमेशा कुश्तिया जीती थी।

गाँव के हंसराम पहलवान और इनके पिता भरत सिंह में अच्छी दोस्ती थी। हंसराम ने उनके कुश्ती प्रेम को देखते हुए उनको स्वयं गुरु हनुमान के अखाड़े में छोड़ा। ये भी गुरु हनुमान के प्रिय शिष्यों में से एक थे। बाद में इन्होने भारतीय रेल में अपनी नोकरी की शुरुआत की। ये भारतीय रेल विभाग के उत्कृष्ठ पहलवानों में गिने जाते थे। सन १९९५ में भारत में आयोजित सैफ खेलो में स्वर्ण पदक जीता था। 1992 में इन्होने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था 1991 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में धीरज ब्रॉन्ज जीत चुके हैं। 1995 में इन्होने कॉमनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशीप में रजत पदक जीत कर भारत का नाम रोशन किया था। इनकी सगी बहन श्रीमती प्रीतम सिवाच (शादी से पहले प्रीतम ठाकरान के नाम से खेलती थी) भारतीय महिला होकी टीम की कप्तान और देश की प्रतिभावान खिलाडियों में एक रही हुयी है। कुल मिलाकर इस ठाकरान परिवार ने देश के लिए होनहार खिलाडी पैदा किये हैं।