भारतीय रेल

भारत सरकार द्वारा स्वामित्व और संचालित भारतीय राज्य स्वामित्व वाली उद्यम

भारतीय रेल (भारे), यह भारत सरकार-नियंत्रित सार्वजनिक रेलवे सेवा है। भारत में रेलवे की कुल लंबाई 115,000 किलोमीटर है। भारतीय रेल रोजाना करीब 2 करोड़ 31 लाख (लगभग पूरे ऑस्ट्रेलिया देश की जनसंख्या के बराबर) यात्रियों और 33 लाख टन माल ढोती है। भारतीय रेलवे के स्वामित्व में, भारतीय रेलवे में 12147 लोकोमोटिव, 74003 यात्री कोच और 289185 वैगन हैं और 8702 यात्री ट्रेनों के साथ प्रतिदिन कुल 13523 ट्रेनें चलती हैं। भारतीय रेलवे में 300 रेलवे यार्ड, 2300 माल ढुलाई और 700 मरम्मत केंद्र हैं। यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा है। 12.27 लाख कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी विभाग है। रेलवे विभाग भारत सरकार के मध्य रेलवे विभाग का एक प्रभाग है, जो भारत में संपूर्ण रेलवे नेटवर्क की योजना बना रहा है। रेलवे विभाग की देखरेख रेलवे विभाग के कैबिनेट मंत्री द्वारा की जाती है और रेलवे विभाग की योजना रेलवे बोर्ड द्वारा बनाई जाती है।[6]

भारतीय रेल
कंपनी प्रकाररेल मंत्रालय, भारत सरकार का विभागीय उपक्रम
उद्योगरेलवे
स्थापित8 मई, 1945.[1]
1951 में राष्ट्रीकृत.[1]
मुख्यालय
नई दिल्ली
,
भारत
सेवा क्षेत्र
भारत
प्रमुख लोग
अश्विनी वैष्णव, केन्द्रीय रेल मंत्री
• रावसाहेब पाटिल दानवे, केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री
दर्शना जरदोश, केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री
• जय वर्मा सिन्हा, रेलवे बोर्ड अध्यक्ष
उत्पादइंजने,
डबे,
अन्य वस्तूएं
सेवाएँरेल यातायात,
माल-यातायात,
अन्य सेवाएं
आयवृद्धि 189906 करोड़ (2020)[2]
कर्मचारियों की संख्या
12.27 लाख (2020)[3]
मूल कंपनीरेल मंत्रालय (भारत)
प्रभाग17 रेलवे जोन
वेबसाइटभारतीय रेल
System map
भारतीय रेल जालिका मानचित्र
अवस्थिति भारत
प्रचालन की तिथियां 8 मई 1845 (1845-05-0८)–वर्तमान
रेल गेज 1,676 मि॰मी॰ (5 फीटइंच)
1,000 मि.मी. (3 फीट 3⅜ इंच)
762 मि॰मी॰ (2 फीटइंच)
610 मि॰मी॰ (2 फीट)
विद्युतीकरण 39,866 किलोमीटर (130,794,000 फीट)[4]
लंबाई 67,415 किलोमीटर (221,178,000 फीट) (मार्ग)
95,981 किलोमीटर (314,898,000 फीट) (दौड़ पट्टी)
123,542 किलोमीटर (405,322,000 फीट) (कुल ट्रैक)[5]

यह भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक है। यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। देश के औद्योगिक और कृषि क्षेत्र की त्‍वरित प्रगति ने रेल परिवहन की उच्‍च स्‍तरीय मांग का सृजन किया है, विशेषकर मुख्‍य क्षेत्रकों में जैसे कोयला, लौह और इस्‍पात अयस्‍क, पेट्रोलियम उत्‍पाद और अनिवार्य वस्‍तुएं जैसे खाद्यान्‍न, उर्वरक, सीमेंट, चीनी, नमक, खाद्य तेल आदि।[7]

भारत में रेलवे के लिए पहली बार प्रस्ताव मद्रास में 1832 में किए गए थे.[8] भारत में पहली ट्रेन 1837 में मद्रास में लाल पहाड़ियों से चिंताद्रीपेत पुल (लिटिल माउंट)तक 25किमी चली थी. इसे आर्थर कॉटन द्वारा सड़क-निर्माण के लिए ग्रेनाइट परिवहन के लिए बनाया गया था| इसमें विलियम एवरी द्वारा निर्मित रोटरी स्टीम लोकोमोटिव प्रयोग किया गया था| 1845 में, गोदावरी बांध निर्माण रेलवे को गोदावरी नदी पर बांध के निर्माण के लिए पत्थर की आपूर्ति करने के लिए राजामुंदरी के डोलेस्वरम में कॉटन द्वारा बनाया गया था। 8 मई 1845 को, मद्रास रेलवे की स्थापना की गई, उसके बाद उसी वर्ष ईस्ट इंडिया रेलवे की स्थापना की गई। 1 अगस्त 1849 में ग्रेट इंडियन प्रायद्वीपीय रेलवे (GIPR) की स्थापना की गई संसद के एक अधिनियम द्वारा। 1851 में रुड़की में सोलानी एक्वाडक्ट रेलवे बनाया गया था। इसका नाम थॉमसन स्टीम लोकोमोटिव द्वारा रखा गया था, जिसका नाम उस नाम के एक ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर रखा गया था। रेलवे ने सोलानी नदी पर एक एक्वाडक्ट के लिए निर्माण सामग्री पहुंचाई। 1852 में, मद्रास गारंटी रेलवे कंपनी की स्थापना की गई।

सन् 1850 में ग्रेट इंडियन प्रायद्वीपीय रेलवे कम्पनी ने बम्बई से थाणे तक रेल लाइन बिछाने का कार्य प्रारम्भ किया गया था।[9] इसी वर्ष हावड़ा से रानीगंज तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। सन् 1853 में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब पहली प्रवासी ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (३४ कि॰मी॰ की दूरी) की दूरी तय की थी[8][10][11][12], अब भारतीय रेल विशाल नेटवर्क में विकसित हो चुका है।

साल २०१७ में भारतीय रेल व्यवस्था को सुधरने हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाये गए| रेल सुरक्षा निधि १००,००० करोड़ रुपये के एक कोष के साथ ५ साल की अवधि में बनाया जा राहा है| लिफ्टों और एस्केलेटर प्रदान करके ५०० से अधिक रेलवे स्टेशनों को अलग-अलग तरीके से अनुकूल बनाया जा राहा है। तीर्थयात्रा और पर्यटन के लिए समर्पित गाड़ियों को लॉन्च करने के लिए कदम उठाए जा राहा है| २०१९ तक, भारतीय रेल के सभी कोचों को जैव-शौचालयों के साथ फिट किया गया| यह कार्य पूरा हो गया है| मानव रहित रेलवे स्तरीय क्रॉसिंग को २०२० तक समाप्त किया गया| यह कार्य पूरा हो गया है|

ऐसे नेटवर्क को आधुनिक बनाने, सुदृढ़ करने और इसका विस्‍तार करने के लिए भारत सरकार निजी पूंजी तथा रेल के विभिन्‍न वर्गों में, जैसे पत्‍तन में- पत्‍तन संपर्क के लिए परियोजनाएं, गेज परिवर्तन, दूरस्‍थ/पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ने, नई लाइन बिछाने, सुंदरबन परिवहन आदि के लिए राज्‍य निधियन को आ‍कर्षित करना चाहती है। तद्नुसार भारतीय रेल में रेल प्रौद्योगिकी की प्रगति को आत्‍मसात करने के लिए अनेकानेक प्रयास किए हैं और बहुत से रेल उपकरणों जैसे रोलिंग स्‍टॉक के उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर हो गया है। यह ईंधन किफायती नई डिज़ाइन के उच्‍च हॉर्स पावर वाले इंजन, उच्‍च गति के कोच और माल यातायात के लिए आधुनिक बोगियों को कार्य में लगाने की प्रक्रिया कर रहा है। आधुनिक सिग्‍नलिंग जैसे पैनल-इंटर लॉकिंग, रूट रीले इंटर लॉकिंग, केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण, स्‍वत: सिग्‍नलिंग और बहु पहलू रंगीन प्रकाश सिग्‍नलिंग की भी शुरूआत हो चुका है।

इसके अतिरिक्‍त सरकार ने दिल्‍ली, मुंबई, चैन्नई, बैंगलूर, हैदराबाद और कोलकाता मेट्रोपोलिटन शहरों में रेल आधारित मास रेपिड ट्रांज़िट प्रणाली शुरू की है। परियोजना का लक्ष्‍य, शहरों के यात्रियों के लिए विश्‍वसनीय सुरक्षित एवं प्रदूषण रहित यात्रा मुहैया कराना है। यह परिवहन का सबसे तेज साधन सुनिश्चित करती है, समय की बचत करती एवं दुर्घटना कम करती है। इस परियोजना ने उल्‍लेखनीय प्रगति की है। विशेषकर दिल्‍ली मेट्रो रेल परियोजना का कार्य निष्‍पादन स्‍मरणीय है।

भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्‍तार हो रहा है, मान और संभावना दोनों में। उदाहरण के लिए, पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्‍त उद्यम कंपनी है, जिसकी स्‍थापना २७१ कि॰मी॰ लंबी रेल लाइंस का निर्माण, रखरखाव और संचालन करने के लिए की गई है, यह गुजरात राज्‍य में पीपावाव पत्‍तन को पश्चिमी रेल के सुरेन्‍द्र नगर जंक्‍शन से जोडती है।[13] साझेदारी के माध्यम से चयनित वस्तुओं के लिए परिवहन समाधान समाप्त करने के लिए रेलवे एकीकृत होगा|

भारत में रेल मंत्रालय, रेल परिवहन के विकास और रखरखाव के लिए नोडल प्राधिकरण है। यह विभन्‍न नीतियों के निर्माण और रेल प्रणाली के कार्य प्रचालन की देख-रेख करने में रत है।

सहायक कंपनिया

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भारतीय रेल के कार्यचालन की विभिन्‍न पहलुओं की देखभाल करने के लिए इसने अनेकानेक सरकारी क्षेत्र के उपक्रम स्‍थापित किये हैं.[14][15]:-

  • रेल इंडिया टेक्‍नीकल एवं इकोनॉमिक सर्विसेज़ लिमिटेड (आर आई टी ई एस)
  • इंडियन रेलवे कन्‍स्‍ट्रक्‍शन (आई आर सी ओ एन) अंतरराष्‍ट्रीय लिमिटेड
  • इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर एफ सी)
  • कंटनेर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सी ओ एन सी ओ आर)
  • कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (के आर सी एल)
  • इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्‍म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर सी टी सी )
  • रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (रेलटेल)
  • मुंबई रेलवे विकास कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एम आर वी सी लि)
  • रेल विकास निगम लिमिटेड (आर वी एन आई)
  • नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (ने हा स्पी रे का र्लि)
  • अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन: आरडीएसओ के अतिरिक्‍त लखनऊ में अनुसंधान और विकास स्‍कंध (आर एंड डी) भारतीय रेल का है। यह तकनीकी मामलों में मंत्रालय के परामर्शदाता के रूप में कार्य करता है। यह रेल विनिर्माण और डिज़ाइनों से संबद्ध अन्‍य संगठनों को भी परामर्श देता है। रेल सूचना प्रणाली के लिए भी केंद्र है (सीआरआईएस), जिसकी स्‍थापना विभिन्‍न कम्‍प्‍यूटरीकरण परियोजनाओं का खाका तैयार करने और क्रियान्‍वयन करने के लिए की गई है। इनके साथ-साथ छह उत्‍पादन यूनिटें हैं जो रोलिंग स्‍टॉक, पहिए, एक्‍सेल और रेल के अन्‍य सहायक संघटकों के विनिर्माण में रत हैं अर्थात, चितरंजन लोको वर्क्स; डीजल इंजन आधुनिकीकरण कारखाना; डीजल इंजन कारखाना; एकीकृत कोच फैक्‍टरी; रेल कोच फैक्‍टरी; और रेल पहिया फैक्‍टरी।

क्षेत्र तथा मंडल

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भारतीय रेलके क्षेत्र

प्रशासनिक सुविधा एवं रेलों के परिचालन की सुविधा की दृष्टि से भारतीय रेल को सत्रह क्षेत्र या जोन्स में बाँटा गया है।

क्रमांक नाम संक्षेप स्थापना समय मुख्यालय मंडल
1. उत्तर रेलवे उरे 14 अप्रैल, 1952 दिल्ली अंबाला, फिरोजपुर, लखनऊ, मुरादाबाद
2. पूर्वोत्तर रेलवे उपूरे 1952 गोरखपुर इज्जत नगर, लखनऊ, वाराणसी
3. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे पूसीरे 1958 गुवाहाटी अलीपुर द्वार, कटिहार, लामडिंग, रंगिया, तिनसुकिया
4. पूर्व रेलवे पूरे अप्रैल, 1952 कोलकाता हावड़ा, सियालदह, आसनसोल, मालदा
5. दक्षिणपूर्व रेलवे दपूरे 1955 कोलकाता आद्रा, चक्रधरपुर, खड़गपुर, राँची
6. दक्षिण मध्य रेलवे दमरे 2 अक्टूबर, 1966 सिकंदराबाद सिकंदराबाद, हैदराबाद, गुंटकल, गुंटूर, नांदेड़, विजयवाड़ा
7. दक्षिण रेलवे दरे 14 अप्रैल, 1951 चेन्नई चेन्नई, मदुरै, पालघाट, तिरुचुरापल्ली, त्रिवेंद्रम, सलेम (कोयंबतूर)
8. मध्य रेलवे मरे 5 नवंबर, 1951 मुंबई मुंबई, भुसावल, पुणे, सोलापूर, नागपुर
9. पश्चिम रेलवे परे 5 नवंबर, 1951 मुंबई मुंबई सेंट्रल, वदोदरा, रतलाम, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर
10. दक्षिण पश्चिम रेलवे दपरे 1 अप्रैल, 2003 हुबली हुबली, बैंगलोर, मैसूर
11. उत्तर पश्चिम रेलवे उपरे 1 अक्टूबर, 2002 जयपुर जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर
12. पश्चिम मध्य रेलवे पमरे 1 अप्रैल, 2003 जबलपुर जबलपुर, भोपाल, कोटा
13. उत्तर मध्य रेलवे उमरे 1 अप्रैल, 2003 इलाहाबाद इलाहाबाद, आगरा, झांसी
14. दक्षिणपूर्व मध्य रेलवे दपूमरे 1 अप्रैल, 2003 बिलासपुर बिलासपुर, रायपुर, नागपुर
15. पूर्व तटीय रेलेवे पूतरे 1 अप्रैल, 2003 भुवनेश्वर खुर्दा रोड, संबलपुर, विशाखापत्तनम
16. पूर्वमध्य रेलवे पूमरे 1 अक्टूबर, 2002 हाजीपुर दानापुर, धनबाद, मुगलसराय, सोनपुर, समस्तीपुर
17. कोंकण रेलवे† केआर 26 जनवरी, 1998 नवी मुंबई कोई नहीं

कोंकण रेलवे भारतीय रेल के एक अनुषांगिक इकाई के रूप में परंतु स्वायत्त रूप से परिचालित होनेवाली रेल व्यवस्था है जिसका मुख्यालय नवी मुंबई के बेलापुर में रखा गया है। यह सीधे रेलवे बोर्ड एवं केंद्रीय रेलमंत्री के निगरानी में काम करता है।

यद्यपि कोलकाता मेट्रो भारतीय रेल द्वारा ही संचालित होती है परंतु इसे किसी जोन में नहीं रखा गया है। प्रशासनिक रूप से इसे एक क्षेत्रीय रेलवे के रूप में देखा जाता है। हर जोन में कुछ रेलमंडल होते हैं, इस समय भारत में कुल 67 रेलमंडल है जो उपरोक्त 18 रेल-क्षेत्र (जोन) के अंतर्गत कार्य करते हैं।

रेल ईंजन निर्माण केंद्र
  • चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन (विद्युत इंजन)
  • बनारस

लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी (डीजल इंजन विधुत इंजन)

  • डीजल कम्पोनेट वर्क्स, पटियाला (डीजल इंजन के पूर्जे)
  • टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कम्पनी लिमिटेड, चितरंजन (डीजल इंजन)
  • डीजल लोकोमोटिव कंपनी, जमशेदपुर (डीजल इंजन)
  • भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, भोपाल (डीजल इंजन)
रेल डिब्बे निर्माण केंद्र
  • इंटीग्रल कोच फैक्ट्री पैराम्बूर (चेन्नई) बी.जी.डिब्बा निर्माण
  • रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला (पंजाब) बी.जी. डिब्बा निर्माण
  • चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन
  • भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड बेंगलुरु (कर्नाटक)
  • जेसफ़ एंड कंपनी लिमिटेड, कोलकाता (पं.बंगाल)
  • व्हील एंड एक्सेल, बेंगलुरु (कर्नाटक)
रेलवे प्रशिक्षण केंद्र
  • इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मेकेनिकल एंड इलिक्ट्रोनिक, इंजीनियरिंग, जमालपुर।
  • रेलवे स्टाफ कालेज, बड़ौदा
  • इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड हेली कम्यूनिकेशन, सिकंदराबाद।
  • इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, पुणे
  • इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, नासिक।

भारतीय रेल के दो मुख्‍य सेवा हैं - भाड़ा/माल वाहन और सवारी। भाड़ा खंड लगभग दो तिहाई राजस्‍व जुटाता है जबकि शेष सवारी यातायात से आता है। भाड़ा खंड के भीतर थोक यातायात का योगदान लगभग 95 प्रतिशत से अधिक कोयले से आता है। वर्ष 2002-03 से सवारी और भाड़ा ढांचा यौक्तिकीकरण करने की प्रक्रिया में वातानुकूलित प्रथम वर्ग का सापेक्ष सूचकांक को 1400 से घटाकर 1150 कर दिया गया है। एसी-2 टायर का सापेक्ष सूचकांक 720 से 650 कर दिया गया है। एसी प्रथम वर्ग के किराए में लगभग 18 प्रतिशत की कटौती की गई है और एसी-2 टायर का 10 प्रतिशत घटाया गया है। 2005-06 में माल यातायात में वस्‍तुओं की संख्‍या 4000 वस्‍तुओं से कम करके 80 मुख्‍य वस्‍तु समूह रखा गया है और अधिक 2006-07 में 27 समूहों में रखा गया है। भाड़ा प्रभारित करने के लिए वर्गों की कुल संख्‍या को घटाकर 59 से 17 कर दिया गया है।[16]

सवारी सेवा

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रेलगाड़िया का प्रकार

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  • गतिमान एक्सप्रेस – दिल्ली से वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी के बीच 160 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से चलने वाली रेल है। ये रेल हजरत निजामुद्दीन से वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी की 188 किमी दूरी मात्र 100 मिनट में तय कर लेती है|
  • राजधानी एक्सप्रेस – ये रेलगाड़ी भारत के मुख्य शहरों को सीधे राजधानी दिल्ली से जोडती हुयी एक वातानुकूलित रेल है इसलिए इसे राजधानी एक्सप्रेस कहते है| ये भारत की सबसे तेज रेलगाड़ियो में शामिल है जो लगभग 130-140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक चल सकती है| इसकी शुरुआत 1969 में हुयी थी|
  • शताब्दी एक्सप्रेस – शताब्दी रेल वातानुकूलित इंटरसिटी रेल है जो केवल दिन में चलती है| भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस भारत की सबसे तेज रेलों में से एक है जो दिल्ली से भोपाल के बीच चलती है| ये रेलगाड़ी 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुच सकती है| इसकी शुरुवात 1988 में हुयी थी|
  • दुरन्त एक्सप्रेस – 2009 में में शुरू हुयी यह रेल सेवा एक नॉन स्टॉप रेल है जो भारत के मेट्रो शहरों और राज्यों की राजधानियों को आपस में जोडती है| इस रेल की रफ्तार लगभग राजधानी एक्सप्रेस के बराबर है|
  • तेजस एक्सप्रेस – ये भी शताब्दी एक्सप्रेस की तरह पूर्ण वातानुकूलित रेलगाड़ी है लेकिन शताब्दी एक्सप्रेस से हटकर इसमें स्लीपर कोच भी है जो लम्बी दूरी के लिए काम आती है|
  • उदय एक्सप्रेस – दो मंजिला , पूर्ण वातानुकूलित ,उच्च प्राथमिकता , सिमीत स्टॉप , रात्रि यात्रा के लिए अच्छी है|
  • जनशताब्दी एक्सप्रेस – शताब्दी एक्सप्रेस की सस्ती किस्म , गति 130 किमी प्रति घंटा , AC और Non-AC दोनों है|
  • गरीब रथ एक्सप्रेस – वातानुकूलित, गति अधिकतम 130 किमी प्रति घंटा, साधारण कोच से लेकर 3 टियर इकॉनमी बर्थ है|
  • हमसफर एक्सप्रेस – पूर्ण वातानुकूलित 3 टियर AC कोच रेलगाड़ी
  • संपर्क क्रांति एक्स्प्रेस – राजधानी दिल्ली से जोडती सुपर एक्सप्रेस रेलगाड़ी|
  • युवा एक्सप्रेस – 60 प्रतिशत से ज्यादा सीट 18-45 साल के यात्रियों के लिए रिज़र्व है|
  • कवि गुरु एक्सप्रेस – रविन्द्रनाथ टैगोर के सम्मान में शुरू रेलगाड़ी है|
  • विवेक एक्सप्रेस – स्वामी विवेकानंद की 150वी वर्षगांठ पर 2013 में शुरू है|
  • राज्य रानी एक्सप्रेस – राज्यों की राजधानियों को महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ती रेलगाड़ी है|
  • महामना एक्सप्रेस – आधुनिक सुविधाओं युक्त रेलगाड़ी है|
  • इंटरसिटी एक्सप्रेस – महत्वपूर्ण शहरों को आपस में जोड़ने के लिए छोटे रूट वाली गाडिया है|
  • एसी एक्सप्रेस – ये पूर्ण वातानुकूलित रेलगाड़ी भारत के मुख्य शहरों को आपस में जोडती है | ये भी भारत की सबसे तेज रेलगाड़ियो से शामिल है जिसकी रफ्तार लगभग 130 किमी प्रति घंटा है|
  • डबल डेकर एक्सप्रेस – ये भी शताब्दी एक्सप्रेस की तरह पूर्ण वातानुकूलित दो मंजिला एक्सप्रेस रेल है| ये केवल दिन के समय सफर करती है और भारत की सबसे तेज रेलों में शामिल है|
  • सुपरफ़ास्ट एक्सप्रेस – लगभग 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली गाडिया है|
  • अन्त्योदय एक्सप्रेस और जन साधारण एक्सप्रेस – पूर्ण रूप से अनारक्षित रेल है|
  • पैसेंजर – हर स्टेशन पर रुकने वाली धीमी रेलगाड़ियां (40-80 किमी प्रति घंटा), जो सबसे सस्ती रेलगाड़ियां होती है|
  • सबअर्बन रेल – शहरी इलाको जैसे मुम्बई ,दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, हैदाराबाद, अहमदाबाद, पुणे आदि में चलने वाली रेलगाड़ियां, जो हर स्टेशन पर रुकती है और जिसमे अनारक्षित सीट होती है|

विश्व विरासत रेलगाड़िया

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पर्यटन रेलगाड़िय
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इतर रेलगाड़िया

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भाड़ा सेगमेंट में, IR भारत की लंबाई और चौड़ाई में औद्योगिक, उपभोक्ता और कृषि क्षेत्रों में विभिन्न वस्तुओं और ईंधनों की आपूर्ति करता है। आईआर ने माल व्यवसाय से होने वाली आय के साथ यात्री खंड को ऐतिहासिक रूप से सब्सिडी दी है। नतीजतन, माल ढुलाई सेवा लागत और वितरण की गति दोनों पर परिवहन के अन्य साधनों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं, जिससे बाजार में हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। इस नीचे की प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए, IR ने माल खंडों में नई पहल शुरू की है, जिसमें मौजूदा माल शेड को उन्नत करना, बहु-वस्तु मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स टर्मिनलों का निर्माण करने के लिए निजी पूंजी को आकर्षित करना, कंटेनर के आकार को बदलना, समय-समय पर मालवाहक गाड़ियों का परिचालन, और साथ में ट्विकिंग करना शामिल है। माल का मूल्य निर्धारण / उत्पाद मिश्रण। इसके अलावा, एंड-टू-एंड इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट सॉल्यूशंस जैसे रोल-ऑन, रोल-ऑफ (RORO) सर्विस, कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन द्वारा 1999 में फ्लैटबेड ट्रेलरों पर ट्रकों को ले जाने के लिए एक सड़क-रेल प्रणाली का नेतृत्व किया गया, अब इसे बढ़ाया जा रहा है। भारत भर में अन्य मार्गों के लिए।

शायद माल खंड में आईआर के लिए गेम चेंजर नए समर्पित फ्रेट कॉरिडोर हैं जो 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है। जब पूरी तरह से लागू किया जाता है, तो 3300 किमी के आसपास फैले नए कॉरिडोर, लंबाई में 1.5 किमी तक की गाड़ियों के ठहराव का समर्थन कर सकते हैं। 100 किलोमीटर प्रति घंटे (62 मील प्रति घंटे) की गति से 32.5 टन एक्सल-लोड। साथ ही, वे घने यात्री मार्गों पर क्षमता को मुक्त कर देंगे और आईआर को उच्च गति पर अधिक ट्रेनें चलाने की अनुमति देंगे। देश में माल ढाँचे को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त गलियारों की योजना बनाई जा रही है।

रेल मंत्रालय के तरफ से मेरी सहेली पहल की सुरुआत की गयी है महिला की सुरक्षा हेतू ।2012 मे कवच प्रणाली की सुरूवात की थी

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  1. "[IRFCA] Indian Railways FAQ: IR History: Early Days – 1". www.irfca.org. Archived from the original on 7 मार्च 2005. Retrieved 3 January 2014.
  2. "संग्रहीत प्रति" (PDF). Archived (PDF) from the original on 7 अप्रैल 2020. Retrieved 17 जून 2020.
  3. "संग्रहीत प्रति" (PDF). Archived (PDF) from the original on 7 अप्रैल 2020. Retrieved 17 जून 2020.
  4. "संग्रहीत प्रति" (PDF). Archived (PDF) from the original on 7 अप्रैल 2020. Retrieved 17 जून 2020.
  5. "संग्रहीत प्रति" (PDF). Archived (PDF) from the original on 7 अप्रैल 2020. Retrieved 17 जून 2020.
  6. "संग्रहीत प्रति" (PDF). Archived (PDF) from the original on 7 अप्रैल 2020. Retrieved 17 जून 2020.
  7. "संग्रहीत प्रति" (PDF). Archived (PDF) from the original on 7 अप्रैल 2020. Retrieved 17 जून 2020.
  8. "[IRFCA] India's First Railways". www.irfca.org. Archived from the original on 21 फ़रवरी 2018. Retrieved 2 मई 2018.
  9. भारतीय रेल के इतिहास के बारे में "History of Indian Railway in Hindi"[मृत कड़ियाँ]
  10. "164 Years Ago On This Day, India's First Train Ran From Mumbai To Thane". Archived from the original on 29 जुलाई 2017. Retrieved 2 मई 2018.
  11. "India's 1st train: When Sahib, Sindh & Sultan blew steam - Times of India". Archived from the original on 8 अगस्त 2017. Retrieved 2 मई 2018.
  12. "Facts about the Indian Railways that will surprise you!". 11 December 2015. Archived from the original on 23 जुलाई 2017. Retrieved 2 मई 2018.
  13. राष्ट्रीयकृत
  14. "Organization Structure" (PDF). Indian Railways. 2020. Archived (PDF) from the original on 7 अप्रैल 2020. Retrieved 20 June 2020.
  15. "Indian Railways Annual Publication 2018-19 - Undertakings" (PDF). 20 June 2020.{{cite web}}: CS1 maint: url-status (link)
  16. "History of Railways". www.kportal.indianrailways.gov.in. Archived from the original on 21 जुलाई 2017. Retrieved 2 मई 2018.

बाहरी कड़ियाँ

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