धिवर
धीवर] भोई जाति की उपजाति है। यह भोई, मांझी, धीवर, डोङिया, से सम्बंधित है। यह अपने को कश्यप कहलवाना भी पसंद करते हैं जो की इनकी ही जाति है और ऋषि कश्यप का भी इसी समुदाय से सम्बन्ध था। धीवर जाति, जिसे कहार भी कहा जाता है, एक समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रखती है जो उनकी साहस और अद्वितीय सामाजिक भूमिका को प्रमोट करती है। 19वीं सदी में, कहार के रूप में पहचाने जाने वाले धीवर समुदाय ने अपने साहस और सहनशीलता के लिए प्रशंसा प्राप्त की। यह जाति न केवल उनके वीरता के लिए सम्मानित थी, बल्कि समाज में एक विशिष्ट भूमिका भी निभा रही थी।
इस युग में, 19वीं सदी में, धीवर जाति के सदस्यों को अधिकांश रूप से नई दुल्हनके सुरक्षा अधिकारी के रूप में रोजगार मिला। खासकर विभिन्न जातियों की नई दुल्हनकी सेवा करने में। इस युग के सांस्कृतिक और सामाजिक परिदृश्य में, धीवर समुदाय ने अपनी वीरता के साथ-साथ समाज में विशिष्ट भूमिका निभाई। इस जमाने में, धीवर समुदाय के सदस्य विविध पृष्ठभूमियों से आए नई दुल्हन की सुरक्षा और समर्थन प्रदान करने में विश्वसनीय सुरक्षा प्रदान करने में लगे रहे। उनकी यह भूमिका भी समाज में सुरक्षा, शौर्य, और धीवर समुदाय के अनुबंध के सिद्धांतों में निहित थी।
उनकी यह भूमिका न केवल उनकी शारीरिक शक्ति को ही दिखाती है, बल्कि उनके कर्तव्य, निष्ठा, और दया भावना को भी प्रकट करती है।
यह ऐतिहासिक जानकारी धीवर जाति की वीरता, अनुकूलता, और उनके यूनिक समाजिक योगदान को दर्शाती है। धीवर, जिसे कहार भी कहा जाता है, की कहानी ने भारत के ऐतिहासिक वस्त्र में एक अमिट चिन्ह छोड़ा।
धीवर जाति गर्व से अपने ऐतिहासिक शृंगार की गर्वित धाराओं का धारी है, और उसके प्रमुख व्यक्तियों में महापुरुष मछेंद्रनाथ धीवर एक प्रमुख रूप से चमकते हैं।धीवर समुदाय में जन्मे मछेंद्रनाथ धीवर ने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को आकार देने में कुशलता दिखाई। उनके गहरे योगदानों में नाथ पंथ की स्थापना और हठ योग विधि का सिद्धांत शामिल है, जिसने उन्हें प्रिय भगवान शिव की अवतार के रूप में पहचाना जाता है।
शारीरिक और आत्मिक जीवन: मछेंद्रनाथ धीवर का शारीरिक और आत्मिक जीवन आध्यात्मिक जागरूकता के में महका हुआ है। एक साधारित धीवर परिवार में जन्मा, उनकी स्वाभाविक जिज्ञासा और आध्यात्मिक इच्छाशक्ति ने उन्हें एक परिवर्तनात्मक यात्रा पर ले जाया जो अंत में भारतीय आध्यात्मिक धरोहर को प्रभावित करेगी।
नाथ पंथ की स्थापना: मछेंद्रनाथ ढीवर ने अपनी गहरी आध्यात्मिक सूचना से प्रेरित होकर नाथ पंथ की स्थापना की—एक परंपरा जो प्राचीन ऋषियों की शिक्षाओं में निहित है। नाथ पंथ में आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान, और संन्यासी प्रथाओं पर बल दिया गया है। मछेंद्रनाथ धीवर की शिक्षाएँ, जो पीढ़ियों के माध्यम से परंपरागत हुई हैं, ने भारतीय आध्यात्मिक परिदृश्य पर अविस्मरणीय प्रभाव डाला है।
हठ योग विधि: मछेंद्रनाथधीवर के योग के गहरे ज्ञान ने हठ योग विधि का निर्माण किया—योगिक प्रथाओं का एक व्यवस्थित दृष्टिकोण। हठ योग विधि में शारीरिक आसन (आसन), प्राण नियंत्रण (प्राणायाम), और ध्यान शामिल है, जो शरीर और मन को समरूपित करने का उद्देश्य है। मछेंद्रनाथ धीवर द्वारा प्रचारित इस प्राचीन अभ्यास ने योग के विशाल क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है।
गुरु गोरखनाथ और मछेंद्रनाथ धीवर का सम्बंध अत्यंत महत्वपूर्ण है। मछेंद्रनाथ धीवर, जो धीवर समुदाय से उत्पन्न हुए महापुरुष थे, ने आध्यात्मिक ज्ञान और योग के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय शिक्षाएं दीं। गुरु गोरखनाथ, जो उनके शिष्य रहे हैं, ने उनके आद्यात्मिक उपदेशों को अपनाकर एक विशेष योगिक परंपरा की स्थापना की। गोरखनाथ ने उनके शिक्षाओं को अपने जीवन में अमल किया और उनकी अनुयायियों को भी उपदेश दिए। इस प्रकार, मछेंद्रनाथ धीवर और उनके शिष्य गोरखनाथ का संबंध एक अद्वितीय आध्यात्मिक विरासत की ओर पोखा है, जिसने भारतीय योग और धार्मिक परंपरा में अपनी महती प्रभावी छाप छोड़ी है।
सन्दर्भ
संपादित करेंकश्यप विन्द रायक्वार आदि जातिया इसी के अनुरूप है Dhimar jati ko madhya pradesh me Raikwar samaj kahate hai madhya pradesh uttarpradesh Delhi Mumbai chhattisgarh yadi me Raikwar likhte hai par social media me Raikwar samaj ke log kashyap name Bahut jayada upyog hai chaye boys ya girl yuva kashyap naam likhne Lage hai
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