नायक (2001 फ़िल्म)

हिन्दी भाषा में प्रदर्शित चलवित्र

नायक 2001 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।

नायक
चित्र:Nayak The Real Hero poster.jpg
निर्देशक एस शंकर
अभिनेता अनिल कपूर,
रानी मुखर्जी,
अमरीश पुरी,
जॉनी लीवर,
पूजा बत्रा,
सुष्मिता सेन,
रज़ाक ख़ान,
नीना कुलकर्णी,
परेश रावल,
शिवाजी साटम,
सौरभ शुक्ला,
प्रदर्शन तिथि
2001
देश भारत
भाषा हिन्दी

भूखंड संपादित करें

एक ऐसी फिल्म है जिसमें संयोग से फिल्म का हीरो बन जाता है 1 दिन का मुख्यमंत्री, और उस 1 दिन के कार्यकाल से प्रभावित होकर जनता उसे पूर्णकालिक मुख्यमंत्री बनाने की मांग करती है। फिर नायक का इनकार और इंकार के बाद जनता के दबाव में चुनाव लड़कर खुद की सरकार बनाना एक्शन ड्रामा और मधुर संगीत से सजी यह फिल्म है नायक द रियल हीरो। फिल्मों में मुख्य भूमिकाओं में हैं अनिल कपूर रानी मुखर्जी अमरीश पुरी और परेश रावल। फिल्म के हीरो हैं अभिनेता अनिल कपूर याने शिवाजीराव जो कि 1 न्यूज़ चैनल के कैमरामैन है और वीडियो शूट करते हैं और अपने साथियों के साथ अपने न्यूज़ चैनल के लिए खबरों को कवर करते हैं फिल्म में अभिनेता अमरीश पुरी बने हैं प्रदेश के मुख्यमंत्री जिनकी सरकार सहयोगी दलों की मदद से चल रही है और चीफ सेक्रेट्री है अभिनेता परेश रावल। मुख्यमंत्री जी एक दिन गांव का दौरा करते हैं उन्हें न्यूज़ कवर करते हैं। अनिल कपूर याने शिवाजीराव और उसी दौरान फिल्म में पहली बार एंट्री होती है फिल्म की हीरोइन रानी मुखर्जी याने मंजरी की। मंजरी हिम्मत करके गांव की समस्याओं को मुख्यमंत्री के सामने हिम्मत से रखती है। लेकिन सीएम के जाने के बाद गांव वाले मंजरी को ही डांटते हैं और यह सब देखकर शिवाजीराव मंजरी को दिल दे बैठते हैं। अगले दिन फिर शिवाजीराव उस लड़की से मिलने गांव पहुंच जाते हैं। फिल्म आगे बढ़ती है एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में एक सिटी बस ड्राइवर और एक स्टूडेंट के बीच मारपीट हो जाती है बात बढ़ जाती है और हंगामा होने लगता है हंगामा बढ़ते जाता है। शिवाजीराव पूरे घटनाक्रम को कवर करते रहते हैं। हजारों लोग जाम में फंस जाते हैं एंबुलेंस भी ट्रैफिक में फंस जाती है स्थिति भयावह हो जाती है इस कारण कमिश्नर सीधे मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। मुख्यमंत्री चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें अपनी सरकार गिरने का डर है। यह छोटा सा झगड़ा बढ़कर उपद्रव और लूटपाट और दंगे में बदल जाता है दंगे में कुछ लोगों की जान भी चली जाती है। शिवाजीराव पूरे घटनाक्रम को कवर करते रहते हैं जैसे तैसे मामला शांत होता है। निष्कर्ष यह निकलता है कि मुख्यमंत्री की राजनीतिक मजबूरियों और निष्क्रियता के कारण यह दंगा होता है जो धीरे धीरे शांत हो जाता है। फिल्म की स्टोरी आगे बढ़ती है। शिवाजीराव अब फिर से मंजरी को मिलने पहुंच जाते हैं उनकी मुलाकातें होती रहती है। दंगे के दौरान हिम्मत से न्यूज़ कवर करने वाले शिवाजी राव के कारण उनके चैनल की टीआरपी बढ़ती है जिससे खुश होकर शिवाजीराव को सीनियर न्यूज़ रिपोर्टर बना दिया जाता है। शिवाजीराव और मंजरी की मुलाकातें होती ही रहती है और दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ने लगता है। शिवाजीराव मंजरी के पिताजी से उसका हाथ मांगने जाते हैं लेकिन वह मना कर देते हैं। शिवाजीराव निराश होकर वापस आ जाते हैं अगले दिन न्यूज़ चैनल के बॉस शिवाजीराव को बुलाकर कहते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री का इंटरव्यू करना है शिवाजीराव को अपॉर्चुनिटी मिलती है सीएम साहब का इंटरव्यू करने की। और फिर वह दिन भी आ जाता है जब इंटरव्यू लिया जाना है प्रोग्राम का नाम है आमने-सामने। इंटरव्यू शुरू होता है जिसे लाखों लोग टीवी पर लाइव देख रहे हैं। इंटरव्यू के दौरान शिवाजीराव ऐसे ऐसे प्रश्न करते हैं कि मुख्यमंत्री जी को जवाब देते नहीं बनता शहर में हाल ही में हुए दंगे से जुड़ी बातें भी शिवाजीराव मुख्यमंत्री के सामने रखते हैं तो मुख्यमंत्री इंटरव्यू छोड़कर जाने लगते हैं। लेकिन शिवाजीराव उन्हें रोक लेते हैं गुस्से में आकर मुख्यमंत्री शिवाजीराव को एक ऐसा प्रस्ताव देते हैं कि सब आश्चर्यचकित हो जाते हैं वह शिवाजीराव को 1 दिन का मुख्यमंत्री बनने की सलाह देते हैं। अब घबराने की बारी शिवाजीराव की होती है फिर हिम्मत करके शिवाजीराव हां कह देते हैं और फिर इस तरह शिवाजीराव बन जाते हैं 1 दिन का मुख्यमंत्री। मुख्यमंत्री बनते ही शिवाजीराव तुरंत ही एक्शन मोड में आ जाते हैं। मुख्यमंत्री शिवाजीराव अलग-अलग जगहों पर पहुंचकर अधिकारियों की गलती पाए जाने पर फैसला ऑन द स्पॉट करते हैं ।शिवाजीराव गरीबों को उनके मकान दिलाते हैं और सब से अपील भी करते हैं। इधर पुराने मुख्यमंत्री शिवाजीराव की एक्टिविटीज को देखते रहते हैं ।शिवाजीराव जनता की शिकायतें भी टेलीफोन से सुनते हैं। इस तरह शिवाजीराव अस्पताल पुलिस थाना और अलग-अलग विभागों की समस्याओं को तुरंत ही निराकृत करते हैं। शिवाजीराव गुंडा तत्व को भी सबक सिखाते हैं। शिवाजी राव के तुरंत निर्णय लेने की वजह से राजस्व में भी बढ़ोतरी होती है। शिवाजीराव भ्रष्ट मंत्रियों को भी गिरफ्तार करवा देते हैं साथी पुराने मुख्यमंत्री बलराज चौहान को भी गिरफ्तार करवाते हैं। इस तरह शिवाजीराव का 1 दिन का कार्यकाल पूर्ण हो जाता है। पुराने मुख्यमंत्री बलराज चौहान वकीलों को बुलवाकर उनकी जमानत करवाने का इंतजाम करते हैं। और शिवाजीराव पर हमला करवाने का प्लान किया जाता है लेकिन शिवाजीराव खुद को किसी तरह बचा लेते हैं। शिवाजीराव अब मुख्यमंत्री नहीं है लेकिन लोग उन्हें अब पसंद करने लगे हैं उधर शिवाजीराव को मुख्यमंत्री रहने के दौरान पुराने मुख्यमंत्री की सरकार में हुए भ्रष्टाचार के कारण सभी सहयोगी पार्टियां अपना समर्थन सरकार से वापस ले लेती है और पूरी सरकार गिर जाती है। चुनाव किए जाने की घोषणा होती है।लोगों से जब पूछा जाता है कि अगला मुख्यमंत्री किसे देखना चाहते हैं तो सभी लोग एक सुर में शिवाजीराव का नाम लेते हैं। लेकिन शिवाजीराव मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते तब चीफ सेक्रेट्री शिवाजीराव को समझाते हैं। उसी समय शिवाजीराव के घर पर नगर निगम वाले आकर अतिक्रमण तोड़ देते हैं शिवाजीराव पर भी हमला किया जाता है। जनता और मीडिया शिवाजीराव पर दबाव बनाती है मुख्यमंत्री बनने के लिए और चीफ सेक्रेट्री भी शिवाजीराव को समझाते रहते हैं तब दबाव में आकर शिवाजीराव मुख्यमंत्री का चुनाव लड़ने की सहमति देते हैं। चुनाव होता है और शिवाजीराव की पार्टी बहुमत से चुनाव जीत जाती है। शिवाजीराव अब 1 दिन का मुख्यमंत्री नहीं बल्कि पूरे 5 साल के लिए मुख्यमंत्री बन जाते हैं और अपनी सरकार बनाते हैं ।अपोजिशन की सभी पार्टियां एक साथ हो जाती है और शिवाजी राव की सरकार को गिराने का साजिश रचते रहती है। शिवाजीराव मुख्यमंत्री बनने के बाद भी मंजरी को जाते रहते हैं लेकिन व्यस्तता के चलते मंजरी से मिल नहीं पाते। लोगों में जागरूकता होने के कारण अब सभी ठेकेदार और कर्मचारी अच्छे से काम करते हैं। 1 दिन शिवाजीराव सिक्योरिटी के बिना भेष बदलकर मंजरी के गांव पहुंच जाते हैं। शिवाजीराव जब मंजरी के साथ होते हैं तब तब एक बार फिर शिवाजीराव पर जानलेवा हमला करवाया जाता है जिसे देखकर मंजरी के पिताजी शिवाजीराव को शादी का मना कर देते हैं। एक दिन जब शिवाजीराव अपने मां पिताजी से मिलने उनके घर जाते हैं उसी पल उनके घर में बम फूटता है जिससे शिवाजीराव के मां पिता जी की मौत हो जाती है। शिवाजीराव गुस्से में पूर्व मुख्यमंत्री बलराज चौहान के घर जाते हैं और पुराने मुख्यमंत्री को साजिश करने का जिम्मेदार बताते हैं। उधर सभी अपोजिशन पार्टियां लॉ एंड ऑर्डर बिगाड़ने की साजिश रचते रहते हैं। इसी कारण शहर में 5 जगहों पर बम फिट करवाए जाते हैं। किसी तरह साजिश का खुलासा हो जाता है और खुद मुख्यमंत्री अपनी टीम के साथ मिलकर बमों को डिफ्यूज करती है। शिवाजीराव पर बलराज चौहान आरोप लगाते हैं कि बम शिवाजी राव ने लगवाए हैं जिससे शिवाजीराव काफी आहत होते हैं और पुराने मुख्यमंत्री बलराज चौहान को अपने ऑफिस बुलाते हैं। जहां पर शिवाजीराव स्वयं पर अपने हाथ पर गोली चलाते हैं और बंदूक बलराज चौहान के हाथ में दे देते हैं इसी बीच गोली की आवाज सुनकर सिक्योरिटी आ जाती है और बलराज चौहान को गोलियों से भून दिया जाता है। इस तरह बुराई का अंत होता है बाद में शिवाजीराव अपने राज्य को काफी खुशहाल कर देते हैं इस तरह एक साधारण व्यक्ति बन जाता है जनता का नायक द रियल हीरो।

मुख्य कलाकार संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें