नारियल का दूध एक मीठा, दूधिये रंग का भोजन पकाने का माध्यम होता है जो एक परिपक्व नारियल के गूदे से निकाला जाता है। इस दूध के रंग और मीठे स्वाद का श्रेय इसमें उपस्थित उच्च शर्करा स्तर और तेल को दिया जा सकता है। कोकोनट मिल्क शब्द कोकोनट वाटर (कोकोनट जूस) से भिन्न है, कोकोनट वाटर या कोकोनट जूस नारियल के अन्दर प्राकृतिक रूप से बनने वाला तरल पदार्थ होता है।[1]

नारियल का दूध.

बनाने की विधि

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नारियल का दूध दो प्रकार का होता है: गाढ़ा और पतला . गाढ़ा दूध कद्दूकस किये गए नारियल के गूदे को सीधे मलमल के कपड़े से निचोड़कर प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार निचोड़ा गया नारियल का गूदा अब हल्के गर्म पानी में भिंगाया जाता है और फिर पतला नारियल का दूध प्राप्त करने के लिए इसे पुनः दो या तीन बार निचोड़ा जाता है। इस दूध का प्रयोग मुख्यतः मिठाई और गरिष्ठ सूखी चटनी बनाने के लिए किया जाता है। पतले दूध का प्रयोग सूप तथा सामान्य व्यंजन बनाने में किया जाता है। पश्चिमी देशों में सामान्यतया इस प्रकार का कोई विभेद नहीं होता क्योंकि वहां आमतौर पर नारियल के दूध का उत्पादन नहीं होता और अधिकांश उपभोक्ता नारियल का दूध टिन के डिब्बों (कैन) के रूप में खरीदते हैं। कैन में बिकने वाले नारियल के दूध के उत्पादनकर्ता आम तौर पर गाढ़े और पतले दूध को पानी के साथ मिला देते हैं, जहां पानी का इस्तेमाल मात्रा को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

दूध के ब्रांड और उसके बनाये जाने के समय के आधार पर, गाढ़े मिश्रण जैसी मोटी परत कैन के ऊपरी सतह पर तैरती रहती है और कभी-कभी इसे अलग करके उन व्यंजनों को बनाने में प्रयोग किया जाता है जिनमें नारियल के दूध के स्थान पर नारियल की मलाई का प्रयोग होता है। खोलने से पहले कैन को अच्छी तरह हिला देने से इसके अन्दर का दूध एक समान गाढ़े मिश्रण जैसा हो जाता है। पश्चिमी देशों में बेचे जाने वाले कुछ ब्रांड कैन के अन्दर दूध की परत को अलग हो जाने से रोकने के लिए दूध को गाढ़ा करने वाला पदार्थ इसमें मिलाते हैं, क्योंकि इस प्रकार दूध की मोटी परत के अलग हो जाने से वे लोग इसे दूध के ख़राब होने का संकेत समझ सकते हैं जिन्हें नारियल के दूध के सम्बन्ध में जानकारी नही है।

नारियल के दूध के कैन को अवश्य ही रेफ्रिजरेटर में रख देना चाहिए, खुलने के बाद ये प्रायः कुछ समय के अन्दर ही प्रयोग करने लायक रहते हैं। यदि ऐसा नहीं किया जायेगा तो, दूध खट्टा और खराब हो सकता है।

घर पर नारियल को गर्म पानी या दूध से संसाधित करके भी नारियल का दूध तैयार किया जा सकता है, पानी या दूध इसका तैलीय अंश और इसे खुशबू देने वाले पदार्थों को शोषित कर लेते हैं। इसमें लगभग 17 प्रतिशत वसा तत्व होते हैं। जब इसे रेफ्रिजरेटर में रखकर स्थिर होने के लिए छोड़ दिया जाता है तो नारियल की मलाई दूध से अलग होकर ऊपरी सतह पर जमा हो जाती है।

नारियल के दूध का प्रयोग साधारण रूप से पीने के लिए भी किया जा सकता है, या चाय, कॉफ़ी आदि में दूध के स्थान पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। ताज़ा नारियल का दूध गाढ़ा होता है और इसका स्वाद हल्का मीठापन लिए होता है जैसे कि गाय का दूध और यदि इसे उचित तरीके से बनाया जाये तो इसमें नारियल की बिलकुल गंध नही होनी चाहिए और यदि हो भी तो बहुत हल्की होनी चाहिए. समशीतोष्ण पश्चिमी देशों में इसका प्रयोग शाकाहारी लोगों द्वारा या उन लोगों द्वारा खासतौर पर किया जाता है जिन्हें जंतुओं के दूध से एलर्जी (प्रत्यूर्जता) होती है। फलों में मिलाने के लिए और सामान्य रूप से बेकिंग में दही के स्थान पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।

भोजन बनाना

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लोमबोक, इंडोनेशिया में सेराबी बनाने के लिए नारियल का दूध कड़ाही में डाला जा रहा है।

उष्ण देशों में नारियल का दूध अधिकांश व्यंजनों में प्रयोग किया जाता है, इसका सबसे ज्यादा प्रयोग दक्षिणपूर्व एशिया (विशेष तौर पर बर्मी, कम्बोडियाई, फिलिपिनो, इण्डोनेशियाई, मलेशियाई, सिंगापुर की और थाई) और साथ ही साथ ब्राजीलियाई, कैरेबियाई, पौलिनेशियाई, भारतीय और श्रीलंका के व्यंजनों में किया जाता है। ठंडा करके संरक्षित नारियल का दूध अधिक समय तक ताज़ा बना रहता है, जो उन पकवानों के लिए आवश्य है जिनमें नारियल के स्वाद की अन्य करी वाले पकवानों और मसालेदार पकवानों से प्रतिस्पर्धा नही होती.

नारियल का दूध कई इण्डोनेशियाई, मलेशियाई और थाई करी (कढ़ी या सालन) व्यंजनों में मुख्य सामग्री के रूप में प्रयुक्त होता है। करी का मिश्रण बनाने के लिए पहले नारियल के दूध को बहुत तेज़ आंच पर गर्म किया जाता है जिससे कि दूध और मलाई अलग-अलग हो जाएं और उसका तैलीय अंश अलग हो जाये. इसके बाद करी मिश्रण इसमें डाला जाता है साथ ही साथ अन्य मसाले, मीट, सब्जियां और व्यन्जन को सजाने की सामग्री भी.

मलेशिया में चावल के साथ पकाए गए नारियल के दूध का प्रयोग नासी लेमाक बनाए में किया जाता है। यह मलय में सुबह के नाश्ते में लिया जाता है।

इंडोनेशिया में चावल के आटे के साथ नारियल का दूध, इनके पारंपरिक सेराबी केक में मुख्य सामग्री के रूप में प्रयुक्त होता है।

ब्राजील में इसका प्रयोग अधिकांशतः उत्तरपूर्वी व्यंजनों में किया जाता है, साधारण तौर पर समुद्री जीवों (क्रस्टेशियंस जैसे, झींगा और झींगा मछली, तथा अन्य मछलियां) से बनाये जाने वाले स्ट्यू और मीठे पकवानों में. विशेष रूप से, बाहिया के कई पकवानों में नारियल के दूध और ताड़ के वृक्ष से प्राप्त होने वाले तेल, दोनों का ही प्रयोग किया जाता है।

नारियल के दूध का प्रयोग पारंपरिक डेयरी उत्पादों (जैसे कि, डेयरी में न बनने वाला "दूध", "दही", "क्रीमर" और "आइसक्रीम") के कई वैकल्पिक/विस्थापित उत्पादों में शाकाहारी माध्यम के रूप में किया जाता है।

औषधीय गुण

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coconut milk, canned
प्रति परोस का पोषण मान
परोस की मात्रा 100g
ऊर्जा 197 कि॰जूल (47 किलोकैलोरी)
कार्बोहाइड्रेट 2.81g
वसा 21.33g
संतृप्त 18.915g
प्रोटीन 2.02g
विटामिन सी 1 mg (2%)
कैल्शियम 18 mg (2%)
लौह 3.30 mg (26%)
मैग्नेशियम 46 mg (12%)
फास्फोरस 96 mg (14%)
पोटैशियम 220 mg (5%)
सोडियम 13 mg (1%)
Percentages are relative to US recommendations for adults.
Source: USDA Nutrient database

आयुर्वेद में नारियल का दूध अत्यंत पोषक माना जाता है और आधुनिक समय में भी इसमें हाइपर लिपिडेमिक के संतुलन के गुण पाए जाते हैं और इसमें गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल (जठरांत्र) मार्ग और स्थानिक उपयोग में एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं।[2][3] इसका प्रयोग मुंह के छालों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।[4] चूहों पर किये गए एक अध्ययन में, दो नारियल से बने व्यंजनों (एक हल्के गर्म पानी द्वारा निकाला गया अपरिष्कृत नारियल सत्त और एक नारियल पानी से बना मिश्रण) का दवाइयों से होने वाले उदर संबंधी फोड़ों पर उनके रक्षात्मक प्रभाव के लिए अध्ययन किया गया।[5] दोनों ही पदार्थों ने फोड़ों के विरुद्ध रक्षात्मक गुण प्रदर्शित किये, जिसमें नारियल का दूध इसे 54 प्रतिशत तक घटाने की क्षमता रखता है और नारियल का पानी इसे 39 प्रतिशत तक घटाने की क्षमता रखता है।

रेनेल द्वीप पर सोलोमन द्वीप की स्थानीय रूप से किण्वित मदिरा नारियल के दूध, यीस्ट और चीनी को एक पात्र में रखकर उसमें खमीर उत्पन्न करके बनायी जाती है और इसके लिए इसे लगभग एक सप्ताह तक किसी झाड़ी में छिपाकर रख दिया जाता है। इस नारियल से बनी रम का जिक्र द स्वीट के पॉपा जो गाने में किया गया है।

ब्राजील में नारियल के दूध को चीनी और कचाका (cachaça) के साथ मिलाकर एक कॉकटेल बनाया जाता है जिसे बैटिडा डे कोको कहते हैं।

पौधों के विकास में प्रयोग

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1943 में, जोहैन्स वैन ओवरबीक ने यह खोजा कि नारियल का दूध पौधों के विकास को सक्रिय करता है। बाद में यह पता चला कि ऐसा कई कारणों के फलस्वरूप होता है, लेकिन मुख्यतः ऐसा दूध में उपस्थित साइटोकिनिन के कारण होता है जिसे जीटिन के नाम से जाना जाता है। यह कुछ पौधों में विकास को सक्रिय नहीं कर पाता जैसे मूली के पौधे में.[6] गेहूं उगाये जाने वाले स्थान के अधोस्तर में 10 प्रतिशत नारियल का दूध मिला देने से उपज में बहुत अधिक बढ़त देखी गयी।[7]

पेय पदार्थ

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दक्षिणी चीन और ताइवान में, मीठा किया गया नारियल का दूध वसंत और गर्मियों के मौसम में अकेले ही एक पेय के रूप में दिया जाता है। यह पेय नारियल का दूध बनाने की प्रक्रिया के दौरान उसमें चीनी और वाष्पित या ताज़ा दूध डालकर बनाया जाता है। एक अन्य चीनी पेय, पानी द्वारा बनाया गया नारियल का दूध है, जिसमें ताज़ा या वाष्पित दूध 1:1 के अनुपात में मिलाया जाता है और इसके प्रति कप में 1 चम्मच गाढ़ा दूध या चीनी मिलायी जाती है। ये दोनों ही पेय ठन्डे करके दिए जाते हैं। यह बिना कुछ मिलाये या सादे पानी से पतला करके पीने में भी स्वादिष्ट लगते हैं।

वे पेय जिनमें नारियल का दूध एक सामग्री के रूप में प्रयुक्त होता है, उनमें शामिल हैं

  • पीना कोलाडा और इसका अल्कोहल रहित पेय वर्जिन पीना कोलाडा (इसमें नारियल की मलाई का भी प्रयोग किया जा सकता है)
  • कौक्विटो कॉन रॉन

इन्हें भी देखें

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  • नारियल का क्रीम
  • क्रीमयुक्त नारियल
  • पौधों का दूध
  • नारियल के दूध का उपयोग कर रहे व्यंजनों की सूची
  1. "नारियल का दूध | Dictionary.com पर नारियल का दूध परिभाषित". मूल से 26 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अप्रैल 2011.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 फ़रवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अप्रैल 2011.
  3. "शीर्षकहीन-1" (PDF). मूल से 16 मई 2011 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 25 अप्रैल 2011.
  4. "मुहं के छालों के संसाधन के लिए 15 प्रभावी गृह औषधियां - मुहं के छालों के गृह औषधी\". मूल से 29 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अप्रैल 2011.
  5. नेली आरओ, वोयिके ओ ए. (2008). चूहों में नारियल के (कोकोस न्यूसीफेरा) सार के एंटी अल्सेरोजेनिक प्रभाव. फाईटोथर रेस . 22 :970-972.
  6. David W. S. Mok, Machteld C. Mok (1994). Cytokinins: Chemistry, Activity, and Function. CRC Press. पृ॰ 8. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0849362520. (गूगल बुक्स से उपलब्ध) Archived 2016-09-19 at the वेबैक मशीन
  7. Y. P. S. Bajaj (1990). Wheat. Springer. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 3540518096.

बाहरी कड़ियाँ

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