नासारंध्र (nostril) या नास कुछ प्राणियों की नाक के अंत में शरीर से बाहर खुलने वाली दो नलियों में से एक को कहते हैं। पक्षियों और स्तनधारियों में नासिकाओं में उन्हें ढांचा प्रदान करने वाली हड्डियाँ या उपास्थियाँ होती हैं, और नासिकाएँ अंदर लिए जाने वाले श्वास को गरम करती हैं और बाहर जाने वाले श्वास से नमी हटाकर उसका जल शरीर से खोए जाने से रोकती हैं। मछलियाँ अपने नाक से श्वास नहीं लेतीं, हालांकि उनमें भी दो छोटे छिद्र होते हैं जिनका प्रयोग सूंघने के लिए किया जाता है।[1]

नासारंध्र

एक स्त्री की नासारंध्र
विवरण
तंत्र घ्राण तंत्र
अभिज्ञापक
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टी ए A06.1.02.002
एफ़ एम ए 72005
शरीररचना परिभाषिकी

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Lloyd, John; Mitchinson, John (2008). The Book of General Ignorance. London: Faber and Faber. पपृ॰ 2, 299. OCLC 191753333. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-571-24139-2. मूल से 27 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 July 2011.