नीलगिरि भारत के पश्चिमी घाट की एक पर्वतमाला है। नीलगिरि, भारत के राज्य तमिलनाडु का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इस क्षेत्र में बहुत से पर्वतीय स्थल हैं जो इसे उपयुक्त पर्यटन केंद्र बनाते हैं। नीलगिरि का इतिहास 11वीं और 12वीं शताब्दी से शुरु होता है। इसका सर्वप्रथम उल्लेख शिलप्‍पदिकारम में मिलता है। नीलगिरि उन सभी शासक वंशों का हिस्सा रहा जिन्होंने दक्षिण भारत पर शासन किया।

नीलगिरि पर्वत
नीलगिरि का दृश्य
उच्चतम बिंदु
शिखरदोद्दाबेट्टा
तमिलनाडु
ऊँचाई2,637 मी॰ (8,652 फीट)
सूचीयनअल्ट्रा
नामकरण
हिन्दी अनुवादनीला परबत
भूगोल
स्थानतमिलनाडु, केरल, कर्नाटक
मातृ श्रेणीपश्चिमी घाट
भूविज्ञान
चट्टान पुरातनताअजोइक काल, 3000 से 500 मिलियन वर्ष पूर्व
पर्वत प्रकारभ्रंश पर्वत[1]
आरोहण
सरलतम मार्गNH 67 (Satellite view)
or नीलगिरि पर्वतीय रेलवे

नीलगिरि पर्वत श्रृंखला का कुछ हिस्सा तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में भी आता है। यहां की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा है जिसकी कुल ऊंचाई 2637 मीटर है। यह जिला मुख्यत: पर्वत श्रृंखला के मध्य ही स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थलों की बात करें तो नि:संदेह रूप से सबसे पहला नाम ऊटी का ही आता है। ऊटी दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख पर्वतीय स्थलों में से एक है। इसके अलावा मुदुमलाई, कूनूर आदि बहुत से खूबसूरत स्थान इस जिले में हैं।

प्रमुख आकर्षण

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सरकारी वनस्पति उद्यान

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इस उद्यान का डिजाइन मैक इवोर ने 1857-67 में बनाया था। इसके लिए उन्होंने लिंडली के प्राकृतिक सिस्टम को अपनाया। यह उद्यान एक संकरी घाटी में राजभवन के पास स्थित है लेकिन शहर से ज्यादा दूर न होने के कारण यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। 22 हैक्टेयर में फैला यह उद्यान पहाड़ी की ढ़लान पर समुद्र तल से 2400-2500 मीटर की ऊंचाई पर है। वनस्पति विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है।

यहां पर फूलों से सजे पेड़, खूबसूरत झाड़ियां, रंगबिरंगी लिलि, अद्भुत ऑर्किड आदि देखे जा सकते हैं। यह उद्यान आपको प्रकृति के करीब ले जाता है।

रोज गार्डन

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ऊटी के विजयनगर में स्थित रोज गार्डन की स्थापना 1995 में पुष्पोत्सव के दौरान की गई थी। यह उद्यान चार हैक्टेयर में फैला है। यहां पर गुलाब के फूलों की करीब 2150 प्रजातियां हैं। यह भारत का सबसे बड़ा गुलाब संग्रह है। यह उद्यान ऊटी रेलवे स्टेशन से केवल एक किमी दूर है।

इस झील का इतिहास ऊटी के इतिहास के साथ-साथ चलता है। इस झील का निर्माण 1823-1825 में कोयंबटूर के जिलाधीश जॉन सुलिवन के प्रयासों से हो पाया। ऊटी झील में बोट हाउस भी है जिसकी देखरेख तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम करता है। यहां आपको रो बोट्स, पैडल बोट्स और मोटर बोट्स मिल जाएंगी। पास बोट जेट्टी और घुड़सवारी का प्रबंध है जो बच्चों को बहुत लुभाते हैं और यहां का मुख्य आकर्षण भी हैं। यहां पर मिनी ट्रेन भी है जो लोगों का मनोरंजन करती है।

चिल्ड्रेन पार्क

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यह मनमोहक पार्क झील के पूर्वी किनारे पर बना है। यूं तो यह उद्यान बच्चों के लिए है लेकिन यहां की हरियाली और फूलों की खूबसूरती बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी अपनी ओर खींचती है। यहां से दिखने वाला झील का नजारा इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। यहां से दिखाई देती सेंट थॉमस चर्च, बोटिंग और घुड़दौड़ इसके आकर्षण को और भी बढ़ाता है। यही सब मिलकर इस उद्यान को इतना आकर्षक बनाते हैं।

केट्टी वेली व्यू

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कूनूर जाने वाले मार्ग पर स्थित केट्टी वेली व्यू दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी घाटी है। यह शांत स्थान छोटे-छोट गांवों का समूह है जो यहां से लेकर कोयंबटूर के मैदानों और मैसूर के पठार तक फैले हुए हैं।

डोड्डाबेट्टा

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ऊटी से लगभग आठ किलोमीटर दूर स्थित डोड्डाबेट्टा नीलगिरि जिले की सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 2637 मीटर है। क्लब हिल, एल्का हिल, स्नो हिल के साथ मिलकर डोड्डाबेट्टा उद्गमंडलम घाटी का निर्माण करते हैं।

प्यकरा जिले की सबसे बड़ी नदी है। तोडा इस नदी को बहुत पवित्र मानते हैं। यह नदी मुकुर्ति चोटी से निकलती है। पहाड़ी रास्तों से होती हुई यह नदी पठार की चोटी पर पश्चिम की ओर मुड़ जाती है। इसके अंतिम दो झरने 55 मीटर और 61 मीटर ऊंचें हैं जिन्हें प्यकरा फॉल्स के नाम से जाना जाता है। यह स्थान ऊटी से करीब 20 किलोमीटर दूर है। तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम ने प्यकरा बांध पर एक मनमोहक बोट हाउस का प्रबंध किया रुगन मंदिर

भगवान मुरुगन को समर्पित यह मंदिर एल्का पहाड़ी पर स्थित है। जनवरी और फरवरी में थाईपसम उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। उस दौरान वे तांबे के बर्तन में दूध लाकर भगवान को चढ़ाते हैं। इनमें से कुछ के पास कवडी भी होता है जिसे वे फूलों, मोरपंखों और तांबे की घंटियों से सजाते हैं।

मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य

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दक्षिण भारत में अपनी तरह का पहला मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य केरल-कर्नाटक सीमा पर स्थित है। 321 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य के पास ही बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान है। इन दोनों उद्यानों को मोयार नदी अलग करती है। मैसूर और ऊटी को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग इस उद्यान से होकर गुजरता है।

मुदुमलाई में वन्यजीवों की अनेक प्रजातियां देखने को मिलती हैं जैसे लंगूर, बाघ, हाथी, गौर और उड़ने वाली गिलहरियां। इसके अलावा यहां अनेक प्रकार के पक्षी भी देखे जा सकते हैं जैसे मालाबार ट्रॉगन, ग्रे हॉर्नबिल, क्रेस्टिड हॉक ईगल, क्रेस्टिड सरपेंट ईगल आदि। फरवरी से जून के बीच का समय यहां आने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है।

लेडी केन्निंग सीट

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लेडी केन्निंग सीट कूनूर बस स्टेंड से करीब 8 किलोमीटर दूर है। इस स्थान का नाम वायसराय कैनिंग की पत्नी लेडी कैनिंग के नाम पर पड़ा जिन्हें इस जगह से बहुत लगाव था। यह नीलगिरि की सबसे मनोरम जगहों में से एक है। यहां से बहुत से चाय बागान, लॉम्ब्स रॉक, लैंपटन चोटी दिखाई देती है। यहां तक कि मेत्तुपलायम को भी यहां से देखा जा सकता है।

वायु मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा कोयंबतूर विमानक्षेत्र है जो ऊटी से 100 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट चेन्नई, मुंबई और बेंगलुरु से जुड़ा हुआ है। यहां से ऊटी के लिए आसानी से वाहन मिल जाएगा।

रेल मार्ग

ऊटी रेलवे स्टेशन शहर से 2 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा 46 किलोमीटर दूर मेत्तुपलायम रेलवे स्टेशन भी है।

सड़क मार्ग

नीलगिरि में सड़कों का जाल बिछा है जो ऊटी समेत जिले के अन्य शहरों को कोयंबटूर, त्रिची, बेंगलुरु, मदुरै, कन्याकुमारी, मैसूर, कालीकट और तिरुपति से जोड़ती हैं।

  1. "Application of GPS and GIS for the detailed Development planning". Map India 2000. 10 April 2000. मूल से 2008-06-03 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2011-06-05.

The District Collector, Collector's Office, Udhagamandalam, The Nilgiris District, Tamil Nadu, retrieved 9/2/2007 Welcome to Queen of Hills - The Nilgiris

बाहरी कड़ियाँ

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