नेपाल के मल्ल राजाओं की सूची
मल्ल वंश ने १२वीं से १८वीं शताब्दी तक नेपाल की नेपालमण्डल पर शासन किया। उस समय केवल इसी क्षेत्र को 'नेपाल मण्डल' कहते थे और इसके निवासियों को 'नेपामि' (नेपाल वा नेवार) कहते थे। १५वीं शताब्दी के अन्तिम समय में काठमाण्डू उपत्यका को तीन भागों में विभक्त कर दिया गया : भक्तपुर (भादगाँव वा ख्वप), काठमाण्डू (कान्तिपुर वा येँदेस) तथा पाटन (ललितपुर वा यल देस)।
१७६९ ई में गोरखा शासक पृथ्वी नारायण शाह के आक्रमण के फलस्वरूप मल्ल वंश का अन्त हो गया।
सम्पूर्ण नेपालमण्डल के मल्ल शासक
संपादित करें- अरि देव c.1201 - 1216
- अभय मल्ल c.1216 - 1235
- रणसूर c.1216
- जयदेव मल्ल c.1235 - 1258
- जयभीम देव c.1258 - 1271
- जयसिंह मल्ल c.1271 - 1274
- अनन्त मल्ल c.1274 - 1310
- जयानन्द देव c.1310 - 1320
- जयारि मल्ल c.1320 - 1344
- जयरुद्र मल्ल c.1320 - 1326
- जयराज देव c.1347 - 1361
- जयार्जुन मल्ल c.1361 - 1382
- जयास्थिति मल्ल c.1382 - 1395
- जयज्योतिर् मल्ल c.1395 - 1428
- जयकीर्ति मल्ल c.1395 - 1403
- जयधर्म मल्ल c.1395 - 1408
- जययक्ष मल्ल c.1428 - 1482
कान्तिपुर के मल्ल शासक
संपादित करें- रत्न मल्ल 1482 - 1520
- सूर्य मल्ल 1520 - 1530
- अमर मल्ल 1530 - 1538
- नरेन्द्र मल्ल 1538 - 1560
- महेन्द्र मल्ल 1560–1574
- सदाशिव मल्ल 1574–1583
- शिवसिंह मल्ल 1583–1620
- लक्ष्मीनरसिंह मल्ल 1620 - 1641
- प्रताप मल्ल 1641–1674
- चक्रवर्त्येन्द्र मल्ल 1669
- महिपतीन्द्र मल्ल 1670
- जयनृपेन्द्र मल्ल 1674–1680
- पार्थिवेन्द्र मल्ल 1680–1687
- भूपालेन्द्र मल्ल 1687–1700
- भास्कर मल्ल 1700–1714
- महेन्द्रसिंह मल्ल 1714–1722
- जगज्ज्य मल्ल 1722–1736
- जयप्रकाश मल्ल 1736–1746, 1750–1768
- ज्योतिप्रकाश मल्ल 1746–1750
राजा भास्कर मल्ल के शासन-काल में सन् 1712 ई. में बरदी (मध्य प्रदेश) के राजा रावरत्न सिंह देव, बरदी के युवराज कुँवर हृदय शाह, अगोरी-बड़हर के राजा फ़तहबहादुर शाह, अगोरी-बड़हर के युवराज कुँवर शंकर शाह एवं देवगढ़ के ताल्लुक़ेदार महाराजकुमार बाबू गजराज सिंह अपने चिरंजीव पुत्रों कुँवर मलखन सिंह और कुँवर दलखम्भन सिंह के साथ भगवान पशुपतिनाथ का दर्शन-पूजन करने हेतु नेपाल आये। फाल्गुन कृष्ण महाशिवरात्रि, विक्रमाब्द 1768 ( शनिवार, 05 मार्च, 1712 ई.) को भगवान पशुपतिनाथ का दर्शन-पूजन करने के बाद राजा रावरत्न सिंह देव की मुलाकात कान्तिपुर के प्रधानमन्त्री से हुई। कान्तिपुर के प्रधानमन्त्री ने बरदी-नरेश एवं अगोरी-बड़हर-नरेश के स्वागत में रात्रिभोज का आयोजन किया। कान्तिपुर के राजा भास्कर मल्ल एवं युवराज महेन्द्रसिंह मल्ल ने मुक्त हृदय से आतिथ्य-सत्कार किया। इसी क्रम में राजा भास्कर मल्ल ने राजा रावरत्न सिंह देव से अपनी पौत्री राजकुमारी जगतलक्ष्मी कुँवरि का विवाह चन्देल परिवार में कराने को कहा। बरदी-नरेश ने महाराजकुमार बाबू गजराज सिंह के कनिष्ठ पुत्र कुँवर दलखम्भन सिंह का नाम प्रस्तावित किया। बरदी और अगोरी के दोनों राजा तथा पारिवारिक सदस्य आदि साथ में थे ही। यह तीर्थ-यात्रा वर-यात्रा में परिणित हो गयी और कान्तिपुर की जगतलक्ष्मी देवगढ़ की राजलक्ष्मी बनकर चन्देल-परिवार में पहुँचीं। यहीं से मल्लों और चन्देलों की पारिवारिक मैत्री प्रारम्भ हुई, जो अन्तिम मल्ल-नरेश ज्योतिप्रकाश मल्ल तक बनी रही।
ललितपुर के मल्ल शासक
संपादित करें- पुरन्दर सिंह c.1580 - 1600
- हरिहर सिंह c.1600 - 1609
- शिव सिंह (कान्तिपुर के राजा) 1609 - 1620
- सिद्धिनरसिंह मल्ल 1620 - 1661
- श्रीनिवास मल्ल 1661 - 1685
- योग नरेन्द्र मल्ल 1685–1705
- लोकप्रकाश मल्ल 1705–1706
- इन्द्र मल्ल (पुरन्दर मल्ल) 1706–1709
- वीर नरसिंह मल्ल 1709
- वीर महीन्द्र मल्ल 1709–1715
- ऋद्धि नरसिंह 1715–1717
- महीन्द्र सिंह (कान्तिपुर के राजा) 1717–1722
- योगप्रकाश मल्ल 1722–1729
- विष्णु मल्ल 1729–1745
- राज्यप्रकाश मल्ल 1745–1758
- विश्वजीत मल्ल 1758–1760
- जयप्रकाश मल्ल (कान्तिपुर के राजा) 1760–1761, 1763–1764
- रणजीत मल्ल (भक्तपुर के राजा) 1762–1763
- दलमर्दन शाह 1764–1765
- तेज नरसिंह मल्ल 1765–1768
भक्तपुर के मल्ल शासक
संपादित करें- राय मल्ल 1482 - 1519
- प्राण मल्ल 1519 - 1547
- विश्व मल्ल 1547 - 1560
- त्रैलोक्य मल्ल 1560–1613
- जगज्ज्योति मल्ल 1613–1637
- नरेश मल्ल 1637–1644
- जगत प्रकाश मल्ल 1644–1673
- जीतमित्र मल्ल 1673–1696
- भूपतीन्द्र मल्ल 1696–1722
- रणजीत मल्ल 1722–1769
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- Petech, Luciano. (1984). Mediaeval History of Nepal (ca. 750-1480). 2nd ed. Serie orientale, toma 54. Rome: Institutio Italiano per il Medio ed Estremo Oriente.