पंडित कल्याणदत्तशर्मा
पंडित कल्याण दत्त शर्मा ( १९१९ -- ४ अक्टूबर २००९[1]) वेधशाला निर्माण के विशेषज्ञ थे। जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह के बाद इन्होंने भी कई वेधशालाओं का निर्माण करवाया।
- (1) जयपुर में गलता की पहाड़ियों में,
- (2) सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में,
- (3) श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली में,[2]
- (4) शांतिकुंज हरिद्वार में।
- (5) लखनऊ विश्वविद्यालय[3]
वे जयपुर वेधशाला के अध्यक्ष भी रहे। इन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।[2] इनको श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली द्वारा 'महामहोपाध्याय' पदवी से अलंकृत किया गया। सवाई जयसिंह जी के बाद वेधशाला निर्माण के एक मात्र विशेषज्ञ रहे । वेधशाला के निर्माण के हेतु इन्हें सवाई जयसिंह सम्मान भी दिया गया ।
आपका जन्म राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आभानेरी (बांदीकुई) में हुआ।
कृतियाँ
संपादित करें- महामहोपाध्याय पंडित कल्याण दत्त शर्मा द्वारा लिखित पुस्तकें-
- अनुभूत योगावली, फलित ज्योतिष[4]
- ज्योतिष पीयूष [5]
- पंचांग गणितम् (पंचांग निर्माण पद्धति)
- वेधशाला परिचय (हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत )
- Stone observatories in India [6]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Pt Kalyan Dutt Sharma passed away". मूल से 1 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 दिसंबर 2017.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 13 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 नवंबर 2017.
- ↑ काल की गणना करेगी लविवि की वेधशाला, ग्रहों की स्थिति से मिलेगी भविष्य की जानकारी
- ↑ [1][मृत कड़ियाँ] अनुभूत योगावली, फलित ज्योतिष , पंचांग गणित , वेधशाला परिचय ,
- ↑ ज्योतिष पियूष[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Stone observatories in India". मूल से 1 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 दिसंबर 2017.