पंडित तारा सिंह नरोत्तम
पंडित तारा सिंह नरोत्तम (1822–1891) पंजाबी भाषा के विद्वान थे। [2] उन्होने सिख धर्मशास्त्र एवं सिख साहित्य में बहुत योगदान दिया। उन्होने हेमकुंट की खोज की और कनखल के निर्मल पंचायती अखाड़ा के 'श्री महन्त' (प्रमुख) बने। वे सिखों के निर्मल सम्प्रदाय के थे।
पण्डित तारा सिंह नरोत्तम | |
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स्थानीय नाम | ਪੰਡਤ ਤਾਰਾ ਸਿੰਘ ਨਰੋਤਮ |
जन्म | 1822 कलमा, गुरदासपुर, पंजाब, सिख साम्राज्य |
मौत | 1891 पटियाला, पटियाला रियासत |
भाषा | पंजाबी, संस्कृत |
उल्लेखनीय कामs | गुरुमत निर्णय सागर, श्री गुरु ग्रन्थ संग्रह, गुरु ग्रन्थ कोश |
रचनाएँ
संपादित करें- मोख पंथ दा टीका (1865)
- गुरमति निरणय सागर (1877)
- अकाल मूरति प्रदरशन (1878)
- टीका सिरी-राग (1885)
- भगत बाणी सटीक (1882)
- टीका गुरभाव दीपका (1880)
- गुर गिरारथ कोश (1889)
- सुरतरु कोश (1866)
- गुर तीरथ संग्रहि (1883)
- गुरू वंश तरु दरपण (1878)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Oberoi, Harjot (1994). The Construction of Religious Boundaries: Culture, Identity, and Diversity in the Sikh Tradition. University of Chicago Press. पृ॰ 126. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780226615929.
- ↑ Singh, Trilochan (2011). The Turban and the Sword of the Sikhs: Essence of Sikhism : History and Exposition of Sikh Baptism, Sikh Symbols, and Moral Code of the Sikhs, Rehitnāmās. B. Chattar Singh Jiwan Singh. पृ॰ 14. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788176014915.