पगड़ी
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पगड़ी सिर पर बांधा जाने वाला परिधान या पहनावा है। पगड़ी धारण करना सिख लोगों के पाँच चिह्नों में से है। पगड़ी विश्व के अनेक समाजों में प्रचलित थी। भारत में भी पगड़ी का बहुत प्रचलन था और सभी वर्गों के लोग इसे धारण करते थे। अंग्रेजों के आगमन के बाद इसमें धीरे-धीरे कमी आयी। राजस्थान में पगड़ी को पगड़ी, पाग या चिरा कहा जाता था। मरूस्थल में पगड़ी तेज गर्मी से रक्षा करती है। मुगलकाल मे पगड़ी में काफी बदलाव आया। अकबर के काल में "अटपटी" पगङी प्रचलित थी। उदयपुर में अमरशाही,डूंगरपुर में उदयशाही,बूंदीमें बूंदीशाही ,जोधपुर में विजयशाही और जयपुर मे मानशाही पगड़ी प्रचलित थी। राजस्थान में ॠतुओ के अनुसार पगड़ी के रंग थे।बारिश में गहरे रंग की पगड़ी, सर्दी में गहरी लाल,गर्मी में केसरिया, और दशहरे पर मदील पगड़ी पहनी जाती थी। इन पगङियो मे सोने ,चांदी के एवं हीरे जङित तुरा,सरपेच,बालाबंदी,धुगधुगी,गोशपेच,लटकन और फतेहपेच लगाये जाते थे। [1]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Information on why Sikhs wear Turbans
- What is the purpose of wearing a Turban in Sikh Religion
- Understanding Turbans
भारतीय परिधान |
साड़ी | कुर्ता | धोती | शेरवानी | दुपट्टा | लहँगा | लुंगी | पगड़ी |
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- ↑ Sharma, G N (1968). Social Life in Mediaeval Rajasthan. Jodhpur: L N Agrawal. पपृ॰ 145, 146.