जोधपुर रियासत
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जोधपुर रियासत मारवाड़ क्षेत्र में १२५० से १९४९ तक चली रियासत थी। इसकी राजधानी वर्ष १९५० से जोधपुर नगर में रही।
लगभग 90,554 कि॰मी2 (34,963 वर्ग मील) क्षेत्रफल के साथ, जोधपुर रियासत राजपूताना की सबसे बड़ी रियासत थी। इसके अन्तिम शासक ने इसके भारत में विलय पर १ नवम्बर १९५६ को हस्ताक्षर किये।[1]
इतिहास
संपादित करेंशासकों की भारतीय सामंती राज्य के जोधपुर के थे, एक प्राचीन राजवंश की स्थापना 8 वीं सदी में. हालांकि, इस राजवंश की किस्मत द्वारा किए गए थे , राव जोधा, पहले के शासकों के राठौड़ राजवंश में जोधपुर में 1459.
राज्य ने चन्द्रसेन राठौड़ की मृत्यु के पश्चात्, अकबर के राज्य के दौरान मुगल साम्राज्य की सहायता की। १७वीं सदी के उत्तरार्द्ध में औरंगजेब के साम्राज्य में सख्त नियंत्ररण के बावजूद, राठौड़ परिवार की इस क्षेत्र में अर्ध-स्वायत्तता जारी रही। १८३० के दशक तक राज्य पर कोई ब्रितानी प्रभाव नहीं था लेकिन इसके पश्चात् मान सिंह के समय राज्य सहायक गठबंधन का हिस्सा बना और मारवाड़ (जोधपुर) के राजा देशी रियासत के रूप में शासन करते रहे।
वर्ष १९४७ में भारत की आजादी के समय जोधपुर राज्य के अन्तिम शासक महाराजा हनवंत सिंह ने भारत में विलय के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने में देरी कर दी। यहाँ तक की वो अल्परूप से पाकिस्तान में विलय का संकेत दे चुके थे, चूँकि जोधपुर की सीमा पाकिस्तान से लगती है और मुहम्मद अली जिन्ना ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें पाकिस्तान के बंदरगाह काम में लेने के लिए विश्वास दिलाया था। अन्ततः वो अपने राज्य का भारत अधिराज्य में विलय के लिए सहमत हो गये लेकिन अन्तिम समय के नाटकीय घटनाक्रम से पहले नहीं।[2][3]
जोधपुर के शासक
संपादित करेंवर्ष 1459 से 1947 तक के शासक
संपादित करेंनाम | राज्य आरम्भ | समाप्त | |
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1 राव सिंहा (1237-1273) | राव जोधा - जोधपुर के संस्थापक और राठौड़ गौत्र के १५वें मुखिया। | 12 मई 1459 | 6 अप्रैल 1489 |
2 | राव सातल - अफ़्ग़ान हमलावरों से १४० महिलाओं को बचाने में लगे घावों से मौत। | 6 अप्रैल 1489 | मार्च 1492 |
3 | राव सुजा | मार्च 1492 | 2 अक्टूबर 1515 |
4 | राव बिरम सिंह – बघा के पुत्र | 2 अक्टूबर 1515 | 8 नवम्बर 1515 |
5 | राव गंगा - राणा सांगा के भारत के सुल्तान में सहयोग। | 8 नवम्बर 1515 | 9 मई 1532 |
6 | राव मालदेव – शेरशाह सूरी के आक्रमण को सफलतापूर्वक पीछे धकेला। फेरिश्ता ने हिन्दुस्तान का सबसे प्रभावशाली शासक कहा है। | 9 मई 1532 | 7 नवम्बर 1562 |
7 | राव चन्द्र सेन – मुग़लों के साथ युद्ध में अपना अधिकतर क्षेत्र खो दिया। | 7 नवम्बर 1562 | 1565 |
8 | राजा उदय सिंह मोटा राजा – एक जागीरदार के रूप में मुग़लों ने 'राजा' पुनः स्थापित किया। | 4 अगस्त 1583 | 11 जुलाई 1595 |
9 | सवाई राजा सुरजमल | 11 जुलाई 1595 | 7 सितम्बर 1619 |
10 | महाराजा गज सिंह प्रथम – अपने आप से 'महाराजा' उपनाम लेने वाले प्रथम | 7 सितम्बर 1619 | 6 मई 1638 |
11 | महाराजा जसवंत सिंह - धर्मातपुर के युद्ध में औरंगजेब से लड़े। | 6 मई 1638 | 28 नवम्बर 1678? |
12 | राजा राय सिंह – राजा अमर सिंह के पुत्र। | 1659 | 1659 |
13 | महाराजा अजीत सिंह - औरंगजेब के साथ २५ वर्षों के युद्ध के बाद मारवाड़ के महाराजा बने। दुर्गादास राठौड़ ने इस युद्ध में मुख्य भूमिका निभाई। | 19 फ़रवरी 1679 | 24 जून 1724 |
14 | राजा इन्द्र सिंह – औरंगजेब द्वारा महाराजा अजीत सिंह के विरुद्ध घोषित किया गया लेकिन मारवाड़ में लोकप्रिय नहीं हुआ। | 9 जून 1679 | 4 अगस्त 1679 |
15 | महाराजा अभय सिंह- सरबुलंद खान को हराकर छोटे समय के लिए पूरे गुजरात पर कब्जा किया। | 24 जून 1724 | 18 जून 1749 |
16 | महाराज राम सिंह – प्रथम राज्यकाल | 18 जून 1749 | जुलाई 1751 |
17 | महाराजा बख्त सिंह- एक महान योद्धा और जनरल, उन्होंने सारबुलंद खान के सामने मारवाड़ी सेना का नेतृत्व किया और उसे हराया। गंगवाना के युद्ध में उन्होंने मुग़लों और कच्छवाहों की संयुक्त सेना को हराया। | जुलाई 1751 | 21 सितम्बर 1752 |
18 | महाराजा विजय सिंह – प्रथम राज्यकाल | 21 सितम्बर 1752 | 31 जनवरी 1753 |
19 | महाराजा राम सिंह – दूसरा राज्यकाल | 31 जनवरी 1753 | सितम्बर 1772 |
20 | महाराजा विजय सिंह – दूसरा राज्यकाल - महादजी सिंधिया से हारकर अजमेर नगर और दुर्ग को अभ्यर्पण करने को मजबूर हुये। | सितम्बर 1772 | 17 जुलाई 1793 |
21 | महाराजा भीम सिंह | 17 जुलाई 1793 | 19 अक्टूबर 1803 |
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महाराजा मान सिंह - ६ जनवरी १८१८ को ब्रिटेन के साथ संधि की। | 19 अक्टूबर 1803 | 4 सितम्बर 1843 |
23 | महाराजा सर तख्त सिंह – अहमदनगर के पूर्व शासक, अजीत सिंह का वंशज। | 4 सितम्बर 1843 | 13 फ़रवरी 1873 |
24 | महाराजा सर जसवंत सिंह द्वितीय | 13 फ़रवरी 1873 | 11 अक्टूबर 1895 |
25 | महाराजा सर सरदार सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में कर्नल | 11 अक्टूबर 1895 | 20 मार्च 1911 |
26 | महाराजा सर सुमैर सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में कर्नल | 20 मार्च 1911 | 3 अक्टूबर 1918 |
27 | महाराजा सर उमैद सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में लेफ्टिनेन्ट-जनरल | 3 अक्टूबर 1918 | 9 जून 1947 |
28 | महाराजा हनवंत सिंह – मारवाड़ के शासक (जोधपुर) | 9 जून 1947 | 15 अगस्त 1947 |
29 | महाराज गज सिंह द्वितीय - वर्तमान |
ठिकाने
संपादित करेंजोधपुर राज्य के रियासती ठिकाने रिया, बगडी, बडू, बोरावड़ , कुचामन जिलिया या अभयपुरा थे।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ William Barton, The princes of India.
- ↑ How did Maharaja of Jodhpur get convinced to be part of Independent India instead of Pakistan?
- ↑ Ramachandra Guha, India after Gandhi: The History of the World's Largest Democracy.
- जोधपुर, द्वारा प्रकाशित [एस.एल।], 1933.
- महाराजा मानसिंह जोधपुर की और अपने समय (1803-1843 A. D.), द्वारा Padmaja शर्मा. द्वारा प्रकाशित शिव लाल Agarwala, 1972.
- प्रशासन जोधपुर के राज्य, 1800-1947 A. D.द्वारा, निर्मला एम. उपाध्याय. अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों, 1973.
- मारवाड़ के तहत जसवंत सिंह, (1658-1678): जोधपुर hukumat री bahiद्वारा, सतीश चन्द्र, रघुबीर सिंह, घनश्याम दत्त शर्मा. द्वारा प्रकाशित मीनाक्षी प्रकाशन, 1976.
- जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर: रेगिस्तान राज्यों, द्वारा Kishore Singh, Karoki लुईस. चमक प्रेस लिमिटेड. 1992.
- घर के मारवाड़ की कहानी: जोधपुरद्वारा, Dhananajaya सिंह. कमल का संग्रह, रोली बुक्स, 1994. ISBN 81-7436-002-681-7436-002-6.
- आधुनिक भारतीय शासन: परंपरा, वैधता और शक्ति में जोधपुरद्वारा, Marzia Balzani. द्वारा प्रकाशित जेम्स कर्री लिमिटेड, 2003. ISBN 0-85255-931-30-85255-931-3.
- जोधपुर और बाद में मुगलों, विज्ञापन 1707-1752, द्वारा आर एस सांगवान. द्वारा प्रकाशित प्रगति प्रकाशन, 2006.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- विकिमीडिया कॉमन्स पर जोधपुर राज्य से सम्बंधित मीडिया।
- मारवाड़-जोधपुर के (वर्तमान) महाराजा गज सिंह द्वितीय का आधिकारिक जालस्थल
- रॉयलआर्क पर जोधपुर के इतिहास और वंशावली