राव जोधा
राव जोधा जी का जन्म २८ मार्च, १४१६, तदनुसार भादवा बदी 8 सं. 1472 में हुआ था। इनके पिता राव रणमल मारवाड़ के शासक थे। इन्हें जोधपुर शहर की स्थापना के लिए जाना जाता है। इन्होंने ही जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग बनवाया था।
राव जोधा | |
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जोधपुर के संस्थापक | |
शासनावधि | 1438-1489 |
पूर्ववर्ती | राव रणमल |
जन्म | २८ मार्च, १४१६ |
निधन | १५४५ |
घराना | राठौड़ |
पिता | राव रणमल |
माता | रानी अखेरकंवर (हलवद के राजा जैतसिंह झाला की पुत्री) |
इतिहास
संपादित करेंमेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था अतः मेवाड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन थे और इन्होने मेवाड़ नरेश महाराणा कुम्भा व उनकी माता सोभाग्य देवी को राव रणमल जी के विरुध बहका दिया। वि॰सं॰ 1495(1438 AD) में एक साजिश के तहत गहरी निंद में सोये राव रणमल को मार डाला गया व रावत चुडा लाखावत सिसोदिया के नेत्रत्व में मेवाड़ की सेना मंडोर पर आक्रमण कर मारवाड़ राज्य पर अधिकार जमा लिया। अपने पिता के निधन के साथ ही राव जोधा का पेत्रक राज्य भी हाथ से निकल गया, लेकिन राव जोधा ने यह कभी नहीं भुला की धरती वीरों की वधु होती है और युद्ध क्षत्रिय का व्यवसाय ।
वसुन्धरा वीरा रि वधु, वीर तीको ही बिन्द ।
रण खेती राजपूत रि, वीर न भूले बाल ।। जोधा का जन्म 1 अप्रैल 1416 को हुआ था। वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से मंडोर, कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि॰सं॰ 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों राव चांपा जी व अन्य ने सोजत, पाली, खैरवा, नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया। राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को मंडोर,मेड़ता, फलोदी,पोकरण, भाद्रजुन,सोजत,पाली, सिवाना,साम्भर,अजमेर,नागौर,डीडवाना तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया। इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, राव बीका जी ने जाग्लुदेश (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि॰सं॰ 1515 में राव जोधा ने जोधपुर के किले मेहरानगढ़की नीवं दल कर जोधपुर नगर बसाया। राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि॰सं॰ 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ ।[1]
राव जोधा की रानी जसमादे ने जोधपुर में रानीसर झील का निर्माण कराया, मारवाड़ में राव जोधा केे पश्चात् राव सातल तथा राव सूजा का नाम आता है, लेकिन इन दोनों शासकों के बाद 1515 ई. मेंं एक महत्वपूर्ण शासक राव गांगा हुुुआ |
टिप्पणी
संपादित करें- दशरथ शर्मा (1970). राजपूत इतिहास और संस्कृति पर एक व्याख्यान, दिल्ली:मोतीलाल बनारसीदास.
- सोर्स फ़ॉर प्रोजेनी'
- सोर्स फ़ॉर प्रोजेनी
बाहरी कड़ियाँ
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सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Majumdar, Ramesh Chandra; Pusalker, A. D.; Majumdar, A. K., संपा॰ (1960). The History and Culture of the Indian People. VI: The Delhi Sultanate. Bombay: Bharatiya Vidya Bhavan. पपृ॰ 355–357.
The death of Jodha in 1488 was followed by a struggle among his sons for succession ... [the nobles] consecrated Satal ... Shortly afterwards, however, Satal died ... another brother, Suja, secured the throne ... History repeated itself when Suja died in 1515 ... [Satal] fell mortally wounded in the battlefield (1491).