हैदराबाद के निजाम के पुलिस और रजाकार के द्वारा 2 सितंबर, 1947 को परकाला शहर में 22 लोगों की हत्या को परकाला नरसंहार कहा जाता है. यह नरसंहार उस लोकप्रिय आंदोलन को दबाने के लिए किया गया था जब हैदराबाद राज्य को भारत में विलय करने के चर्चा हो रही थी।[1][2]

परकाला नरसंहार
स्थान परकाला
तिथि 2 September 1947 (UTC+05:30)
लक्ष्य Civilians
हमले का प्रकार Mass murder
मृत्यु 22
घायल 150
अपराधी रजाकार, police of हैदराबाद स्टेट

इतिहास संपादित करें

भारत ब्रिटिश राज से अगस्त 15, 1947 स्वतंत्र हो गया. इसके तुरंत बाद, हैदराबाद राज्य में भी एक जनांदोलन आया की भारत के साथ जाया जय, यह आंदोलन हैदराबाद के निजाम के सत्तावादी शासन के विरुद्ध भी था। किसानों ने इसमें हिस्सा लिया.[1][3] भारतीय स्वतंत्रता का समाचार प्राप्त होने के बाद, किसानों ने निर्णय लिया की इस अवसर को मनाने के लिए राष्ट्रीय ध्वज को फहराएंगे। परन्तु निजाम की पुलिस और रज़ाकार, (एक निजी मिलिशिया) ने उन्हें रोक दिया। [4]

विरासत संपादित करें

सालों बाद, भारत के प्रधान मंत्री पी वी नरसिंह राव ने इस परकाला नरसंहार को दक्षिण का "जलियांवाला बाग" कहा।[5][4]

संदर्भ संपादित करें

  1. Rao, Gollapudi Srinivasa (3 September 2010). "Elders recount Parkal massacre". The Hindu (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 24 May 2018.
  2. Edwin, James (2 September 2016). "Nizam's tyranny recalled". The Hans India (अंग्रेज़ी में). मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 May 2018.
  3. K. Aravind, Kumar (October 2017). "Parkala Massacre". Itihasa Samachar: 19.
  4. Reddy, Krishna. "Politics Of Appeasement: Why Liberation Day Is Hushed Up In Telangana". swarajyamag.com. मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 सितंबर 2018. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "hook" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  5. "BJP to launch campaign against Seemandhra leaders' 'false propaganda'". The Hindu (अंग्रेज़ी में). 2 September 2013. मूल से 30 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 सितंबर 2018.