पर्णाहारी
प्राणी विज्ञान में पर्णाहारी (folivore) ऐसे शाकाहारी प्राणी होते हैं जो अधिकतर पत्ते खाते हैं। शिशु पत्तों को छोड़कर, पूरी तरह से विकसित पत्तों में सेलुलोस की भरमार होती है जिसे पचाना कठिन होता है। इसके अलावा कई पत्तों में विषैले पदार्थ भी पाए जाते हैं। इस कारणवश पर्णाहारी पशुओं में पचन तंत्र की नली बहुत लम्बी होती है और पचन-क्रिया धीमी होती है, जिस से वह सेलुलोस को रसायनिक क्रिया से तोड़कर हज़म कर सकें और विष भी निकालकर अलग कर सकें। नरवानर जैसे कई पर्णाहारियों में भी शिशु पत्तों को चुनकर खाने की आदत देखी गई है क्योंकि उन्हें पचाना अधिक आसान होता है।
वृक्ष-विचरणी पर्णाहारी
संपादित करेंकई स्तनधारी पर्णाहारी, जैसे कि स्लॉथ, कोआला और बंदर व लीमर की कुछ जातियाँ, आकार में बड़ी होती हैं और, अन्य वृक्ष-विचरणी प्राणियों की तुलना में, ध्यान से और धीमी गति से वृक्षों पर चढ़ती हैं।[1] शरीर-आकार और सिर व दाँतके ढांचों की समानता देखकर कुछ जीववैज्ञानिकों द्वारा यह दावा करा जाता है कि अपनी आरम्भिक स्थिति में मानवों की पूर्वज जातियाँ भी पर्णाहारी रही होंगी।[1]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ Cautious climbing and folivory: a model of hominoid differentation Archived 2020-01-10 at the वेबैक मशीन E. E. Sarmiento1 in Human Evolution Volume 10, Number 4, August, 1995