पाटीदार
पाटीदार (पटेल कुर्मी ) गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान अन्य राज्यों में निवास करने वाली जाति है।[1] पटेल उपनाम इनमें काफ़ी इस्तेमाल होता है।

उत्पत्ति
संपादित करेंपाटीदार की उत्पत्ति कुणबी से मानी गई है जो कि किसान वर्ग है। 17वीं-18वीं शताब्दी में जब मराठों का राज उत्तर की तरफ फैलने लगा तब कुणबी को उनकी सैन्य सेवा के लिये या नई जीते गए क्षेत्र के कृषक के रूप में जमीन दी गई। उन्होंने वहाँ बसे कोली के आगे वर्चस्व स्थापित कर लिया और कणबी के रूप में मुख्य कृषक जाति बन गई।[2] मराठा राज के अंतिम दिनों में कणबी को उनके मराठी और गुजराती भाषा दोनों भाषा के ज्ञान के कारण राजस्व संग्रह का कार्य दिया जाता था। इसी समय उन्हें देसाई और पटेल पदवी दी गई।[3]
राजस्व संग्रह का कार्य करके कई ने विस्तृत भूमि प्राप्त कर ली। ऐसे व्यक्तियों को सामूहिक रूप से "पाटीदार" कहा जाने लगा। पाटी का अर्थ "भूमि" और दार का "धारक" होता है।[2] यह वर्ग सामान्य लोगों का सम्मानजनक समूह बन गया और कई निम्न स्तर के समुदाय इसमें मिल गए और उनको इसमें सम्मिलित कर लिया गया।[3] काइरा जिले के चरोतर क्षेत्र (वर्तमान खेड़ा जिले में) के पाटीदारों ने अधिक महत्व ग्रहण कर लिया। वहाँ दो समूह उपजे:- कड़वा और लेउवा। जिनका नाम कथित तौर पर राम के पुत्रों लव-कुश से लिया गया है। दोनों की कुलदेवी और धार्मिक संस्थान अलग है।[4]
इतिहास
संपादित करेंब्रिटिश राज में पाटीदारों को भूमि सुधार से फायदा हुआ और उन्होंने बड़ी संपदा और सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल कर ली। [3] कुछ पाटीदार क्षत्रिय दर्जा हासिल करने के लिए ऊँची जातियों के तौर-तरीके अपनाने लगे। जैसे कि शाकाहार और विधवा का पुनर्विवाह निषेध किया जाना।[2] पाटीदार में अनुलोम विवाह का भी चलन हुआ, पाटीदार लड़कियाँ अपने से ऊँचे स्तर के लड़के साथ विवाह करती। लेकिन लड़के सिर्फ नीचे स्तर की पाटीदार लड़कियों से ही विवाह कर सकते। लड़कियों की कमी के कारण पाटीदार पिता को दहेज के साथ अपने लड़के की शादी के लिये वधू शुल्क भी देना पड़ता। कई गाँव में उन्हें गैर-पाटीदार लड़की से विवाह करना पड़ता है, जिसे पाटीदार ही माना जाता।[5]
वर्तमान
संपादित करेंइस समय में पाटीदार व्यवसाय संबंधी कार्य में लिप्त होने लगे है और अब वो वैश्य के रूप में पहचानना पसंद करते हैं।[6] 19वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका में कई पाटीदार बसे। उनके अपने राज्य गुजरात में भी पाटीदार प्रधान जाति है और हर क्षेत्र में उसका काफी प्रभुत्व है।[7]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "पाटीदार समाज ने निकाली संकल्प रैली". दैनिक भास्कर. 1 नवम्बर 2014. 28 जनवरी 2015 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 24 जनवरी 2015.
- ↑ अ आ इ Lal, Brij V (2011). A vision for change A.D. Patel and the politics of Fiji (अंग्रेज़ी भाषा में). Acton, A.C.T.: ANU E Press. p. 19. ISBN 9781921666599.
{{cite book}}
:|access-date=
requires|url=
(help) - ↑ अ आ इ Sadasivan, S.N. (2000). A social history of India (अंग्रेज़ी भाषा में). New Delhi: APH Pub. Corp. p. 257. ISBN 9788176481700.
{{cite book}}
:|access-date=
requires|url=
(help) - ↑ भायाणी, हिमांशु (6 दिसंबर 2017). "दो तरह के पटेल: कौन मोदी के साथ और कौन हार्दिक संग?". बीबीसी हिन्दी. 14 फ़रवरी 2018 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 6 फरवरी 2018.
- ↑ Mandelbaum, David G. (2003). Society in India : vol. 1. Continuity and change (अंग्रेज़ी भाषा में) (1. Indian ed., repr ed.). Bombay: Popular Prakashan. p. 107. ISBN 9788171540136.
- ↑ Basu, Pratyusha (2009). Villages, women, and the success of dairy cooperatives in India : making place for rural development (अंग्रेज़ी भाषा में). Amherst, N.Y.: Cambria Press. p. 232. ISBN 9781604976250.
{{cite book}}
:|access-date=
requires|url=
(help) - ↑ Berger, edited by Peter; Heidemann, Frank (2013). The Modern Anthropology of India Ethnography, Themes and Theory (अंग्रेज़ी भाषा में). Hoboken: Taylor and Francis. p. 72. ISBN 9781134061112.
{{cite book}}
:|access-date=
requires|url=
(help);|first1=
has generic name (help)