पावनखिंड की लड़ाई
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पावनखिंड की लड़ाई (/pɑːvundnxɪnd/i PAAVANKHIND) एक अंतिम युद्ध था जो १३ जुलै १६६० को कोल्हापुर शहर के पास विशालगढ़ किले के आसपास एक पहाड़ी दर्रे यानी 'खिण्ड' पर मराठा सेनापति बाजी प्रभु देशपांडे और शंभू सिंह जाधव द्वारा बीजापुर सल्तनत के सिद्दी मसूद के खिलाफ हुई थी। मराठा सेना के सत्यानाश और बीजापुर सल्तनत लिये एक सामरिक जीत के साथ स हो गया जो एक रणनीतिक जीत पाने में विफल रहा। [उद्धरण चाहिए]
पावनखिण्ड युद्ध | |||||||
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योद्धा | |||||||
मराठा सेना | बीजापुर सल्तनत | ||||||
सेनानायक | |||||||
बाजी प्रभु देशपाण्डे † फुलाजी प्रभु देशपानण्डे † रायाजी बाण्डल † शम्भु सिन्ह जाधव † |
सिद्दी मसौद सिद्दी जौहर |
प्रसिद्ध संस्कृति में
संपादित करें- राजा शिवछत्रपति के प्रसंगों में इस युद्ध को दर्शाया गया था
- 2022 में, के प्रसंगों में इस युद्ध को दर्शाया गया था
- 2022 में, युद्ध को दर्शाने वाली एक मराठी भाषा की पिक्चर का शीर्षक पावनखिंड है, जिसका निर्देशन दिगपाल लांजेकर ने किया है, जिसमें चिन्मय मंडलेकर ने शिवाजी और अजय पुरकर ने बाजी प्रभु देशपांडे के रूप में अभिनय किया है, जो २१ जनवरी को रिलीज़ हुई थी।[1]
यह भी देखें
संपादित करें- कोल्हापुर की लड़ाई
- पानीपत का तृतीय युद्ध
- अंतिम स्टैंड की सूची
संदर्भ
संपादित करें- ↑ "THESE character posters of Digpal Lanjekar's 'Pawankhind' will get you all excited for the film". Times of India. 28 December 2021. अभिगमन तिथि 5 January 2022.