मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह सी या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप C एक पितृवंश समूह है। इस पितृवंश समूह के सदस्य पुरुष भारत और मंगोलिया, रूस के सुदूर पूर्व, ऑस्ट्रेलिया के आदिवासियों और कोरिया में पाए जाते हैं। अनुमान है के जिस पुरुष से यह पितृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग ६०,००० वर्ष पहले भारतीय उपमहाद्वीप या मध्य पूर्व में रहता था। मानना है के जब इस पितृवंश की शुरुआत हुई तो मनाव अफ्रीका के अपने जन्मस्थल से नए-नए पूर्व की ओर निकले थे। इस पितृवंश समूह की शाखाओं के वंशजों ने आगे चलकर पूर्वी एशिया और उत्तरी अमरीका में मनुष्यों की जाती को सर्वप्रथम स्थापित किया।[1]

पितृवंश समूह सी की शुरुआत भारतीय उपमहाद्वीप या मध्य पूर्व में हुई जब मनुष्य अफ्रीका से नए-नए पूर्व की और निकले थे - इस पितृवंश की शाखाओं के वंशजों ने आगे चलकर पूर्वी एशिया और उत्तरी अमरीका को मनुष्यों से सर्वप्रथम आबाद किया

चंगेज़ ख़ान

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ऐसा माना जाता है कि मशहूर मंगोल सम्राट ओर शासक चंगेज़ ख़ान और उसके क़बीले के अन्य पुरुष इसी पितृवंश समूह सी के वंशज थे। क्योंकि इनकी सेना यूरोप और एशिया के कई भागों पर आक्रमण कर के विजयी रही इसलिए देखा गया है की उन्होंने अपने इसी पितृवंश समूह सी की उपशाखा को इस सारे क्षेत्र में फैला दिया। आज की दुनिया में सारे पुरुषों में से लगभग ०.५% (यानि आधे प्रतिशत) पुरुष इसी सेना की संतति पाए गए हैं जो प्रतिशत में छोटी लगने के बावजूद संख्या के अनुसार से बहुत ही बड़ी तादाद है।

अन्य भाषाओँ में

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अंग्रेज़ी में "वंश समूह" को "हैपलोग्रुप" (haplogroup), "पितृवंश समूह" को "वाए क्रोमोज़ोम हैपलोग्रुप" (Y-chromosome haplogroup) और "मातृवंश समूह" को "एम॰टी॰डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप" (mtDNA haplogroup) कहते हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. Zhong H, Shi H, Qi XB; et al. (2010). "Global distribution of Y-chromosome haplogroup C reveals the prehistoric migration routes of African exodus and early settlement in East Asia". J. Hum. Genet. 55 (7): 428–35. डीओआई:10.1038/jhg.2010.40. पीएमआईडी 20448651. {{cite journal}}: Explicit use of et al. in: |author= (help); Unknown parameter |month= ignored (help)CS1 maint: multiple names: authors list (link)