पुष्यभूति राजवंश
इसे बैस राजपूत राजवंश के रूप में जाना जाता है
पुष्यभूति राजवंश या वर्धन राजवंश ने भारत के उत्तरी भाग में ६ठी तथा ७वीं शताब्दी में शासन किया। इस वंश का सबसे प्रतापी तथा अन्तिम राजा हर्षवर्धन हुआ जिसके शासन काल में यह वंश अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा। भारत का अधिकांश उत्तरी तथा पश्चिमोत्तर भाग इस समय हर्ष के साम्राज्य के अन्तर्गत था। यह साम्राज्य पूर्व में कामरूप (वर्तमान में असम) से दक्षिण में नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। इसकी राजधानी कन्नौज थी। इस वंश का शासन ६४७ई तक रहा।[1]
पुष्यभूति राजवंश | |||||
| |||||
पुष्यभूति राजवंश का राज्यक्षेत्र आधुनिक समय के थानेसर के चारों ओर स्थित था। (ऊपर का मानचित्र)
अपने चरमोत्कर्ष के समय पुष्यभूति साम्राज्य का विस्तार (हर्ष का साम्राज्य) (नीचे वाला मानचित्र) | |||||
राजधानी | थानेसर कन्नौज | ||||
शासन | राजतन्त्र | ||||
इतिहास | |||||
- | स्थापित | ६ठी शताब्दी | |||
- | अंत | ७वीं शताब्दी | |||
Warning: Value specified for "continent" does not comply |
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ International Dictionary of Historic Places: Asia and Oceania by Trudy Ring, Robert M. Salkin, Sharon La Boda p.507
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
बाहरी कड़ियाँसंपादित करें
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |