पैन ऍम उड़ान ७३
इस लेख को हिन्दी में अनूदित करने की आवश्यकता है। यह लेख हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भाषा में लिखा है। यदि यह लेख उस भाषा के समुदाय के लिए बनाया गया है, इसका योगदान उस भाषा के विकिपीडिया में किया जाना चाहिए। विकिपीडियाओं की सूची देखें। |
पैन ऍम उड़ान ७३, पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज़ की एक बोइंग 747-121 उड़ान थी, जिसका 5 सितंबर, 1986 को पाकिस्तान के कराची में अबु निदाल ऑर्गेनाइज़ेशन के चार हथियारबंद फिलिस्तीनी उग्रवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था। ३६० यात्रियों को ले जा रहा यह जहाज मुंबई के सहर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से कराची के जिन्नाह अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट आया ही था और जर्मनी के फ्रैंकफर्ट होते हुए अमेरिका के न्यूयॉर्क में जॉन एफ केनेडी एयरपोर्ट जाने की तैयारी में था। [1] जून २००१ में एक अदालत में आतंकवादियों पर यह अभियोग लगा कि वे साईप्रस व इज़राइल में बंदी अपने कुछ साथियों को छुड़ाना चाहते थे। [2] लेकिन 2006 में इस घटना से बचकर निकले एक यात्री माइकल थेक्सटन ने एक पुस्तक प्रकाशित की[3] जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन्होंने हाइजैकर्स को बात करते हुए सुना था कि वे जहाज को इज़राइल में किसी निर्धारित निशाने पर क्रैश कराना चाहते थे ( 9/11 की तरह)।[4]
A similar aircraft in 1985 | |
अपहरण सारांश | |
---|---|
तिथि | 5 सितंबर 1986 |
प्रकार | अपहरण |
स्थिति | कराची |
Passengers | 360 |
Crew | 19 |
Injuries | 120 |
मौत | 43 |
उत्तरजीवी | 346 |
विमान प्रकार | बोइंग 747-121 |
विमान नाम | क्लिपर एम्प्रेस ऑफ द सीज़ |
संचालक | पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज़ |
पंजीकरण | एन656पीए |
Flight origin |
सहार अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र मुंबई |
Stopover |
जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के कराची |
Last stopover |
फ़्रैंकफ़र्ट विमानक्षेत्र फ़्रैंकफ़र्ट |
गंतव्य |
जॉन एफ॰ केनेडी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र न्यूयॉर्क |
इस हाइजैक के दौरान २० यात्री मारे गए जिनमें १२ भारतीय थे तथा बाकी अमेरिका, पाकिस्तान व मेक्सिको से थे। सभी अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और मृत्युदंड दिया गया। किन्तु, बाद में उनकी सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया गया जिसका कि भारत व अमेरिका ने विरोध किया।[5]
अपहरण
संपादित करेंशुरुआत
संपादित करेंयह घटना तब शुरु हुई जब कराची में यात्रियों ने फ्रैंकफर्ट जा रहे इस विमान पर चढ़ना शुरु किया। बाद में हुई एफबीआई जाँच में पता चला कि विमान के आसपास हथियारबंद रक्षकों की मौजूदगी भी इस अपहरण को टाल नहीं पाई। चारों अपहरणकर्ता कराची एयरपोर्ट सुरक्षा गार्ड के भेष में थे तथा असॉल्ट राइफल्स, ग्रेनेड्स, पिस्तौलो व प्लास्टिक विस्फोटक बेल्ट आदि से लैस थे। स्थानीय समय के अनुसार प्रातः लगभग ६ बजे अपहरणकर्ता एक वैन लेकर पैन एम उड़ान ७३ के द्वार पर यात्रियों के चढ़ने हेतु लगाई सीढियों तक आ पहुँचे। इस वैन में इस तरह से बदलाव किए गए थे जिससे कि यह एयरपोर्ट सुरक्षा वाहन जैसा लगे। इससे वे सुरक्षा प्रहरियों को चकमा देने में कामयाब रहे।
अपहरणकर्ताओं ने सीढियों पर ही हमला बोल दिया तथा स्वचालित हथियारों से गोलीबारी करते हुए विमान में घुस कर नियंत्रण छीन लिया। फ्लाईट अटेंडेंट ने स्थिति को भाँप लिया और चालक दल को इंटरकॉम पर सूचित कर दिया जिसके फलस्वरूप पायलट, सह-पायलट और फ्लाइट इ़जीनियर कौकपिट के आपात द्वार से सफलतापूर्वक निकल भागे।[6]
जहाज पर नियंत्रण
संपादित करेंयह सम्पूर्ण पृष्ठ या इसके कुछ अनुभाग हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भाषा(ओं) में भी लिखे गए हैं। आप इनका करके विकिपीडिया की सहायता कर सकते हैं। |
इस section में मूल शोध या अप्रमाणित दावे हो सकते हैं। कृपया संदर्भ जोड़ कर लेख को सुधारने में मदद करें। अधिक जानकारी के लिए संवाद पृष्ठ देखें। (August 2013) |
विमान को कब्जे में लेने के बाद जल्द ही अपहर्ता ज़ायद सफारिनी को अहसास हो गया कि चालक दल भाग चुका है अतः उसे अधिकारियों से वार्ता करने पर मजबूर होना पड़ा। प्रथम व वयवसायिक श्रेणी के यात्रियों को विमान के पीछे की ओर जाने का आदेश दिया गया तथा पीछे के यात्रियों को आगे आने को कहा गया। क्योंकि विमान पूरा भरा था इसलिए यात्रियों को Since the plane was nearly full, passengers sat down in the aisles, galleys and door exits. सुबह के लगभग १० बजे सफारिनी ने विमान के अंदर एक चक्कर लगाया और २९ वर्षीय भारतीय अमेरिकी राजेश कुमार की सीट के आगे रुका। राजेश कैलिफॉर्निया का निवासी था तथा हाल ही में उसे अमेरिकी नागरिकता मिली थी। सफारिनी ने राजेश को आगे आने के लिए कहा और विमान के द्वार पर हाथ सिर के पीछे की ओर रखकर घुटनों के बल बैठने पर मजबूर कर दिया। अधिकारियों, विशेषतः विराफ दरोगा (पैन एम के पाकिस्तान ऑपरेशन्स के अध्यक्ष) से बातचीत करते हुए उसने कहा कि यदि चालक दल को १५ मिनट में विमान में नहीं भेजा गया तो वह राजेश को गोली से उड़ा देगा। थोड़ी ही देर बाद वह अधिकारियों से परेशान हो उठा और सभी के सामने उसने राजेश को सिर में गोली मार दी और उसे दरवाज़े के बाहर ज़मीन पर फेंक दिया। पाकिस्तानी अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार राजेश की साँस अभी चल रही थी, किन्तु अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में एम्बुलेंस में ही उसकी मृत्यु हो गई।
सफारिनी तब वापिस अपने बाकी साथियों के पास आ गया तथा उसने फ्लाइट अटेंडेंट्स को सभी यात्रियों के पासपोर्ट इकट्ठा करने के निर्देश दिए। अटेंडेंट्स ने अपनी जान के डर से इस आदेश का पालन किया। विमान की एक परिचारिका नीरजा भनोट को अंदेशा था कि अमेरिकी पासपोर्ट धारकों को खासतौर पर निशाना बनाया जा सकता है, अतः उसने कुछ अमेरिकन पासपोर्ट्स को एक सीट के नीचे छुपा दिया तथा कुछ को कूड़ेदान में।
पासपोर्ट इकट्ठे करने के बाद एक क्रू सदस्य ने इण्टरकॉम पर एक ब्रिटिश नागरिक माइकल थेक्सटॉन को विमान के अगले हिस्से में आने को कहा। वह परदे से होते हुए विमान के अगले हिस्से में पहुंचा जहाँ उसका सामना सफरिनि से हुआ जिसके हाथ में उसका पासपोर्ट था। उसने थेक्सटॉन से पूछा कि कहीं वह सिपाही तो नहीं और कहीं उसके पास बंदूक तो नहीं। थेक्सटॉन ने नहीं में जवाब दिया। तब उसने थेक्सटॉन को घुटनों के बल बैठने को कहा और अधिकारियों से बोला कि अगर कोई विमान के नज़दीक आया तो वह एक और यात्री को मर डालेगा। विराफ दरोगा ने उसे बताया कि विमान में एक क्रू सदस्य है जो कॉकपिट का रेडियो का प्रयोग कर सकता है और उसके माध्यम से आगे बातचीत की जा सकती है। सफरिनि थेक्सटॉन के पास वापिस गया और पूछा कि क्या उसे पानी चाहिए। थेक्सटॉन ने कहा - हाँ। सफरिनि ने यह भी पूछा कि क्या वह विवाहित है और दावा किया कि उसे हिंसा और ये सब मार काट बिलकुल पसंद नहीं है लेकिन अमेरिका और इजराइल ने उनके देश पर कब्ज़ा कर लिया है और वे ढंग की ज़िन्दगी नहीं जी पा रहे।
फिर एक हाईजैकर ने थेक्सटॉन को वापिस जाने को कहा। हाइजैक का प्रकरण रात तक चलता रहा। इस दौरान एक फ्लाइट अटेंडेंट ने मैन्युअल में से चुपचाप वह पन्ना निकाल लिया जिसमें कि 3आर एयरक्राफ्ट द्वार की समस्त प्रणालियों का विवरण था और इसे एक मैगज़ीन में छुपा कर द्वार के पास बैठे यात्री को दे दिया। उसने उसे कहा कि वह अभी मैगज़ीन को अवश्य पढ़ ले और बाद में यदि आवश्यकता पड़ी तो प्रयोग कर ले। इस पृष्ठ पर अन्य जानकारियों के साथ निकासद्वार को खोलने और स्लाइड एप्रन को स्थापित करने की विधि भी वर्णित थी। रात लगभग 9 बजे सहायक विद्युत यूनिट बंद हो गयी, सभी बत्तियां बुझ गयी तथा इमरजेंसी लाइट जल गयी। Passengers at the front were order toward the back, while passengers at the back were ordered forward. Since the aisles were already full of passengers, those passengers standing just sat down.
With the plane out of power and sitting in near darkness a hijacker at the 1L door said a prayer and then aimed to shoot at the explosive belt the other hijacker at the 1R door was wearing. The intent was to cause an explosion massive enough to kill all passengers and crew on board, as well as themselves. Since the cabin was so dark, the hijacker missed causing only a small detonation. Immediately the hijackers began shooting their weapons into the cabin at passengers and attempted to throw their grenades. Yet again the lack of light caused them to not pull pins fully and create small explosions. Ultimately it was their bullets that created most damage since each bullet would bounce off the aircraft and create crippling shrapnel. The flight attendant at the 3L door decided it was time to take action and opened the door and although the slide did not deploy several passengers jumped down the 15 ft to the Tarmac, including crew. The passenger that was near 3R had read the page the flight attendant earlier gave him and was able to successfully open that door. It was the only door opened to have the slide deploy. Ultimately this slide allowed for more passengers to evacuate safely and without injuries. 'Neerja Bhanot assisted a number of passengers to escape from the flight, then she laid down her life shielding three children from the bullets fired by the terrorists'. Twenty passengers were killed and over a hundred were injured, but many escaped the ordeal including Michael Thexton,[3] who came close to death a few hours before and returned to the U.K. अपहर्ताओं को एयरपोर्ट से निकलने की कोशिश करते हुए गिरफ्तार कर लिया गया।
हमला
संपादित करेंपाकिस्तान ने तुरंत एस एस जी डिवीज़न भेजी तथा आर्मी रेंजर्स को तैयार रहने को कहा। घटना समाप्ति की ओर तब बढ़ी जब अपहरणकर्ताओं ने विमान के यात्रियों पर गोलीबारी शुरु कर दी। यात्री आपात द्वारों व खिड़कियों से भाग खड़े हुए और पाकिस्तानी कमांडोज़ ने इस कार्रवाई के जवाब में जहाज पर चढाई कर दी। कमा़डो यूनिट का नेतृत्व ब्रिगेडियर जनरल तारिक़ महमूद ने किया। इस ऑपरेशन को संचालित करने के लिए पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) की प्रथम बटालियन की शाहीन कंपनी को तैनात किया गया था। इस सारे घटनाक्रम में भारी क्षति हुई - २२ हत एवं १५० से अधिक आहत। [7]
यात्री
संपादित करेंजहाज के क्रू सहित कुल ३८० यात्री १४ विभिन्न देशों के नागरिक थे। कुल यात्रियों में भारतीय नागरिक लगभग 25% थे और मारे गए यात्रियों में 60% से अधिक।
राष्ट्रीयता
संपादित करेंराष्ट्रीयता | यात्री | चालकदल | कुल | शिकार |
---|---|---|---|---|
अल्जीरिया | 3 | - | 3 | |
बेल्जियम | 2 | - | 2 | |
कनाडा | 30 | - | 30 | |
डेनमार्क | 8 | - | 8 | |
फ्रांस | 4 | 1 | 5 | |
जर्मनी | 81 | 3 | 84 | |
भारत | 91 | 8 | 99 | 13 |
आयरलैंड | 5 | - | 5 | |
इटली | 21 | - | 21 | |
मेक्सिको | 8 | - | 8 | 2 |
पाकिस्तान | 44 | - | 44 | 3 |
स्वीडन | 2 | - | 2 | |
ब्रिटेन | 15 | 4 | 19 | |
संयुक्त राज्य अमेरिका | 41 | 3 | 44 | 2 |
कुल | 361 | 19 | 380 | 20 |
विमान
संपादित करेंयह विमान चार इंजन वाला बोइंग 747-121 था जिसे पैन एम में 18 जून1971 को रजिस्ट्रेशन संख्या एन656पीए के साथ शामिल किया गया था तथा एयरलाइन ने इसका नाम क्लिपर लाइव यैंकी रखा था। बाद में इसका नाम बदल दिया गया था और इस गटना के समय इसका नाम था- क्लिपर एम्प्रेस ऑफ द सीज़।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 13 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जून 2015.
- ↑ "United States of America v. Wadoud Muhammad et al Indictment" (PDF). justice.gov. United States Department of Justice. 2001-06-11. मूल से 19 अप्रैल 2015 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 2015-04-18.
- ↑ अ आ "What happened to the hippyman?". मूल से 22 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जून 2015.
- ↑ Das Gupta, Lila (2006-06-23). "'I still don't know how I cheated death'". The Telegraph. London, England. मूल से 19 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-04-18.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 29 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जून 2015.
- ↑ Pan Am Flight 73: victims recount horrors Archived 2016-12-26 at the वेबैक मशीन DOJ May 13, 2004
- ↑ "Karachi hijack ends in bloodshed". मूल से 8 मार्च 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जून 2015.