प्यार तो होना ही था

1998 की अनीस बज़मी की फ़िल्म

प्यार तो होना ही था 1998 में बनी हिन्दी भाषा की हास्य प्रेमकहानी फिल्म है। इसका निर्देशन अनीस बज़मी ने किया और मुख्य भूमिकाओं में काजोल और अजय देवगन है। फिल्म सुपरहिट रही थी।

प्यार तो होना ही था

प्यार तो होना ही था का पोस्टर
निर्देशक अनीस बज़मी
लेखक अनीस बज़मी
पटकथा अनीस बज़मी
निर्माता गोर्धन तनवानी
अभिनेता अजय देवगन,
काजोल देवगन
संगीतकार जतिन ललित
प्रदर्शन तिथियाँ
24 जुलई, 1998
देश भारत
भाषा हिन्दी

संक्षेप संपादित करें

संजना (काजोल), एक बहुत अनाड़ी किस्म की औरत है जो फ्रांस में अपने अंकल (हरीश पटेल) के साथ रहती है और अपने प्यार राहुल (बिजय आनंद) से शादी करने वाली है। राहुल को काम के सिलसिले में भारत जाना पड़ता है और संजना उसके साथ जाने की जिद करती है, जब कि वह प्लेन में जाने से डरती है। जब प्लेन उड़ने के लिए तैयार होता है संजना का डर हद पार कर देता है और वह प्लेन से उतरने कि जिद करती है।

एक दिन राहुल गलती से संजना को बोलता है कि उसको निशा (कश्मीरा शाह) से प्यार हो चुका है और वह पेरिस वापस आकर संजना से शादी नहीं कर सकता।

संजना फैसला करती है कि वह राहुल को वापस लाएगी चाहे कुछ भी हो, चाहे उसे प्लेन में भी क्यों न बैठना पड़े। जब प्लेन उड़ने के लिए तैयार होता है एक यात्री उसके साथ बैठता है जिसका नाम शेखर (अजय देवगन) है। उसको एहसास होता है कि संजना को उड़ने से डर लगता है तो वह उसको गुस्सा दिलाकर उसका ध्यान भटकाता है। प्लेन के वक़्त संजना गलती से शेखर पर शराब फेक देती है और उसको एहसास होता है कि वह कुछ छुपा रहा है। शेखर बाथरूम पहुँचाता है और अपने जेब से एक पौधा निकालता है। जब वह पौधे में से कपड़ा हटाता है तो हमें अहसास होता है कि शेखर असल में एक चोर है और उसने पैरिस से एक हीरे का हार चुराया है और एक पौधे में छुपाया है। एक खतरनाक सफ़र के बाद वह लोग भारत पहुचते हैं।

संजना अपने खोये हुए प्यार को ढूँढती है और उसका बैग भी चुरा लिया जाता है। उसको थोड़े पता है कि शेखर अपने कुछ चोरी का सामान उसके बैग में डाला है। शेखर फिर उसके बैग को ढूँढता है और संजना को राहुल को ढूढने में मदद करता है और राहुल पालम बीच जाता है। शेखर को अपने घर में संजना से प्यार हो जाता है। संजना को अब भी राहुल से प्यार है और जब वह पाली घाट पहुचती है, वह अब भी राहुल और निशा को अलग करना चाहती है। राहुल को जलाने के लिए, संजना और शेखर प्यार करने का नाटक करते हैं। पर संजना को शेखर से प्यार हो जाता है और वह उसे कभी बता नहीं सकती। वह वापस फ्रांस जाने का फैसला करती है। तब शेखर को संजना के लिए प्यार का अहसास होता है और ट्रैफिक के जल्दी में उसकी गाड़ी फट जाती है - अंत में वह प्लेन को जाने से रोक लेता है।

मुख्य कलाकार संपादित करें

संगीत संपादित करें

एल्बम सोनी म्यूजिक पर रिलीज़ हुआ था और कुछ कुछ होता है (जतिन ललित की ही), दिल से और सोल्जर के बाद 1998 की चौथी सबसे ज्यादा बिकने वाली एल्बम थी। इसे जतिन-ललित द्वारा सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए फिल्मफेयर, स्टार स्क्रीन पुरस्कार और ज़ी सिने पुरस्कारों में नामांकन प्राप्त हुए। गीत "प्यार तो होना ही था", "आज है सगाई", "अजनबी मुझको इतना बता" और "जब किसी की तरफ" लोकप्रिय थे।

सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत जतिन-ललित द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."जब किसी की तरफ दिल"कुमार सानु6:55
2."अजनबी मुझको इतना बता"आशा भोंसले, उदित नारायण6:13
3."आशिक हूँ मैं"उदित नारायण, आशा भोंसले5:20
4."आज है सगाई"अलका याज्ञिक, अभिजीत भट्टाचार्य7:06
5."जो होना है"आशा भोंसले, मोहम्मद अज़ीज़, सुदेश भोंसले, विनोद राठोड़, बाली ब्रह्मभट्ट8:11
6."प्यार तो होना ही था"रेमो फर्नांडीस, जसपिंदर नरूला3:07

नामांकन और पुरस्कार संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें