इतिहास का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा इतिहास शब्द (इति + ह + आस ; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है। इन घटनाओं व ऐतिहासिक साक्ष्यों को तथ्य के आधार पर प्रमाणित किया जाता है। अधिक जानकारी…
गौरवशाली क्रान्ति या सन १६८८ की क्रान्ति, इंग्लैंड राज्य में हुई एक धार्मिक-राजनैतिक क्रांति थी। गौरवपूर्ण क्रांति को रक्तहीन क्रांति के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह शांतिपूर्वक संपन्न हुई थी। इंग्लैंड का राजा बदला, इंग्लैंड की शासन व्यवस्था बदली, पर कहीं खून का एक कतरा भी न गिरा। इंग्लैंड के जेम्स द्वितीय द्वारा संसदीय संप्रभुता को चुनौती देने के फलस्वरुप ही इंग्लैंड राज्य में 1688 ईस्वी मे क्रांति हुई थी। राजा जेम्स द्वितीय को अपनी पत्नी ऐनी समेत अपने निरकुंश शासन संसद की अवहेलना करने तथा प्रोटेस्टैंट धर्म विरोधी नीति के कारण गद्दी छोड़नी पड़ी थी। इस क्रांति के बाद विलियम तृतीय और मैरी द्वितीय को इंग्लैंड के सह-शासक के रूप में राजा और रानी बनाया गया। गौरवशाली क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड में स्वछंद राजतंत्र का काल पूर्णतः समाप्त होगया था। संसदीय शासन पद्धति की स्थापना हो जाने से जनसाधारण के अधिकार सुरक्षित हो गए थे राजनीतिक एवं धार्मिक अत्याचार के भय से मुक्ति पा कर लोग आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होने लगे थे। इंग्लैंड का प्रधानमंत्री वालपोल स्वयं एक योग्य अर्थशास्त्रीय था। जॉर्ज तृतीय के शासनकाल में इंग्लैंड को गृह युद्ध या बाह्य आक्रमण की आशंका नहीं थी। आंतरिक शांति और सुदृढ़ता व्यापार की प्रगति में सहायक थी जबकि यूरोप के अन्य देश राजनीतिक उलझन में फंसे हुए थे। ट्यूडर वंश के शक्तिशाली राजाओं के शासन काल में संसद उनके हाथों की कठपुतली बनी रही थी। महारानी एलिजाबेथ प्रथम का संबंध ट्यूडर वंश से था। इंग्लैंड एवं फ्रांस के बीच सौ वर्षीय युद्ध हुआ था।
गुलाबों का युद्ध इंग्लैंड में हुआ था। 1867 ईसवी तथा 1884 ईसवी के सुधार अधिनियम के द्वारा इंग्लैंड में मजदूर वर्ग को मतदान वोटिंग का अधिकार प्राप्त हो गया। मजदूरों को मताधिकार प्राप्त होने से इंग्लैंड में समाजवादी आंदोलन की तेजी से प्रगति का दौर शुरु हुआ। इंग्लैंड में ,जनवरी 1980 ट्रेड यूनियनवादी तथा समाजवादी गुटों जैसे- सोशल डेमोक्रेटिक फेडरेशन, फेबियन सोसाइटी तथा इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के सदस्यों की मिली-जुली बैठक हुई। इस बैठक के परिणाम स्वरुप "लेबर रिप्रजेंटेशन कमेटी" नामक एक संगठन का अस्तित्व सामने आया। 1969 में इंग्लैंड की संसद ने अधिकार का अधिनियम (बिल ऑफ़ राइट्स) को पारित किया। इसके साथ इंग्लैंड में संसद की सर्वोच्चता स्थापित हो गयी। अधिक पढ़ें…
फिदेल ऐलेजैंड्रो कास्त्रो रूज़ (जन्म: 13 अगस्त 1926 - मृत्यु: 25 नवंबर 2016) क्यूबा के एक राजनीतिज्ञ और क्यूबा की क्रांति के प्राथमिक नेताओं में से एक थे , जो फ़रवरी 1959 से दिसम्बर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फिर क्यूबा की राज्य परिषद के अध्यक्ष (राष्ट्रपति) रहे, उन्होंने फरवरी 2008 में अपने पद से इस्तीफा दिया। फ़िलहाल वे क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव थे। 25 नवंबर 2016 को उनका निधन हो गया।
वे एक अमीर परिवार में पैदा हुए और कानून की डिग्री प्राप्त की। जबकि हवाना विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हुए उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की और क्यूबा की राजनीति में एक मान्यता प्राप्त व्यक्ति बन गए। उनका राजनीतिक जीवन फुल्गेंकियो बतिस्ता शासन और संयुक्त राज्य अमेरिका का क्यूबा के राष्ट्रहित में राजनीतिक और कारपोरेट कंपनियों के प्रभाव के आलोचक रहा है। उन्हें एक उत्साही, लेकिन सीमित, समर्थक मिले और उन्होंने अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने मोंकाडा बैरकों पर 1953 में असफल हमले का नेतृत्व किया जिसके बाद वे गिरफ्तार हो गए, उन पर मुकदमा चला, वे जेल में रहे और बाद में रिहा कर दिए गए। इसके बाद बतिस्ता के क्यूबा पर हमले के लिए लोगों को संगठित और प्रशिक्षित करने के लिए वे मैक्सिको के लिए रवाना हुए. वे और उनके क्रांतिकारी साथियों ने दिसम्बर 1956 में मेक्सिको छोड़ दिया और पूर्वी क्यूबा के लिए चल गये। अधिक पढ़ें…
... की टीपू सुल्तान के लिए बनाया गया टीपू का बाघ एक मशीनी कलाकृत्य है, जो एक बाघ को बर्बरतापूर्ण तरीके से एक यूरोपीय सैनिक का वध करते हुए दर्शाता है...?
... की विश्व प्रसिद्ध समुद्रपोत टाइटैनिक वास्तविकता में ३ हूबहू सामान जहाज़ों में से एक था, जिनमें से अन्य दोनों का नाम था "ओलिंपिक" और "ब्रिटानिक" (चितिरत)...?
... कि जापान के सन् १८६८ में हुए मेइजी पुनर्स्थापन ने उसे एक पिछड़े सामंतवादी देश से एक विश्व शक्ति बना दिया?
पहली सफल स्थायी तस्वीर, 1826 में बनाई गई, जिसका शीर्षक है "व्यू फ्रॉम द विंडो एट ले ग्रास"। इसे तेज धूप में आठ घंटे का प्रदर्शन करना पड़ता था और यह पेट्रोलियम के व्युत्पन्न प्यूटर प्लेट पर मुद्रित किया जाता था जिसे यहूदिया के कोलतार कहा जाता था। लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण, इमारतें सूरज से दाएं और बाएं दोनों तरफ से रोशन होती हैं।