फूल बहादुर 1928 में प्रकाशित मगही उपन्यास है। इसके लेखक नवादा (बिहार) के उद्भट विद्वान, स्वतंत्रता सुराजी और मगही के प्रथम उपन्यासकार बाबू जयनाथ पति हैं।[1] मगही उपन्यासों की शृंखला में ‘फूल बहादुर’ प्रकाशन की दृष्टि से दूसरा और उपलब्धता के लिहाज से पहला उपन्यास है। क्योंकि मगही का पहला उपन्यास ‘सुनीता’ (रचना 1927, प्रकाशन 1928) जिसके लेखक जयनाथ पति ही हैं, अब उपलब्ध नहीं है। ‘फूल बहादुर’ का प्रकाशन औपनिवेशिक भारत में बीसवीं सदी के तीसरे दशक में 1 मई 1928 को हुआ था। [2]

इस मगही उपन्यास की कथावस्तु के केन्द्र में मनुष्य का नैतिक पतन और ब्रिटिशकालीन भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार है। हास्य-व्यंग्य की कचोटने वाली शैली में लिखे गए ‘उपन्यास का नायक सामलाल बिहारशरीफ में कार्यरत एक मोख्तार है। वह किसी भी कीमत पर रायबहादुर की पदवी पाने के लिए बेचैन है। इसके लिये वह अधिकरियों की खुशामद करता है। नवागंतुक अनुमंडलाधिकारी को सुरा-सुन्दरी उपलब्ध कराकर वह अपनी मनोकामना पूर्ण करना चाहता है किन्तु उसे सफलता नहीं मिलती है। नगर के लोग उसकी व्यग्रता को देखकर रायबहादुर बनाने का एक फर्जी आदेश उसके पास भेज कर उसे बेवकूफ बनाते हैं। रायबहादुर के बदले वह फूल बहादुर बन जाता है। मोख्तारी के अनुभव के ऊपर पर रचित इस उपन्यास में तत्कालीन कचहरी एवं सरकारी अधिकारी में व्याप्त भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया गया है। इसमें नगरीय और कचहरी के आस-पास के परिवेश पर प्रकाश डाला गया है।’[3] उपन्यास में प्रयुक्त भाषा नवादा अंचल में बोले जाने वाली मगही है।

मगही के इस पहले उपलब्ध उपन्यास का दूसरा संस्करण 1974 में बिहार मगही मंडल, पटना (बिहार) ने प्रकाशित किया था। फिर मगही भाषाप्रेमी नारायण प्रसाद ने 2008 में इसे अपने ब्लॉग पर प्रस्तुत किया। ‘फूल बहादुर’ का तीसरा संस्करण इसी वर्ष 2018 में प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, रांची (झारखंड) द्वारा प्रकाशित किया गया है। इसकी प्रति archive.org[4] से निःशुल्क डाउनलोड की जा सकती है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. सम्पत्ति आर्याणी, मगही भाषा और साहित्य, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना, 1976
  2. मगही भाषा के इतिहास में खास है अप्रैल की पहली तिथि https://www.prabhatkhabar.com/news/nawada/story/377445.html Archived 2018-04-26 at the वेबैक मशीन
  3. मगही साहित्य का इतिहास, मगही अकादमी, 1998
  4. https://archive.org/details/PhulBahadur