बिदअत या बिद्दत : अरबी शब्द इस्लाम में धार्मिक मामलों में नई बात, नवीनता या विधर्मी सिद्धांत अस्तित्व में लाना से है। भाषाई रूप से अर्थ है नया वजूद में लाना या घटित होना के हैं। इस नयी बात (बिद्दत ) के करने वाले को करने वाले को बिद्दती कहते हैं। मुस्लिम ग्रंथों में इसके सामान्य उपयोग के बावजूद, यह शब्द कुरआन में नहीं पाया जाता है। सहाबा बिदअत बातों को बताते थे [1][2]

हदीस में संपादित करें

शरीयत में बिदअत का वर्णन मुख्य रूप से हदीस में किया गया है। हदीस में बिदअत की निंदा की गई है।

"अल्लाह के दूत ने कहा, "जो कोई भी हमारे इस धर्म में कुछ ऐसा आविष्कार (नया) करता है जो इस धर्म का नहीं है, उसे अस्वीकार कर दिया जाता है। --  — बुखारी 2697; मुस्लिम: 30/8:1718; अहमद: 26092

"पैगंबर ने कहा, "यदि कोई व्यक्ति हमारे अनुष्ठानों के विपरीत कुछ पेश करता है, तो यह निषिद्ध है।"— सुनन अबू दाऊद, हदीस संख्या 4606; हदीस मूल्य: सहीह हदीस।

कुछ प्रसिद्ध और सामान्य बिदअतें संपादित करें

  • तरावीह की नमाज़ के बिदअत होने या न होने पर चर्चा होती रही है। [3]
  • शब-ए-बारात [4]
  • ईमान-ए--ए-मुफ़स्सिल और ईमान-ए-मुजमल आदि छः कलिमे बाद के समय के धर्म के बुजुर्गों द्वारा संकलित किए गए थे और आज भी धर्म का मुख्य हिस्सा हैं।
  • कुछ विचारधाराओं के अनुसार, ईद मीलाद उन्नबी, दुरूद-ओ-सलाम और मुहाफ़िल नाअत बिद्दतें समझी जाती हैं ताकि मुस्लिम उम्माह के दिलों में पैगम्बर के लिए प्रेम और प्रेम की भावना जीवित रहे। इनको नवाचार माना जाता है जो बाद में नियमित रूप से जारी किए गए।
  • मसाजिद में महिराब और गुंबद आदि की शुरुआत पहली दफ़ा फ़ातिह बैतुल-मुक़द्दस सुलतान सलाह उद्दीन अय्यूबी के शासनकाल के दौरान हुआ था। इस बिद्दत का प्रयोग आज तक सभी इस्लामिक देशों में भी किया जाता है।
  • कुछ विचारधाराओं के अनुसार, 22 रजब नियाज़ इमाम जाफ़र सादिक को एक नवाचार माना जाता है।[5]


इन्हें भी देखें संपादित करें

संदर्भ संपादित करें

  1. "हदीस: हे मेरे पिता, आप ने रसूलुल्लाह- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, तथा अबू बकर, उमर, उस्मान एवं यहां कूफा में अली- रज़ियल्लाहु अन्हुम- के पीछे नमाज़ पढ़ी है, क्या वो लोग फज्र में (दुआ -ए-) क़ुनूत पढ़ते थे? उन्होंने उत्तर देते हुए कहा किः यह बिदअत है।". अनूदित हदीस-ए-नबवी विश्वकोश. अभिगमन तिथि 2023-12-15.
  2. A.C. Brown, Jonathan (2009). Hadith: Muhammad's Legacy in the Medieval and Modern World (Foundations of Islam). Oneworld Publications. पृ॰ 277. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1851686636.
  3. "तरावीह की नमाज़ बिदअत नहीं है और उसकी कोई निश्चित संख्या नहीं है - इस्लाम प्रश्न और उत्तर". islamqa.info. अभिगमन तिथि 2023-12-15.
  4. "शाबानिया (शब-ए-बारात) की बिदअत - इस्लाम प्रश्न और उत्तर". islamqa.info. अभिगमन तिथि 2023-12-15.
  5. "بدعت (اسلام)", آزاد دائرۃ المعارف، ویکیپیڈیا (उर्दू में), 2022-08-08, अभिगमन तिथि 2023-12-15