बिलारी (Bilari) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मुरादाबाद ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]

बिलारी
Bilari
बिलारी is located in उत्तर प्रदेश
बिलारी
बिलारी
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 28°37′19″N 78°48′07″E / 28.622°N 78.802°E / 28.622; 78.802निर्देशांक: 28°37′19″N 78°48′07″E / 28.622°N 78.802°E / 28.622; 78.802
देश भारत
राज्यउत्तर प्रदेश
ज़िलामुरादाबाद ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल37,567
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड244411
दूरभाष कोड5921
वाहन पंजीकरणUP 21
वेबसाइटup.gov.in

स्थिति और विस्तार

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बिलारी नगर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की तहसील के रूप में स्थित है| जो मुरादाबाद से 25 किलोमीटर दक्षिण में, चंदौसी नगर से 19 किलोमीटर उत्तर में, संभल जनपद मुख्यालय से 26 किलोमीटर पूर्व में, रामपुर जनपद की तहसील शाहबाद मुुख्यालय से 25 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। बिलारी नगर पूर्व में 2.5 किलोमीटर, पश्चिम में 2 किलोमीटर, उत्तर में 2 किलोमीटर तथा दक्षिण में 1.5 किलोमीटर तक फैला हुआ है। बिलारी शहर 25 वार्डों में बांटा गया है जिनमें हर 5 साल में चुनाव आयोजित किये जाते हैं। 2011 में हुई भारत की जनगणना के अनुसार इस तहसील में 342 गांव हैं।

जनसँख्या एवं मानव आवास

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समतल व परतदार मिट्टी होने के कारण यहाँ जनसँख्या आधिक है। यहाँ बनिए व अंसारी आधिक हैं। नगर में 44.47% हिंदू आबादी है। जिनमें मुख्य रूप से बनिए, जाट, जाटव, यादव, ब्राह्मण, ठाकुर, जैन, हरिजन, पंजाबी व सुनार आदि हैं। इस्लाम धर्मं के अंतर्गत अंसारी व मनिहार आदि हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की आबादी 30,246 थी| जिसमें 15,992 पुरुष ततः 14,254 स्त्रियां थीं। यहाँ की आधिकांश जन्संख्या के आवास पक्के हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, बिलारी नगर पालिका परिषद की जनसँख्या 37,567 है| जिनमें से 19,747 पुरुष व 17,820 महिलाएं हैं। 0-6 साल की उम्र के बच्चों की संख्या 5,054 है जोकि कुल आबादी की 13.45% है। बिलारी नगर पालिका परिषद में, महिला लिंग अनुपात (राज्य का औसत लिंगानुपात 912) 902 है। इसके अलावा बाल लिंग अनुपात 912 है। साक्षरता दर 57.84% है, जोकि 67.68% की राज्य औसत दर से कम है। बिलारी में, पुरुष साक्षरता 62.55% के पास है जबकि महिला साक्षरता दर 52.61% है।

बिलारी नगर पालिका परिषद के प्रशासन में 6,882 से अधिक मकान है| जिनमें न०पा०प० के द्वारा सड़क, सफाई, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति की जाती है। नगर पालिका परिषद को अपनी नगर सीमा के अंदर यह सभी आवश्यक जनसुविधाएँ दिये जाने के अधिकार प्राप्त हैं| यह न०पा०प० अपने अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाली संपत्तियों पर कर अधिरोपित करने के लिए अधिकृत है।[3]

हिन्दू मुस्लिम ईसाई सिख बौद्ध जैन अन्य प्रमाणित नहीं
44.46% 54.25% 0.15% 0.37% 0.03% 0.17% 0.01% 0.57%

[3]

धरातलीय संरचना

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इस नगरीय क्षेत्र के चारों ओर अर्धनगरीय व ग्रामीण क्षेत्र हैं| नगर के बाहरी क्षेत्र में और सीमाओं पर कुछ बन्द पडे व कुछ चालु हलत में ईंट-भट्टे लगे हैं तथा इंटें बनाने के लिए खेतों में मिट्टी कटान से यहाँ गडढे हो गये हैं| आबादी बढ़ने के साथ ही, खेती भूमि पर लगातार मकान बनाते रहने से, अनेक नई कालोनियों व बस्तियों का क्षेत्रफल बढता जा रहा है| परम्परागत पीपल, बट, नीम, वेल, शीशम, शहतूत, जामुन आदि के बृक्ष, नगर ही नहीं बल्कि क्षेत्र से ही लुप्त हो रहे हैं| इनके स्थान पर यूक्लैप्टिस, पौपुलर, बकान व सागौन आदि के बृक्ष लगाये जा रहे हैं| इससे धीरे-धीरे कृषि भूमि के पोषक तत्व खत्म होते जाने से, भूमि की उपजाऊ क्षमता क्षीण हो रही है|

बिलारी नगर की जलवायु मानसूनी है। यहाँ ग्रीष्म ऋतु में मानसूनी हवाओं द्वारा वर्षा होती है। कभी-कभी शीत ऋतु के मौसम में वर्षा हो जाती है। वर्षा का वार्षिक औसत लगभग 50-100 सेमी. रहता है। गर्मियों में अत्यधिक गर्मी तथा सर्दियों में अत्यधिक सर्दी पडती है। कभी-कभी गर्मियों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तो सर्दियों में 06 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है।

प्राकृतिक वनस्पति

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बिलारी नगर के नगरवर्ती भागों में पतझड़ वाले वृक्ष पाऐ जाते हैं। यहाँ के मुख्य वृक्षों में आम, जामुन, बेल, शहतूत, अमरुद, गूलर, बरगद, बबूल, नीम, बकान, शीशम, पीपल, यूक्लिप्टिस, पौपुलर आदि हैं।

बिलारी नगर के निकटवर्ती क्षेत्रों में तीन प्रकार की फसलें होती हैं। जिन्हें रवि, खरीफ व जायद की फसल कहते हैं। रवि के अंतर्गत गेहूं आदि, खरीफ काल में धान आदि फसलें आती हैं। नगदी फसलों में मुख्य ईख व पीपरमैन्ट की पैदावार ली जाती है|

पहले इस क्षेत्र के बडे भूूूूभाग में कपास पैदा होती थी| थीरे-धीरे कपास की जगह ईख(गन्ना) की खेती होने लगी|आज इस तहसील में चीनी मिल है|इससे ईख ने अपना स्थान प्रमुख नकदी फसलों में बना लिया है|किन्तु चीनी मिले प्रत्येक वर्ष क्षेत्र के गन्ना किसानों का करोड़ों रूपयों का भुगतान रोक लेती हैं| जिससे किसान सदैव दुकानदारों व वित्तीय संस्थाओं का कर्जदार बना ही रहता है!

उद्योग धंधे

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औद्योगिक दृष्टि से बिलारी एक पिछड़ा हुआ नगर है। यहाँ के लोगों का लगभग 50% मुख्य व्यवसाय कृषि से ही जुडा है। इसके अतिरिक्त बुनकर, सूती कपड़ा, दरी, चादर, आदि परम्परागत खड्डियों व पावरलूम पर बुनने का कुटीर उद्योग-धन्धे के रूप में व इससे जुडे कार्य करते हैं| जो यहाँ नगर की मंगल व शुक्रवार की पैंठ बाजार से, सुवह 4 बजे से 8 बजे तक बिभिन्न प्रदेशों के व्यापारी यहाँ से करोडों रूपये का माल खरीदकर अपने प्रदेशों में ले जाते हैं| बिलारी के समीपवर्ती क्षेत्रों में ईंट व गुड उद्योग प्रचुर मात्रा में है। यहाँ पीपरमैंट के तेल का कारोवार भी अपनी जडे जमा रहा है|क्षेत्र की प्रमुख उपज गन्ने की है| पहले इस क्षेत्र के अधिकाँश भाग पर कपास पैदा की जाती थी| इसकी सारी खपत यहाँ से मात्र 19 किलोमीटर दूर स्थित नगर चन्दौसी की रूई मिल में होती थी| इस कपास उद्योग को, इस क्षेत्र में, चीनी मिल लगवाकर बर्वाद कर दिया गया| बिलारी में चीनी मिल लगने से कपास पैदा करने का क्षेत्र घटता चला गया और चँदौसी की रूई मिल अन्तत: बन्द हो गयी| नगर के निकटवर्ती ग्राम ढकिया नरू में स्थापित, इस एकमात्र अजुध्या शुगर मिल का स्वामित्व, जब से सेठ शादी लाल से अन्य लोगों के हाथों में गया है, तब ही से प्रति वर्ष इस क्षेत्र के गन्ना उत्पादक किसान, सँयुक्त संघर्ष समिति, किसान संघर्ष समिति, भारतीय किसान यूनियन, बिलारी व बाद में भारतीय किसान यूनियन (असली व नकली) के प्रतिनिधित्व में अपने करोडों रूपये के बकाया गन्ना मूल्य के लिए शान्तिपूर्ण व लोकतान्त्रिक तरीकों से अब तक की सभी राजनैतिक पार्टियों की सरकारों से संघर्ष करते चले आ रहे हैं| गन्ना उत्पादकों को अनेक दशकों से अपना गन्ना मूल्य प्रति वर्ष नहीं मिल पाने के कारण नगर बिलारी के स्थानीय कारोवार ठप्प होते जा रहे हैं| इसी कारण क्षेत्र के सैकडों किसान सूदखोर महाजनों के कुचक्र में फँसकर अपनी जमीनें उन महाजनों के हाथों कोडियों के भाव बेचने को विवश हैं|

नगर के प्रमुख स्थान

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बिलारी नगर में, शाहबाद मार्ग पर, एक अति प्राचीन पौण्डा खेड़ा शिव मंदिर है। झँडा चौक पर भी एक अन्य प्राचीन शिव मन्दिर है। नगर के अन्य प्रमुख स्थलों में गमादेवत का प्राचीन मन्दिर, गाँधी पार्क, साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक एक शिव मन्दिर (निकट राजा का सहसपुर रेलवे स्टेशन) जिसमें एक सँस्कृत महाविद्यालय भी है, इसकी भूमि को एक सच्चे भारतीय मुस्लिम भाई ने मन्दिर को दान में दिया था! तहसील, उपनिबन्धक कार्यालय, महाराणा प्रताप चौक, नगर पालिका परिषद कार्यालय, गन्ना समिति व गन्ना परिषद कार्यालय, डाकघर, आर के पैलेस टाकीज, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, क्रांति चौक, नेहरू चौक, रैली चौक, रायसक्ति मन्दिर, निर्माणाधीन आयुर्वेदिक चिकित्सालय, बाबा लक्ष्मणदास की मणि, राम रतन इण्टर कालेज, शंकर सहाय-हर सहाय इण्टर कालेज, हरि मंगल डिग्री कालेज, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, काली मन्दिर, अनिल फार्म हाऊस, ग्रीन फार्म हाऊस आदि महत्वपूर्ण स्थल हैं।

विशेष-

#योगी_कुमार_प्रदीप (पुत्र स्वर्गीय श्री सत्य प्रकाश शर्मा) स्वर्गीय स्वामी श्री धीरेंद्र ब्रह्मचारी जी के अर्पणा आश्रम से योग की शिक्षा-दीक्षा प्राप्त है। उन्होंने योग के विभिन्न पहलुओं जैसे कि राज योग, भक्ति योग, लय योग, उपासना योग और ब्रह्माकुमारीज़ के सहज राज योग की साधना-तपस्या की है।

#संयम_योग -

उन्होंने योग दर्शन और अभ्यास-तपस्या-साधना के द्वारा *संयम योग* की विधा का विकास करके उसको प्रचारित किया है। उनके अनुसार, "जीवन जीने की संयमी पद्धति का नाम "योग" है।"

वर्तमान में, वे दिखावे से दूर रहकर, गृहस्थ जीवन जीते हुए, इच्छुक पुरुषार्थियों को *संयम योग* को दैनिक जीवन में जीने की प्रेरणा दे रहे हैं।

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
  3. "2011 जनगणना". मूल से 1 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 फ़रवरी 2016.