सेमल (वैज्ञानिक नाम:बॉम्बैक्स सेइबा), इस जीन्स के अन्य पादपों की तरह सामान्यतः 'कॉटन ट्री' कहा जाता है। इस उष्णकटिबंधीय वृक्ष का तना सीधा, उर्ध्वाधर होता है। इसकी पत्तियां डेशिडुअस होतीं हैं। इसके लाल पुष्प की 5 पंखुड़ियाँ होतीं हैं। ये वसंत ऋतु के पहले ही आ जातीं हैं।

सेमल कॉटन ट्री
Cotton tree with only flowers in spring
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
अश्रेणीत: एंजियोस्पर्म
अश्रेणीत: युडिकॉट
अश्रेणीत: रोज़िड
गण: Malvales
कुल: Malvaceae
वंश: Bombax
जाति: B. ceiba
द्विपद नाम
Bombax ceiba
L.
पर्यायवाची

Bombax malabaricum DC.
Salmalia malabarica

इसका फल एक कैप्सूल जैसा होता है। ये फल पकने पर श्वेत रंग के रेशे, कुछ कुछ कपास की तरह के निकलते हैं। इसके तने पर एक इंच तक के मजबूत कांटे भरे होते हैं। इसकी लकड़ी इमारती काम के उपयुक्त नहीं होती है। उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जनपद के चुनार दुर्ग में पीले रंग के फूलोँ वाला एक वृक्ष भी है।

परिचय संपादित करें

सेमल को संस्कृत में 'शिम्बल' और 'शाल्मलि' कहते हैं। यह पत्ते झाड़नेवाला एक बहुत बड़ा पेड़ होता है, जिसमें बड़े आकार और मोटे दलों के लाल फूल लगते है और जिसके फलों या डोडों में केवल रूई होती है, गूदा नहीं होता। इस पेड़ के धड़ और डालों में दूर दूर पर काँटे होते हैं; पत्ते लंबे और नुकीले होते हैं तथा एक एक डाँड़ी में पंजे की तरह पाँच-पाँच, छह-छह लगे होते हैं। फूल मोटे दल के, बड़े-बड़े और गहरे लाल रंग के होते हैं। फूलों में पाँच दल होते हैं और उनका घेरा बहुत बड़ा होता है। फाल्गुन में जब इस पेड़ की पत्तियाँ बिल्कुल झड़ जाती हैं और यह ठूँठा ही रह जाता है तब यह इन्हीं लाल फूलों से गुछा हुआ दिखाई पड़ता है। दलों के झड़ जाने पर डोडा या फल रह जाता है जिसमें बहुत मुलायम और चमकीली रूई या घूए के भीतर बिनौले से बीज बंद रहते हैं।

सेमल के डोड या फलों की निस्सारता भारतीय कवि परंपरा में बहुत काल से प्रसिद्ध है और यह अनेक अन्योक्तियों का विषय रहा है। 'सेमर सेइ सुवा पछ्ताने' यह एक कहावत सी हो गई है। सेमल की रूई रेशम सी मुलायम और चमकीली होती है और गद्दों तथा तकियों में भरने के काम में आती है, क्योंकि काती नहीं जा सकती। इसकी लकड़ी पानी में खूब ठहरती है और नाव बनाने के काम में आती है। आयुर्वेद में सेमल बहुत उपकारी ओषधि मानी गई है। यह मधुर, कसैला, शीतल, हलका, स्निग्ध, पिच्छिल तथा शुक्र और कफ को बढ़ाने वाला कहा गया है। सेमल की छाल कसैली और कफनाशक; फूल शीतल, कड़वा, भारी, कसैला, वातकारक, मलरोधक, रूखा तथा कफ, पित्त और रक्तविकार को शांत करने वाला कहा गया है। फल के गुण फूल ही के समान हैं।

सेमल के नए पौधे की जड़ को सेमल का मूसला कहते हैं, जो बहुत पुष्टिकारक, कामोद्दीपक और नपुंसकता को दूर करनेवाला माना जाता है। सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है। यह अतिसार को दूर करनेवाला और बलकारक कहा गया है। इसके बीज स्निग्धताकारक और मदकारी होते है; और काँटों में फोड़े, फुंसी, घाव, छीप आदि दूर करने का गुण होता है।

फूलों के रंग के भेद से सेमल तीन प्रकार का माना गया है—एक तो साधारण लाल फूलोंवाला, दूसरा सफेद फूलों का और तीसरा पीले फूलों का। इनमें से पीले फूलों का सेमल उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जनपद के चुनार दुर्ग के अंदर है। सेमल भारतवर्ष के गरम जंगलों में तथा बरमा, श्री लंका और मलाया में अधिकता से होता है।

अन्य भाषाओं मेंGujarati : શીમળો संपादित करें

सेमर के अन्य भाषाओं में नाम :

 
सेमर की रूई

चित्र दीर्घा संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें