भगवंतराव अन्नाभाउ मंडलोइ
भगवंतराव मंडलोइ ( 1892- 1977) एक स्वतंत्रता सेनानी एवं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता थे, जो मध्य प्रांत और बरार राज्य से भारतीय संविधान सभा के लिए चुने गए थे। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप नेतृत्व किया। बाद में उन्हें 1970 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
भगवंतराव मण्डलोई | |
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पद बहाल १ जनवरी १९५७ – ३० जनवरी १९५७ | |
पूर्वा धिकारी | रविशंकर शुक्ल |
उत्तरा धिकारी | कैलाश नाथ काटजू |
पद बहाल १२ मार्च १९६२ – २९ सितम्बर १९६३ | |
पूर्वा धिकारी | कैलाश नाथ काटजू |
उत्तरा धिकारी | द्वारका प्रसाद मिश्रा |
विधायक, मध्य प्रदेश राज्य विधानसभा
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पद बहाल १९५७ – १९६७ | |
जन्म | 15 दिसम्बर 1892 खंडवा, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | नवम्बर 3, 1977 | (उम्र 84 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारत |
राजनीतिक दल | INC (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) |
As of १ जून, २०१७ Source: ["प्रोफ़ाइल". मध्य प्रदेश विधानसभा. मूल से 24 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2018.] |
परिचय एवं राजनैतिक सफर
संपादित करेंभगवंतराव मंडलोई का जन्म 10 दिसंबर 1892 को मध्य प्रदेश के ज़िला खंडवा में हुआ था। उनके पिता का नाम पं.अन्नाभाऊ मंडलोई और उनकी माता का नाम नत्थूबाई मंडलोई था। उन्होंने मैट्रिक की शिक्षा सागर बी.ए. की पढ़ाई जबलपुर और इलाहबाद से एलएलबी शिक्षा प्राप्त की।
भगवत राव मंडलोई ने 1917 में वकालत शुरू की, (1919 से 1922) तक वह खंडवा नगर पालिका के सदस्य चुने गए तथा (1922 से 1925) तक वे खंडवा नगर पालिका उपाध्यक्ष रहे, और (1925 से 1933) और (1944 से 1948) तक अध्यक्ष के रूप कार्य किया।
गांधी जी से प्रभावित होकर उन्होंने वकालत छोड़ दी, 1939 में व्यक्तिगत सत्याग्रह और 1942 में उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में भाषण देते हुए घंटाघर चौक से ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
वे 1947 में मध्य प्रांत और बरार राज्य से संविधान निर्माण सभा के सदस्य चुना गया। वर्ष 1950 में मध्य प्रांत और बरार राज्य को समाप्त कर नए मध्य भारत राज्य में मिला दिया गया, वर्ष 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम-1956 के तहत मध्य भारत को नये मध्य प्रदेश में मिला दिया गया।
1952, 1957, 1962 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में वह कांग्रेस के विधायक चुने गए। पहली बार विधायक चुनने के पश्चात वह मध्य प्रदेश की रविशंकर शुक्ल सरकार में मंत्री बनाए गए।
31 जनवरी 1956 को मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल के निधन के बाद मंडलोई ने (9 जनवरी 1957 से 30 जनवरी 1957) तक मध्य प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप नेतृत्व किया।
21 दिन की कार्यवाहक सरकार चलाने के बाद कांग्रेस हाईकमान के आदेश पर उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह कैलाशनाथ काटजू को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
1962 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने कैलाशनाथ काटजू के नेतृत्व में लड़ा, कांग्रेस चुनाव तो जीत गयी, लेकिन मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू अपनी सीट से चुनाव हार गए।
कैलाशनाथ काटजू के हार जाने के बाद विधानसभा में मंडलोई के कद को देखते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया। (12 मार्च 1962 से 29 सितंबर 1963) तक उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप नेतृत्व किया।
पार्टी में आपसी खींचतान के चलते उन्होंने 29 सितंबर 1963 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हाईकमान द्वारा उनकी जगह द्वारका प्रसाद मिश्र को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
1967 के बाद मंडलोई सक्रिय राजनीति से दूर होने लगे और साधारण जीवन व्यतीत करने लगे। 1970 में राष्ट्रपति ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया।
उन्होंने खंडवा के विकास के लिए हर संभव प्रयास किए, 3 नवंबर 1977 को उनका निधन हो गया।
सन्दर्भ
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