भदोही जिला

उत्तर प्रदेश का जिला
(भदोही ज़िले से अनुप्रेषित)

निर्देशांक: 25°23′45″N 82°34′7″E / 25.39583°N 82.56861°E / 25.39583; 82.56861 भदोही जिला, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय ज्ञानपुर में है। पहले यह वाराणसी जिले में था। यह जिला प्रयागराज और वाराणसी के बीच मे स्थित है। यह जिला प्रयागराज, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर की सीमाओं को स्‍पर्श करता है। यहाँ का कालीन उद्योग विश्वप्रसिद्ध है और कृषि के बाद दूसरा प्रमुख रोजगार का स्रोत है।

ज़िला भदोही
जिला पंचायत अध्यक्ष
जनसंख्या
घनत्व
1,578,213 (2011 के अनुसार )
• 1,200/km2
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
1,055.99 कि.मी² (408 वर्ग मील)
• 98 मीटर (322 फी॰)
आधिकारिक जालस्थल: /http://bhadohi.nic.in/

इस जिले की उत्पत्ति ३० जून १९९४ को भदोही के नाम से उत्तर प्रदेश के ६५ वें जिले के रूप में हुई थी। लेकिन बाद में मायावती सरकार ने इसका नाम संत रविदास नगर रख दिया था। फिर 06 दिसम्बर २०१४ को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुनः भदोही नाम रख दिया है। यह ज़िला "कारपेट सिटी " के नाम से विश्व में प्रसिद्ध है। यह उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे जिले में गिना जाता है।

भदोही के सीतामढ़ी में प्रभु श्री राम की पत्नी सीता का समाहित स्थल हैं यहां पर हनुमान जी का भव्य मूर्ति बनी है। इस भूभाग प्राचीन काल मे नागवंशी भर शासक की लम्बे समय तक शासन रहा है । क्षेत्र मे राजभर राजवंश के ब्यापक सबूत आज भी मौजूद है।

इस जनपद का मुख्‍य व्‍यवसाय कालीन है। यहाँ के कालीन उद्योग का लिखित साक्ष्‍य 16वीं सदी की रचना आइन-ए-अकबरी से मिलने लगता है। वैसे कालीन उद्योग का इतिहास लगभग 5000 वर्ष पुराना है। पहला कालीन लगभग 3000 ई॰ पूर्व‍ मिस्र वासियों ने बनाया था। मिस्रवासी बुनाई कला के अच्‍छे ज्ञाता थे। वहीं से यह कला फारस पहुँची लेकिन अरब संस्‍कृति की वजह से इसका विकास बाधित हो गया। अब्‍बासी खलीफाओं के समय में रचित ‘अरेबियन नाइट्स’ कहानियों में जिन्‍न के साथ कालीनों के उड़ने का उल्‍लेख मिलता है। इन कहानियों में वर्णित हारून-उल-रशीद वास्‍तव में खलीफा थे जिन्‍हें अरबों का एक छत्र प्रभुत्‍व समाप्‍त करने का श्रेय दिया जाता है। अब्‍बासी खलीफाओं के पश्‍चात इस्‍लामिक साम्राज्‍य का विकेन्‍द्रीकरण हुआ तथा तुर्की व इस्‍लामिक राज्‍यों का उदय हुआ। मुगल राज्‍य भी उन्‍हीं में से एक था। फारस से मुगलों के साथ कालीन बनाने की कला भारत आयी। कश्‍मीर को मुगलों ने इस कला के लिए उपयुक्‍त स्‍थल के रूप में चुना जहाँ से यहाँ उत्‍तर-प्रदेश, राजस्‍थान व पंजाब पहुँची।

 
भदोही के जयपुर में कालीन का प्रदर्शन करता एक विक्रेता
 
भदोही के ज्ञानपुर का हरिहरनाथ मन्दिर

1580 ई॰ में मुगल बादशाह अकबर ने फारस से कुछ कालीन बुनकरों को अपने दरबार में बुलाया था। इन बुनकरों ने कसान, इफशान और हेराती नमूनों के कालीनें अकबर को भेंट की। अकबर इन कालीनों से बहुत प्रभावित हुआ उसने आगरा, दिल्‍ली और लाहौर में कालीन बुनाई प्रशिक्षण एवं उत्‍पाद केन्‍द्र खोल दिये। इसके बाद आगरा से बुनकरों का एक दल जी॰ टी॰ रोड के रास्‍ते बंगाल की ओर अग्रसर हुआ। रात्रि विश्राम के लिए यह हल घोसिया-माधोसिंह में रूका। इस दल ने यहाँ रूकने पर कालीन निर्माण का प्रयास किया। स्‍थानीय शासक और जुलाहों के माध्‍यम से यहाँ कालीन बुनाई की सुविधा प्राप्‍त हो गयी। धीरे-धीरे भदोही के जुलाहे इस कार्य में कुशल होते गए। वे आस-पास की रियासतों मे घूम-घूम कर कालीन बेचते थे और धन एकत्र करते थे।

ईस्‍ट इण्डिया कम्‍पनी के व्‍यापारी इस कालीन निर्माण की कला से बहुत प्रभावित थे। उन्‍होंने अन्‍य हस्‍तशिल्‍पों का विनाश करना अपना दायित्‍व समझा था लेकिन कालीन की गुणवत्‍ता और इसके यूरोपीय बाजार मूल्‍य को देखकर इस हस्‍तशिल्‍प पर हाथ नहीं लगाया। 1851 में ईस्‍ट इण्डिया कम्‍पनी ने यहाँ के बने कालीनों को विश्‍व प्रदर्शनी में रखा जिसे सर्वोत्‍क्रष्‍ट माना गया। अर्न्‍तराष्‍ट्रीय बाज़ार में कालीन के 6 मुख्‍य उत्‍पादक हैं- ईरान, चीन, भारत, पाकिस्‍तान, नेपाल, तुर्की। नाटेड कालीन निर्यात का 90 प्रतिशत ईरान, चीन, भारत और नेपाल से होता है जिसमें ईरान 30 प्रतिशत, भारत 20 प्रतिशत और नेपाल का हिस्‍सा 10 प्रतिशत है। कालीन निर्यात का 95 प्रतिशत यूरोप और अमेरिका में जाता है। अकेले जर्मनी 40 प्रतिशत कालीन आयात करता है। भदोही के कालीनों के निर्माण के सम्‍बन्‍ध में आश्‍चर्यजनक बात यह है कि यहाँ इस उद्योग का कच्‍चा माल पैदा नहीं होता। केवल कुशल श्रम की उपलब्‍धता ही सबसे बड़ा अस्‍त्र है। जिसके बल पर भदोही अपनी छाप विश्‍व बाज़ार में बनाए है।

भारत के भौगोलिक मानचित्र पर यह ज़िला मध्‍य गंगा घाटी में 25.09 अक्षांश उत्‍तरी से 25.32 उत्‍तरी अक्षांश तक तथा 82.45 देशान्‍तर पूर्वी तक फैला है। 1056 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्रफल वाले इस जिले की जनसंख्‍या 1578213 है। ज्ञानपुर औराई, भदोही तीन तहसील मुख्‍यालयों के अधीन डीघ, अभोली, सुरियावां, ज्ञानपुर औराई और भदोही विकास खण्‍ड कार्यालय है। इलाहाबाद के हंडिया और प्रतापपुर विधानसभा के साथ मिलकर संसदीय क्षेत्र बनाने वाले इस जनपद मे 3 विधान सभा क्षेत्र ज्ञानपुर औराई और भदोही हैं। यह ज़िला गंगा के मैदानी इलाके में बसा हुआ है। इसका दक्षिणी सीमा में गंगा नदी है। जिले के उत्तर दिशा में जौनपुर पूर्व में वाराणसी और मिर्ज़ापुर, दक्षिण और पश्चिम में इलाहबाद स्थित है। सबसे प्रसिद्ध गंगा घाट रामपुर का घाट है। जिले का घनत्व 1055.99 km² है। गंगा नदी से तीनो दिशाओं से घिरा कोनिया क्षेत्र जैसे प्राकृतिक क्षेत्र इस जिले में आते हैं। बाबा हरिहर नाथ मंदिर (ज्ञानपुर),सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी), बाबा गंगेश्वरनाथ धाम (इटहरा), इत्यादि यहाँ के प्रमुख मंदिर हैं।

इस जिले में तीन तहसील भदोही औराई, ज्ञानपुर और ६ मंडल (ब्लाक) भदोही, औराई, ज्ञानपुर, सुरियावां, डीघ और अभोली है। यहाँ १०७५ बसे गाँव और १४९ नाम के गाँव के साथ ७९ न्याय पंचायत और ४८९ ग्राम पंचायत हैं। इस जिले में ९ पुलिस थाने हैं।

जनसांख्यिकी

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भदोही जिले में विभिन्न धर्मावलम्बियों की संख्या[1]
धर्म प्रतिशत
हिन्दू
  
86.70%
मुसलमान
  
12.92%
अन्य
  
0.38%

भारत की २००१ की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 1,353,705 थी।

Description 2011 2001
Actual Population 1,578,213 1,353,705
Male 807,099 705,997
Female 771,114 647,708
Population Growth 16.58% 25.62%
Area Sq. Km 1,015 1,015
Density/km2 1,555 1,334
Proportion to Uttar Pradesh Population 0.79% 0.81%
Sex Ratio (Per 1000) 955 917
Child Sex Ratio (0-6 Age) 902 916
Average Literacy 68.97 57.90
Male Literacy 81.47 75.76
Female Literacy 56.03 38.44
Total Child Population (0-6 Age) 258,583 273,535
Male Population (0-6 Age) 135,979 142,781
Female Population (0-6 Age) 122,604 130,754
Literates 910,146 625,404
Male Literates 546,782 426,692
Female Literates 363,364 198,712
Child Proportion (0-6 Age) 16.38% 20.21%
Boys Proportion (0-6 Age) 16.85% 20.22%
Girls Proportion (0-6 Age) 15.90% 20.19%
This is Added by Shyamji Maurya 7860742492

मुख्य व्यवसाय

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कालीन व्यवसाय, कृषि, लघु उद्योग व्यवसाय, खाद्य व्यवसाय।

मुख्य व्यंजन :

भदोही जिले में लोग खाने पीने के शौकीन हैं। यहां विभिन्न तरह के पूर्वांचली व्यंजन पकाए जाते हैं । मुख्य रूप से यहां लोग नाश्ते में चने और प्याज से बनी घुघुरी और सुजी का हलवा खाना पसंद किया जाता है।

  1. "Sant Ravidas Nagar District Religion Data - Census 2011". www.census2011.co.in. मूल से 20 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 March 2018.