इटहरा उपरवार
इटहरा (Itahara) या इटहरा उपरवार (Itahara Uparwar) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के भदोही ज़िले (संत रविदास नगर ज़िले) में स्थित एक गाँव है। यह गंगा नदी से सटा हुआ है और नदी के एक ऐसे मोड़ पर स्थित है जहाँ गंगा अनोखे रूप से पूर्वोत्तर से दक्षिणपश्चिम दिशा में बहती है। यहाँ गंगा के किनारे स्थित बाबा गंगेश्वरनाथ धाम मन्दिर प्रसिद्ध है।[1][2]
इटहरा Itahara Uparwar इटहरा उपरवार | |
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![]() बाबा गंगेश्वरनाथ धाम मन्दिर | |
निर्देशांक: 25°13′55″N 82°12′47″E / 25.232°N 82.213°Eनिर्देशांक: 25°13′55″N 82°12′47″E / 25.232°N 82.213°E | |
देश | ![]() |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | भदोही ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 3,423 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 221309 |
दूरभाष कोड | 05414 |
वाहन पंजीकरण | UP-66 |
लिंगानुपात | 52:48 ♂/♀ |
विवरणसंपादित करें
इटहरा भदोही ज़िले के डीघ मंडल में स्थित है। यह ज़िला मुख्यालय से करीब ३५ किलोमीटर दूर है और गाँव गंगा नदी से तीनो दिशाओं से घिरा हुआ है। प्रसिद्ध मंदिर बाबा गंगेश्वरनाथ धाम इसी गाँव में है। यह गाँव बहुत ही विकसित था। कोनिया क्षेत्र में मात्र इसी गाँव में बाज़ार हुआ करता था। कोनिया क्षेत्र के लोग यही से खरीदारी करते थे। इसे आज भी सरकारी तौर पर ग्रामीण बाजार का दर्जा प्राप्त है। धीरे धीरे गाँव की जनसँख्या में वृद्धि हुई और लोग रोज़गार की तलाश में बाहर जाने लगे जैसे मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता और सूरत। बचे हुए लोग भी गाँव की पुरानी बस्ती से बाहर अपना घर बनाने लगे, जिससे इस गाँव का दायरा लगभग ३ किलोमीटर से ज़्यादा हो गया। आज यह गाँव ३ किलोमीटर के दायरे से ज़्यादा में बसा हुआ है। इस गाँव में सबसे बड़ी संख्या में बिसेन राजपूत हैं, क्योंकि यह गाँव इन्हीं के द्वारा बसाया गया था। उसके बाद बड़ी संख्या में क्रमश : ब्राह्मण, पासी, चमार, यादव मौजूद है। कायस्थ, बनिया, नाई, कुम्हार, कहार, मुसलमान, पुष्पाकर (माली), चौरसिया (बरई),धोबी, तेली (गुप्ता),मुसहर जाति यह जातियाँ भी गाँव में मौजूद है। सामाजिक तौर पर यह गाँव आज भी काफी विकसित है। इस गाँव में एक इंटर कॉलेज और एक महिला महाविद्यालय भी है।
- गंग सकल मुद मंगल मुला।
- गाँव इटहरा सुर सरि तिरा॥
जनसांख्यिकीसंपादित करें
भारत की 2011 जनगणना के अनुसार, इटहरा की आबादी 3423 थी। जिसमे पुरुषों की संख्या 49% (1687) और महिलाओं की संख्या 51% (1736) थी।
इतिहाससंपादित करें
पहले यह गाँव भर राजाओं के कब्ज़े में था। फिर मौनस राजपूतो द्वारा इस पर कब्ज़ा कर लिया गया। उसके बाद इस गाँव में बिसेन राजपूत आये। पुरानी बस्ती में स्थित कोटिया (टिला) पर आज भी भरो के रहने के अवशेष मिलते हैं, जिसमे बड़े बड़े कोल्हू पुराने खपरैल के टुकड़े प्रमुख है।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the Wayback Machine," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975