भद्राचलम् रामदासु
कंचर्ल गोपन्न ( तेलुगु: కంచర్ల గోపన్న ; 1620 - 1688 ई), या भक्त रामदास या भद्राचलम् रामदासु (तेलुगु: భద్రాచల రామదాసు १६वीं शताब्दी के भारत के एक महान राम भक्त, संत-कवि और कर्नाटक संगीतकार थे। वे तेलुगु शास्त्रीय युग के एक प्रसिद्ध वाग्गेयकर (शास्त्रीय संगीतकार) थे।
भद्राचलम् रामदासु | |
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पृष्ठभूमि | |
जन्म नाम | कंचर्ल गोपन्न (गोपराजु) |
अन्य नाम | रामदासु, भक्त रामदासु |
जन्म | ल. 1620 नेलकोंडपल्लि |
निधन | 1688 (68 वर्ष की अवस्था में) भद्राचलम |
विधायें | कर्नाटक संगीत |
पेशा | तहसीलदार और वाग्गेयकर |
वेबसाइट | bhadrachalaramadasu |
वे भद्राचलम में गोदावरी नदी के तट पर स्थित प्रसिद्ध सीता रामचन्द्रस्वामी मंदिर और तीर्थ केंद्र के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं। राम के लिए उनके भक्तिपूर्ण कीर्तन गीत शास्त्रीय पल्लवी, अनुपल्लवी और कारनम शैली को चित्रित करते हैं, जो अधिकांशतः तेलुगु में, कुछ संस्कृत में और कभी-कभी तमिल में रचित होते हैं। ये दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत में रामदासु कीर्तनल के नाम से प्रसिद्ध हैं । उन्होंने दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत और भक्ति आन्दोलन के संत त्यागराज जैसे बाद के संगीतकारों को प्रभावित किया। उनके गीत भद्राचलम के सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर में गाए जाते हैं।
उनका जन्म खम्मम जिले के नेलाकोंडापल्ली गाँव में हुआ था। जब वे किशोरावस्था में ही थे तभी उनके माता-पिता क देहान्त हो गया। अपने बाद का जीवन उन्होंने भद्राचलम में और 12 साल कुतुब शाही- शासन के दौरान गोलकुंडा जेल में एकान्त कारावास में बिताया। उनके जीवन के बारे में विभिन्न पौराणिक कहानियाँ तेलुगु परम्परा में प्रसारित हैं।