भाई बालमुकुन्द
भाई बालमुकुन्द (१८८९ - 8 मई १९१५) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे। सन 1912 में दिल्ली के चांदनी चौक में हुए लॉर्ड हार्डिग बम कांड में मास्टर अमीर चंद, भाई बालमुकुंद और मास्टर अवध बिहारी को 8 मई 1915 को ही फांसी पर लटका दिया गया, जबकि अगले दिन यानी 9 मई को अंबाला में बसन्त कुमार विश्वास को फांसी दी गई। वे महान क्रान्तिकारी भाई परमानन्द के चचेरे भाई थे।[1]
सभी पर आरोप था कि इन्होंने 1912 में चांदनी चौक में लार्ड हार्डिग पर बम फेंका था। हालांकि इनके खिलाफ जुर्म साबित नहीं हुआ, लेकिन अंग्रेज हुकूमत ने शक के आधार पर इन्हें फांसी की सजा सुना दी। जिस स्थान पर इन्हें फांसी दी गई, वहां शहीद स्मारक बना दिया गया है जो दिल्ली गेट स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में स्थित है।
भाई बालमुकुंद का विवाह एक साल पहले ही हुआ था। आजादी की लड़ाई में जुटे होने के कारण वे कुछ समय ही पत्नी के साथ रह सके। उनकी पत्नी का नाम रामरखी था। उनकी इच्छा थी कि भाई बालमुकुंद का शव उन्हें सौंप दिया जाए, लेकिन अंग्रेज हुकूमत ने उन्हें शव नहीं दिया। उसी दिन से रामरखी ने भोजन व पानी त्याग दिया और अठारहवें दिन उनकी भी मृत्यु हो गई।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "बालमुकुन्द". मूल से 16 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अगस्त 2016.
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- जरा याद करो कुर्बादी[मृत कड़ियाँ]
- क्रांतिकारी शहीद भाई बालमुकुंद [मृत कड़ियाँ]
- क्रांति की उपासिका[मृत कड़ियाँ]
- Sarala, Shrikrishna (1999). Indian revolutionaries: a comprehensive study, 1757-1961. II. Prabhat Prakashan. पपृ॰ 221–224. अभिगमन तिथि 1 April 2010.
- Bhai Parmanand (2009). The Story Of My Life. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-87100-38-6. अभिगमन तिथि 2 April 2010.