भानगढ़ दुर्ग
भानगढ़ दुर्ग ( कुशवाह क्षत्रियों की विरासत ) भारत के राजस्थान में स्थित १७वीं शताब्दी में निर्मित एक दुर्ग है।[1] इसे मान सिंह प्रथम कुशवाह ने अपने छोटे भाई माधो सिंह कुशवाह प्रथम के लिए बनवाया था। इस दुर्ग का नाम भान सिंह कुशवाहा के नाम पर है जो माधो सिंह कुशवाहा के पितामह थे।
भानगढ़ दुर्ग | |
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भानगढ दुर्ग ( कुशवाहा क्षत्रियों की नगरी ) | |
राजस्थान, भारत | |
निर्देशांक | 27°5′45″N 76°17′15″E / 27.09583°N 76.28750°Eनिर्देशांक: 27°5′45″N 76°17′15″E / 27.09583°N 76.28750°E |
प्रकार | दुर्ग एवं परित्यक्त नगर |
ऊँचाई | उँचाई |
स्थल जानकारी | |
स्वामित्व | Lord Silas (prior) Government of India (current) |
जनप्रवेश | Yes |
दशा | Vacant, A Tourist spot |
स्थल इतिहास | |
निर्मित | 1613 AD |
निर्माता | माधो सिंह प्रथम कुशवाहा |
प्रयोगाधीन | उपयोग |
सामग्री | पत्थर और ईंट |
इस दुर्ग की सीमा के बाहर एक नया गाँव बसा है जिसमें लगभग २०० घर और जनसंख्या १३०० है। यह दुर्ग और इसका अहाता अच्छी तरह संरक्षित है।[2][3]
इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा इस क्षेत्र में सूर्यास्त के बाद किसी भी व्यक्ति के रूकने की अनुमति नहीं है। भानगढ़ दुर्ग काकनवाड़ी के पठार पर स्थित है।
परिचय
संपादित करेंभानगढ़ किला सत्रहवीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस किले का निर्माण मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने करावाया था। राजा माधो सिंह उस समय अकबर के सेना में जनरल के पद पर तैनात थे। उस समय भानगड़ की जनसंख्या तकरीबन 10,000 थी। भानगढ़ अल्वार जिले में स्थित एक शानदार किला है जो कि बहुत ही विशाल आकार में तैयार किया गया है।
चारो तरफ से पहाड़ों से घिरे इस किले में बेहतरीन शिल्पकलाओ का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा इस किले में भगवान शिव, हनुमान आदी के बेहतरीन और अति प्राचिन मंदिर विध्यमान है। इस किले में कुल पांच द्वार हैं और साथ साथ एक मुख्य दीवार है। इस किले में दृण और मजबूत पत्थरों का प्रयोग किया गया है जो अति प्राचिन काल से अपने यथा स्थिती में पड़े हुये हैं।
फिलहाल इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा सूर्यास्त के बाद इस क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति के रूकने की मनाही है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Bhangarh Fort, Rajasthan". Zee News. मूल से 17 जुलाई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 July 2013.
- ↑ Singh 2010, पृ॰ 188.
- ↑ "One night in Bhangarh (English)". travelpraise. मूल से 24 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 July 2018.