भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की

रुड़की में स्थित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय

अपने रूपांतरण के बाद से भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान रूडकी ने भारत को जनशक्ति तथा ज्ञान उपलब्ध कराने तथा अनुसंधान कार्य करने मे प्रमुख भूमिका अदा की है। यह संस्थान विश्व के सर्वोत्तम प्रोद्यौगिकी संस्थानो मे अपना स्थान रखता है। इसने प्रोद्यौगिकी विकास के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। विज्ञान, प्रोद्यौगिकी व इंजीनियरिंग शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र मे इसे धारा निर्धारक (ट्रैंड सेटर) भी माना जाता है। अक्टुबर 1996 में यह संस्थान अपने अस्तित्व के 150 वर्ष पुर्ण कर चुका है। 21 सितम्बर 2001 को भारत सरकार ने एक अध्यादेश जारी करके इस संस्थान को देश का सातवां भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान घोषित किया। आई. आई. टी. रूडकी को रष्ट्र का एक महत्वपूर्ण बनाने के लिए यह अध्यादेश अब संसद के एक अधिनियम मे परिवर्तित हो चुका है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की
पूर्व नाम
रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज (1847–1853)
थॉमसन कॉलेज ऑफ़ सिविल इंजीनियरिंग (1853–1948)
रुड़की विश्वविद्यालय (UOR) (1948–2001)
प्रकारसार्वजनिक अभियांत्रिकी विद्यालय
स्थापित1847 (1847)
सभापतिअशोक मिश्र
निदेशकअजीत कु. चतुर्वेदी
शैक्षिक कर्मचारी
४०० (2010 – 11)
प्रशासनिक कर्मचारी
1,000 (2010 – 11)
छात्र8,036 (2014 – 15)
स्नातक4472
परास्नातक2093
1471
स्थानरुड़की, उत्तरखाण्ड, भारत
29°51′52″N 77°53′47″E / 29.86444°N 77.89639°E / 29.86444; 77.89639निर्देशांक: 29°51′52″N 77°53′47″E / 29.86444°N 77.89639°E / 29.86444; 77.89639
परिसरशहरी, ३६५ एकड़
भाषाअंग्रेज़ी, हिन्दी
जालस्थलwww.iitr.ac.in

वस्तुकला एवं इंजीनियरिंग के 10 विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे है ; स्नातकोत्तर, प्रयुक्त विज्ञान व वस्तुकला तथा नियोजन विष्यों के 55 पाठ्यक्रमो की सुविधा उपलब्ध है। संस्थान के सभी विभागों व अनुसंधान केन्द्रों में शोधकार्य की भी सुविधाएं है।

संस्थान में समस्त भारत के विभिन्न केन्द्रों पर आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई.) के माध्यम से बी टेक. व बी. आर्क. पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है।

इतिहास व धरोहर

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सन 1847 में ब्रिटिश सामराज्य के प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेजे के रूप में रूड़की कॉलेज की स्थापना हुई। 1854 में थॉमसन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के रूप में इसका पुनः नामकरण किया गया। इस संस्थान की कार्यकुशलता व क्षमता का सम्मान करते हुए तथा स्वतंत्रता के बाद के भारत की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के 1948 अधिनियम संख्या प द्वारा इसे विश्वविद्यालय स्तर प्रदान किया गया। नवंबर 1949 में पूर्ववर्त्ती कॉलेजे को स्वतंत्र भारत के प्रथम इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के रूप में उन्नत करते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे चार्ट्रर प्रदान किया।

अपनी स्थापना के बाद से रूड़की विश्वविद्यालय ने देश को प्रौद्योगिकी जनशक्ति तथा ज्ञान उपलब्ध कराने एवं अनुसंधान कार्य करने में प्रमुख भुमिका अदा की है। यह विश्वविद्यालय संसार के सर्वोत्तम् प्रौद्योगिकी संसथानों मे गिना जाता रहा है तथा इसने प्रौद्योगिकी विकास के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी व इंजीनियरिंग शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में इसे धारा निर्धारक (ट्रैंड सेटर) भी माना जाता रहा है। अक्टुबर 1996 में विश्वविद्यालय ने अपने अस्तित्व के 150 वर्ष मे प्रवेश किया।

21 सितम्बर 2001 को संसद में, इस विश्वविद्यालय को भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान रूडकी के रूप मे परिवर्तित करने का एक बिल पारित करके, इसे राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण संस्थान घोषित कर दिया गया। इस तरह से इस संस्थान के इतिहास मे पहले से ही आभायुक्त इसके राजमुकुट में एक और रत्न जड़ दिया गया।

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अभिस्नातक प्रवेश

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अभिस्नातक पाठ्य्क्रमों में छत्रों को प्रवेश, समस्त भारत के विभिन्न केन्द्रों पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वली एक अखिल भारतीय प्रतियोगीता परीक्षा जिसे संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई) कहते हैं, के माध्यम से दिया जाता है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी संस्थान की जे.ई.ई वेबसाइट पर तथा जे.ई.ई. कार्यालय से प्राप्त की जा

स्नातक पाठ्यक्रम

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आई.आई.टी. रूड़की के स्नातक पाठ्यक्रमों मे प्रवेश लेने वाले छत्रों को प्रवेश से पुर्व एक चयन प्रक्रिआ से गुजरना होता है। यह प्रवेश प्रक्रिया रष्ट्रीय (अखिल भारतीय) स्तर पर आयोजित की जाती है या संस्थान स्तर पर यह निर्भर करता है।

उल्लेखनीय पूर्व छात्र

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