[[चित्र:India 78.40398E भारत नामकरण के आधार सूत्र जैन धर्म में भी मिलते हैं। जैन पुराणों के अनुसार नाभिराज के पुत्र एवं जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर भी इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा । हिन्दू ग्रन्थ स्कन्द पुराण (अध्याय ३७)में भी जैन धर्म के वर्णन अनुसार ही"ऋषभदेव नाभिराज के पुत्र थे, ऋषभ के पुत्र भरत थे, और इनके ही नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" पड़ा"।[11].jpg|300px|right|thumb|भारतीय उपमहाद्वीप]]

अशोक के सहस्रराम लघु शिलालेख में "भारत" के लिए ब्राह्मी लिपि में 'जम्बूदीपासी' नाम आया है ( लगभग 250 ईसा पूर्व)

भारत शब्द से भारतीय उपमहाद्वीप, भारत गणतंत्र, या वृहत्तर भारत आदि का आशय लिया जाता है। भारत के अंग्रेजी नाम इण्डिया (अंग्रेजी: India) की उत्पत्ति इण्डस (सिंधु) शब्द से हुई है जो यूनानियों द्वारा चौथी सदी ईसा पूर्व से प्रचलन में है। इंडिया नाम पुरानी अंग्रेजी में ९वीं सदी में और आधुनिक अंग्रेजी में १७वीं सदी से मिलता है। भ

भारत को भारतवर्ष, जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, हिन्द, अल-हिन्द, ग्यागर, फग्युल, तियानझू, होडू आदि अन्य नामों से भी जाना जाताहै। डा0 श्री प्रकाश बरनवाल के अनुसार BIHAR में भारत के पांंच नाम Bharat, India, Hindustan,Aryavart,Revakhand समाहित हैं।

हिन्दु स्तान संपादित करें

हिन्दू (फारसी: هندو) और हिन्द (फारसी: هند) दोनों शब्द इंडो-आर्यन/संस्कृत सिंधु (सिंधु नदी या उसके क्षेत्र) से आए हैं। आचमेनिड सम्राट डेरियस प्रथम ने लगभग 516 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी पर विजय प्राप्त की, जिस पर सिंधु के समकक्ष आचमेनिड, अर्थात, "हिंदूश" (𐏃𐎡𐎯𐎢𐏁, हाय-डु-यू-एस) का उपयोग निचले सिंधु घाटी के लिए किया गया था।[1][2] लगभग 500 ईसा पूर्व डेरियस प्रथम की मूर्ति पर यह नाम मिस्र के आचमेनिड प्रांत के रूप में भी जाना जाता था, जहां इसे 𓉔𓈖𓂧𓍯𓇌 (Hnd-wꜣ-y) लिखा गया था।[3][4]

 
Hnd-wꜣ-y "इंडिया" डेरियस I की मूर्ति पर मिस्र के चित्रलिपि में लिखा गया है , लगभग 500 ईसा पूर्व।

मध्य फारसी में, शायद पहली शताब्दी सीई से, प्रत्यय -स्तान (फारसी: ستان) जोड़ा गया था, जो एक देश या क्षेत्र का सूचक था, जिसका नाम हिंदुस्तान था।[5] इस प्रकार, 262 सीई सिंध को सासानी सम्राट शापुर प्रथम के नक्श-ए-रुस्तम शिलालेख में हिंदुस्तान के रूप में संदर्भित किया गया था।[6][7]

मुगल साम्राज्य के सम्राट बाबर ने कहा, "पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में यह महान महासागर से घिरा है।" हिन्द को अरबी भाषा में विशेष रूप से भारत के लिए अल-हिंद (الهند) के निश्चित रूप में रूपांतरित किया गया था, उदाहरण के लिए 11वीं शताब्दी में तारिख अल-हिन्द ('भारत का इतिहास')। यह भारत के भीतर उपयोग में आता है, जैसे कि जय हिन्द या हिन्द महासागर

715 सीई में सिंध के पहले गवर्नर मुहम्मद इब्न कासिम के समय से भारत में एक उमय्यद सिक्का पर नाम "अल-हिन्द" (यहां لهند l'Hind) लिखा गया है।

दोनों नाम 11वीं शताब्दी के इस्लामी विजय से फारसी और अरबी में प्रचलित थे: दिल्ली सल्तनत और मुगल काल के शासकों ने अपने भारतीय प्रभुत्व को दिल्ली के आसपास केंद्रित, "हिंदुस्तान" (ہندوستان ; हिंदुस्तान) कहा। समकालीन फ़ारसी और उर्दू भाषा में, हिंदुस्तान शब्द का अर्थ हाल ही में भारत गणराज्य के रूप में आया है। अरबी के मामले में भी यही स्थिति है, जहां अल-हिन्द भारत गणराज्य का नाम है।

"हिंदुस्तान", हिन्दू शब्द के रूप में, 17वीं शताब्दी में अंग्रेजी भाषा में प्रवेश किया। 19वीं शताब्दी में, अंग्रेजी में प्रयुक्त शब्द उपमहाद्वीप को संदर्भित करता है। "हिंदुस्तान" ब्रिटिश राज के दौरान "भारत" के साथ-साथ उपयोग में था।

अजनाभवर्ष संपादित करें

भारत का प्राचीन नाम अजनाभवर्ष था।[8] ऋषभदेव के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र भरत के नाम पर बाद में भारतवर्ष पड़ा।

भारतवर्ष संपादित करें

भारतवर्ष या भारत नाम प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा।आगे चल कर भरत एक चक्रवर्ती सम्राट हुए, जिन्हें चारों दिशाओं की भूमि का स्वामी कहा जाता था। प्रथम चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर ही इस देश का नाम ‘भारतवर्ष’ पड़ा। इस तथ्य की पुष्टि 2000 वर्ष पूर्व उड़ीसा के खंडगिरि उदयगिरि की गुफाओं में सम्राट खारबेल के द्वारा ब्राह्मी लिपि में लिखे गए शिलालेख से भी होती है जो प्राकृत भाषा में लिखा गया है और जिसमें वर्णन आया है कि प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा।

ऋग्वेद में एक और युद्ध का ज़िक्र है। माना जाता है कि यह युद्ध महाभारत से भी पहले हुआ। पहला लिखित विवरण किसी युद्ध का। इसमें एक तरफ थे तृत्सु जाति के लोग, जिनको भरत का संघ कहा जाता और दूसरी तरफ था 10 राज्यों का संघ। इस लड़ाई को दसराज या दाशराज्ञ युद्ध भी कहते हैं। इसमें भरत के संघ की जीत हुई और पूरे भूभाग पर उनका राज स्थापित हो गया, जिससे नाम मिला भारत। बताया जाता है कि भरत संघ के लोग अग्नि की पूजा करने वाले थे।

भारत नाम की एक प्रारंभिक वैदिक जनजाति या जनसमूह था जो ईसा पूर्व दूसरी सहस्राब्दी के उत्तरार्ध में अस्तित्व में था। इस जनजाति या जनसमूह का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। भारत का प्राचीन नाम भारत जनजाति या जनसमूह के नाम पर "भारतवर्ष" या "भारत" या "भारत-भूमि" रखा गया था। भारत नाम सर्वप्रथम भारत जनजाति या जनसमूह के नाम पर ही रखा गया था।[9][1][2]

ऋग्वेद में दस राजाओं के युद्ध का वर्णन है जिसमें भारत नामक जनसमूह के राजा सुदास का नाम आया है। इस जनसमूह से ही भारतवर्ष का नाम आया है।[10][3][4]

भारत और भारतवर्ष नाम को लेकर कई दावे किए जाते हैं। पौराणिक युग की मान्यता के अनुसार ‘भरत’ नाम के कई व्यक्ति हुए हैं जिनके नाम पर भारत नाम माना जाता रहा है। प्रचलित मान्यता के अनुसार प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र प्रथम चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। वहीं एक मान्यता यह भी है कि नाट्यशास्त्र में जिन भरतमुनि का जिक्र है, उन्हीं के नाम पर देश का नाम रखा गया। राजॢष भरत के बारे में भी उल्लेख मिलता है जिनके नाम पर जड़भरत मुहावरा काफी प्रचलित है। इसी तरह मत्स्यपुराण में उल्लेख है कि मनु को प्रजा को जन्म देने वाले वर और उसका भरण-पोषण करने के कारण भरत कहा गया। भारत के भारत नाम सम्बंधित बाते विष्णुपुराण (2,1,31), वायुपुराण (33,52), लिंगपुराण (1,47,23), ब्रह्माण्डपुराण (14,5,62), अग्निपुराण (107,11–12), और मार्कण्डेय पुराण (50,41), में भी आयी है।[उद्धरण चाहिए]

विष्णु पुराण के दूसरे खंड के तीसरे अध्याय के पहले श्लोक के अनुसार-

उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।

वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः ।।

अर्थ है- समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में जो देश है, उसे भारत कहते हैं और इस भूभाग में रहने वाले लोग इस देश की संतान भारती हैं


विष्णु पुराण के दूसरे खंड के तीसरे अध्याय के 24वें श्लोक के अनुसार-

गायन्ति देवा: किल गीतकानि, धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे।

स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भवन्ति भूय: पुरूषा सुरत्वात् ।।

अर्थ है- देवता हमेशा से यही गान करते हैं कि, जिन्होंने स्वर्ग और अपवर्ग के बीच में बसे भारत में जन्म लिया, वो मानव हम देवताओं से भी अधिक धन्य हैं।

भारत नामकरण के आधार सूत्र जैन परंपरा में भी मिलते हैं। पुराणों के अनुसार नाभिराज के पुत्र, एवं जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर भी इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा ऐसी मान्यता है। हिन्दू ग्रन्थ, स्कन्द पुराण (अध्याय ३७) के अनुसार "ऋषभदेव नाभिराज के पुत्र थे, ऋषभ के पुत्र भरत थे, और इनके भी नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" पड़ा"।[11]

शिलालेखों में, भारतवर्ष शब्द सबसे पहले 2000 वर्ष पूर्व सम्राट खारबेल के बनवाये गये हाथीगुम्फा शिलालेख में मिलता है जो जैन धर्म से संबंधित है।[12][13]

जम्बूद्वीप संपादित करें

 
जम्बूद्वीप

जम्बूद्वीप का उपयोग प्राचीन शास्त्रों में भारत शब्द के व्यापक होने से पहले भारत के एक नाम के रूप में किया गया था। अंग्रेजी शब्द "इंडिया" की शुरुआत से पहले कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में व्युत्पन्न जम्बू द्वीप भारत के लिए ऐतिहासिक शब्द था। भारतीय उपमहाद्वीप का वर्णन करने के लिए यह वैकल्पिक नाम अभी भी कभी-कभी थाईलैंड, मलेशिया, जावा और बाली में उपयोग किया जाता है। हालाँकि, यह एशिया के पूरे महाद्वीप को भी संदर्भित कर सकता है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सन्दर्भ सूची संपादित करें

  1. Eggermont, Pierre Herman Leonard (1975). Alexander's Campaigns in Sind and Baluchistan and the Siege of the Brahmin Town of Harmatelia (अंग्रेज़ी में). Peeters Publishers. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-90-6186-037-2.
  2. Dandamaev, M. A. (1989). A Political History of the Achaemenid Empire (अंग्रेज़ी में). BRILL. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-90-04-09172-6.
  3. Yarshater, Ehsan (1982). Encyclopaedia Iranica (अंग्रेज़ी में). Routledge & Kegan Paul. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-933273-95-5.
  4. "Susa, Statue of Darius - Livius". www.livius.org. अभिगमन तिथि 2023-05-20.
  5. Ray, Aniruddha (2011). The Varied Facets of History: Essays in Honour of Aniruddha Ray (अंग्रेज़ी में). Primus Books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-80607-16-0.
  6. Mukherjee, Bratindra Nath (1989). The Foreign Names of the Indian Subcontinent (अंग्रेज़ी में). Place Names Society of India.
  7. Ray, Niharranjan; Chattopadhyaya, Brajadulal (2000). A Sourcebook of Indian Civilization (अंग्रेज़ी में). Orient Blackswan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-250-1871-1.
  8. श्रीमद्भागवतमहापुराण,एकादश स्कन्ध,दूसरा अध्याय, गीता प्रेस, गोरखपुर
  9. Dr. Kapila Vatsyayan Memorial Lecture | Sanjeev Sanyal | Bharatvarsha Civilizational History, अभिगमन तिथि 2023-09-09
  10. Dr. Kapila Vatsyayan Memorial Lecture | Sanjeev Sanyal | Bharatvarsha Civilizational History, अभिगमन तिथि 2023-09-09
  11. Sangave २००१, पृ॰ २३.
  12. Dwijendra Narayan Jha, Rethinking Hindu Identity (Routledge: 2014), p.11
  13. Upinder Singh, Political Violence in Ancient India, p.253

ग्रंथ सूची संपादित करें