भारत में मुर्गों की लड़ाई
मुर्गों की लड़ाई, जिसे तमिल में "सेवल संडाई" और तेलुगु में "कोडी पंडेम" कहा जाता है, भारत में मुख्यतः जनवरी में मकर संक्रांति के समय आयोजित होती है। भारत में मुर्गो की लड़ाई के लिए असील नस्ल के मुर्गो का उपयोग किया जाता है। यह परंपरा आंध्र प्रदेश के तटीय जिलों में, जैसे कृष्णा, गुंटूर, पूर्वी गोदावरी, और पश्चिमी गोदावरी में काफी लोकप्रिय है, हालांकि भारत में यह अवैध है।[1][2]
परिचय
संपादित करेंप्राचीन काल में, भारत में जंगली और घरेलू मुर्गों के बीच लड़ाइयाँ मनोरंजन के लिए आयोजित की जाती थीं। ऐसा कहा जाता है कि पालनाडु युद्ध (1178-1182) का परिणाम भी एक मुर्गे की लड़ाई से निर्धारित किया गया था, जिसके बाद आंध्र प्रदेश में इस प्रथा की शुरुआत हुई।[3][4] आज के समय में, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, और ओडिशा जैसे राज्यों में मुर्गों की लड़ाई का आयोजन होता है। इन लड़ाइयों के लिए मुर्गों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है, जिनके पैरों में चाकू और ब्लेड बांधे जाते हैं। यह लड़ाई अक्सर एक पक्षी की मृत्यु के साथ समाप्त होती है। इन मुर्गों की कीमत ₹50,000 (लगभग US$600) तक हो सकती है। संक्रांति के दौरान तीन दिनों तक चलने वाले आयोजनों में हजारों लोग हिस्सा लेते हैं।[5] [6]
इतिहास
संपादित करेंमुर्गों की लड़ाई एक प्राचीन और लोकप्रिय खेल रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान यह खेल व्यापक रूप से प्रचलित था।[7] एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, यह खेल प्राचीन भारत, चीन, फारस, और अन्य पूर्वी देशों में भी लोकप्रिय था और इसे प्राचीन ग्रीस में थियोमिस्टोकल्स के समय (524-460 ईसा पूर्व) में पेश किया गया था।[8][9] [10]
कु्क्कुट शास्त्र
संपादित करेंकु्क्कुट शास्त्र (मुर्गों की ज्योतिष) एक प्राचीन ग्रंथ है जो मुर्गों की लड़ाई के संबंध में लिखा गया है। हालांकि इस ग्रंथ के लेखक और लिखे जाने के समय के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इसमें मुर्गों की 50 विभिन्न प्रजातियों का वर्णन किया गया है, जो लड़ाई के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। इसके साथ ही, इसमें मुर्गों के आहार के बारे में भी जानकारी दी गई है, जिसमें बादाम, काजू, पिस्ता, और मांस शामिल हैं। इस शास्त्र के अनुसार ही लड़ाई के लिए मुर्गों को तैयार किया जाता है।[11][12]
प्रतिबंध
संपादित करें1960 में, प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट के तहत भारत में मुर्गों की लड़ाई को अवैध घोषित किया गया था। इस प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में और हैदराबाद हाई कोर्ट ने 2016 में बरकरार रखा। जनवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस खेल को पारंपरिक तरीके से, बिना चाकू और ब्लेड के और बिना सट्टेबाजी के, आयोजित करने की अनुमति दी।[13] वर्तमान में, आंध्र प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के तहत इस खेल की अनुमति दे दी है। वहीं, तेलंगाना और कर्नाटक में इस खेल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बावजूद, तेलंगाना में इस खेल का आयोजन व्यापक रूप से होता है। जनवरी 2020 में एक घटना के दौरान एक व्यक्ति की मुर्गों की लड़ाई में मृत्यु हो गई थी।[6]
घटनाएं
संपादित करें- 2010 में, पश्चिम मिदनापुर, पश्चिम बंगाल में एक व्यक्ति की मृत्यु उसके मुर्गे द्वारा हो गई, जब मुर्गे ने अपने पैर में बंधे ब्लेड से उसकी गर्दन पर हमला कर दिया।[14]
- 2019 में, आंध्र प्रदेश के प्रगडवरम में, एक दर्शक की मृत्यु एक मुर्गे द्वारा उसकी पेट में ब्लेड घोंपने से हो गई।
- 2021 में, तेलंगाना में, एक मुर्गे के मालिक की मृत्यु हो गई जब मुर्गे ने उसे ब्लेड से घायल कर दिया।[15]
लोकप्रिय संस्कृति
संपादित करें2001 की मलयालम फिल्म "कन्नकी" और 2011 की तमिल फिल्म "आडुकलम" मुर्गों की लड़ाई की पृष्ठभूमि पर आधारित हैं।[16]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसंदर्भ सूची
संपादित करें- ↑ Slater, Joanna (5 February 2019). "Inside India's illegal 'Super Bowl' of cockfighting, where the roosters wear razors". The Washington Post (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-08-22.
- ↑ Srinivas, Rajulapudi (2020-01-12). "Despite ban, stage being set for cockfighting in Andhra Pradesh". The Hindu (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2020-08-22.
- ↑ "Bird Fights". Beauty Without Cruelty – India. अभिगमन तिथि 2020-08-24.
- ↑ Bhattacharjee, Sumit (2020-01-12). "A favourite pastime". The Hindu (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2020-08-25.
- ↑ Bommakanti, Ujwal. "Cockfights continue across Andhra Pradesh despite court ban | Vijayawada News – Times of India". The Times of India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-08-22.
- ↑ अ आ "Man killed by chicken at illegal cockfight". The Independent (अंग्रेज़ी में). 2020-01-22. अभिगमन तिथि 2020-08-22.
- ↑ Sherman, David M. (2002). Tending Animals in the Global Village. Blackwell Publishing. 46. ISBN 0-683-18051-7.
- ↑ Iravatham Mahadevan. "'Address' Signs of the Indus Script" (PDF). Presented at the World Classical Tamil Conference 2010. 23–27 June 2010. The Hindu.
- ↑ [1] Poultry Breeding and Genetics By R. D. Crawford – Elsevier Health Sciences, 1990, page 10
- ↑ Al-Nasser, A.; Al-Khalaifa, H.; Al-Saffar, A.; Khalil, F.; Albahouh, M.; Ragheb, G.; Al-Haddad, A.; Mashaly, M. (2007). "Overview of chicken taxonomy and domestication". World's Poultry Science Journal. 63 (2): 285. S2CID 86734013. डीओआइ:10.1017/S004393390700147X.
- ↑ "కాలుదువ్వుతున్న పందెంకోళ్లు... | ఖమ్మం | www.NavaTelangana.com". Nava Telangana (तेलुगू में). अभिगमन तिथि 2020-08-19.
- ↑ K, Srinivas (2011-01-12). "కోట్ల రూపాయల కోడి పందేలు". Suryaa. मूल से 2014-01-13 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2014-01-13.
- ↑ Esha Mitra. "Man dies after rooster attack on way to cockfight". सीएनएन (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-08-22.
- ↑ "Master dies in rooster revolt". The Telegraph India. 14 December 2010. अभिगमन तिथि 2020-08-24.
- ↑ "Indian man killed by his own rooster during cockfight". BBC News (अंग्रेज़ी में). 2021-02-27. अभिगमन तिथि 2021-02-27.
- ↑ "'Aadukalam':Facsinating shades of grey". The Hindu. 22 January 2011.